School Close In Meerut: आजमगढ़ प्रकरण पर बंद रहे कॉन्वेंट स्कूल, काली पट्टी बांधकर विद्यालय पहुंचे टीचर
आजमगढ़ के स्कूल में भी छात्रा के साथ जो भी घटनाक्रम थी उसकी मनोदशा को देखते हुए स्कूल के शिक्षकों को काउंसलिंग करनी चाहिए थी। खराब मनोदशा देखकर छात्रा को अलग नहीं छोड़ना चाहिए था जिससे उसका मनोबल बना रहता। मेरठ में शिक्षक और शिक्षिकाओं ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं एक ज्ञापन भी प्रशासनिक अधिकारियों को सौंपा।

मेरठ, जागरण संवाददाता। आजमगढ़ के स्कूल में हुई घटना के बाद बिना जांच के शिक्षक व प्रधानाचार्य पर की गई कार्रवाई के खिलाफ मंगलवार को सभी निजी स्कूल संगठनों के आह्वान पर स्कूल बंद रहे। स्कूल में बच्चों के लिए छुट्टी रखी गई जबकि शिक्षक स्कूल पहुंचे और काली पट्टी बांधकर विरोध प्रकट किया। स्कूलों में दिवंगत छात्रा की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की गई और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की गई। कान्फडरेशन आफ इंडिपेंडेंट स्कूल्स, आल स्कूल लीडर्स एसोसिएशन के के आह्वान के बाद जिला स्तर पर भी मेरठ स्कूल सहोदय काम्प्लेक्स और मेरठ स्कूल सहोदय काम्प्लेक्स मेरठ महान ने भी मंगलवार को स्कूल बंद का समर्थन किया है।
पीड़ित छात्रा और परिवार के साथ संवेदनाएं
कन्फडरेशन आफ इंडीपेंडेंट स्कूल्स के सचिव राहुल केसरवानी ने कहा कि पीड़ित छात्रा व परिवार के साथ हर स्कूल की संवेदना है और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी कर रहे हैं। स्कूल में बच्चों को शिक्षित करने के साथ ही अनुशासित करना भी शिक्षकों का काम है। यदि ऐसा करने के क्रम में कोई बच्चा आत्मघाती कदम उठाता है तो इसमें स्कूल व शिक्षकों को दोषी मानना उचित नहीं है। ऐसे तो हर शिक्षक डरने लगेंगे और वह बच्चों की किसी भी हरकत पर वह कोई कदम नहीं उठाएंगे।
शिक्षक व प्रधानाचार्य की रिहाई की जाए
गंभीर धाराओं में गिरफ्तार किए गए शिक्षक व प्रधानाचार्य की रिहाई के साथ ही स्कूलों के लिए उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाने की मांग की गई है जिसमें स्कूलों को ऐसे मामलों में सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। वही अभिभावक पक्ष का कहना है कि स्कूलों में भी ऐसे घटनाक्रमों के प्रति अधिक संवेदना बरती जानी चाहिए।
छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो ऐसी घटनाएं स्कूल परिसर में नहीं होंगी या होने की संभावनाओं को भी कम किया जा सकता है। ऐसे घटनाक्रम रोकने के लिए अभिभावक शिक्षक बैठकों में बच्चों के अंक पर चर्चा करने की बजाय अन्य पहलुओं पर भी विस्तार से चर्चा की जानी चाहिए।
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