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    Navratri 2025 : दस दिनों का होगा शारदीय नवरात्र, हाथी पर मां का आगमन, नवरात्र के दिनों में वृद्धि को माना जा रहा शुभ

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 08:08 PM (IST)

    इस बार शारदीय नवरात्र दस दिनों का होगा जो 22 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ समाप्त होगा। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के अनुसार माता का आगमन हाथी पर होगा जो सुख-सौभाग्य का प्रतीक है और प्रस्थान मनुष्य की सवारी पर होगा। चतुर्थी तिथि की वृद्धि के कारण नवरात्र दस दिनों का होगा।

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    इस बार माता का आगमन हाथी पर होगा और प्रस्थान मनुष्य की सवारी से करेंगी।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी : मां आदिशक्ति की आराधना, शक्ति की साधना, ऋतुओं के संधिकाल में पड़ने वाला आध्यात्मिक ऊर्जा के संचयन का महापर्व शारदीय नवरात्र इस बार दस दिनों का होगा। श्रद्धालुओं को मां की उपासना का अवसर नौ दिनों की बजाय दस दिनों तक मिलेगा।

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    इस बार माता का आगमन हाथी पर होगा और प्रस्थान मनुष्य की सवारी से करेंगी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय बताते हैं कि इस बार शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से आरंभ होंगे और दो अक्ट्रबर को विजयदशमी के साथ समापन होगा। उनका कहना है कि ज्योतिषीय दृष्टि से नवरात्र के दिनों में वृद्धि को शुभ माना जाता है। इससे पहले द्वितीया तिथि की वृद्धि के कारण 2016 में शारदीय नवरात्र दस दिनों का पड़ा था।

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    बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सुभाष पांडेय ने बताया कि आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि 21 सितंबर की अर्धरात्रि के बाद रात 1:23 बजे लगेगी और 22 सितंबर की अर्धरात्रि के बाद रात के तीसरे प्रहर 2.55 बजे तक रहेगी। ऐसे में आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 22 सितंबर को होगी और उसी दिन कलश स्थापना की जाएगी और मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री देवी का पूजन होगा।

    आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 29 सितंबर की शाम 4:31 बजे से लगेगी। इसलिए महाष्टमी 30 सितंबर को होगी। एक अक्टूबर का महानवमी का व्रत किया जाएगा। केवल प्रतिपदा और अष्टमी का व्रत करने वाले व्रती एक अक्टूबर को व्रत का पारण करेंगे, जबकि पूरे नौ दिनों का अनुष्ठान करने वाले विजयदशमी के दिन दो अक्टूबर को व्रत का पारण करेंगे। एक अक्टूबर को महानवमी का व्रत होगा। उसी दिन कन्या पूजन, अपराजिता, शमी पूजन तथा हवन के साथ अनुष्ठानों की पूर्णाहुति होगी। विजयदशमी दो अक्टूबर को मनाई जाएगी।

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    चतुर्थी की वृद्धि के चलते हो रहा दिस दिनी नवरात्र

    प्रो. पांडेय बताते हैं कि इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि है। तिथि के दो दिन पड़ने के कारण इस बार नवरात्र दस दिनों का होगा। चतुर्थी तिथि 25 सितंबर व 26 सितंबर को भी रहेगी। 26 सितंबर को सूर्योदय के पश्चात प्रात: काल 6:48 बजे तक चतुर्थी होने के कारण उदयातिथि में 26 को भी चतुर्थी का मान होगा। पंचमी तिथि अगले दिन 27 सितंबर को 8:46 बजे रहेगी, अतएव उदयातिथि में पंचमी 27 सितंबर को ही मिलने के कारण पंचमी का 27 सितंबर को होगा।

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    इस पूजन के क्रम में बिल्व वृक्ष के पास देवी को निमंत्रण 28 सितंबर रविवार को तथा पत्रिका प्रवेशन एवं सरस्वती पूजा और मूर्ति स्थापना 29 सितंबर सोमवार को सायंकाल किया जाएगा। इसी दिन रात्रि में निशा पूजन संपन्न होगी। महाष्टमी एवं महानवमी का व्रत एक ही साथ 30 सितंबर मंगलवार को होगा। दुर्गापाठ का पूजन एवं हवन एक अक्टूबर, बुधवार को दोपहर 2:37 बजे तक होगा। पूर्ण नवरात्र का व्रत रखने वाले लोग पारणा दो अक्टूबर गुरुवार को करेंगे तथा भगवती की प्रतिमा का विसर्जन भी दो अक्टूबर गुरुवार को प्रात:काल 6:18 बजे के बाद ही होगा।

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    एक अक्टूबर को दोपहर 2:37 बजे तक हवन, अगले दिन प्रात: विसर्जन

    प्रो. सुभाष पांडेय ने बताया कि मूल नक्षत्र में मां का आह्वान किया जाता है, श्रवण नक्षत्र में विसर्जन होता है। इस बार महानवमी का व्रत करने के उपरांत नौ दिवसीय व्रत करने वाले साधक एक अक्टूबर को यावेत् नवमी के सिद्धांत के चलते दोपहर 2:37 बजे तक पूर्णाहुति हवन कर लेंगे। अगले दिन दो अक्टूबर को प्रात:काल 6:18 बजे के बाद प्रतिमाओं का विसर्जन किया जा सकेगा। उसी दिन विजयदशमी का मेला लगेगा।

    हाथी पर मां का आगमन देगा सुख-सौभाग्य

    ख्यात ज्योतिषाचार्य प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय बताते हैं कि इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी, जो शुभ संकेत है। इसे अच्छी वर्षा और कृषि में वृद्धि का सूचक माना जाता है। दूध का उत्पादन बढ़ता है, साथ ही देश में धन धान्य की बढ़ोतरी होती है। माता का प्रस्थान मनुष्य की सवारी पर होगा।

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