Deported Indians: 22 लाख... 26 दिन; अमेरिकी सैनिकों की कैद में रहकर लौटे गुरप्रीत ने बताई हैरान करने वाली बातें
लंदन में बैठे भारतीय एजेंट के इस झांसे में फंसा पीलीभीत का गुरप्रीत सिंह मुसीबतों से घिर गया। 22 लाख रुपये लेने के बाद एजेंट कभी हवाई जहाज तो कभी कार से एक से दूसरे देश भटकाते रहे। मेक्सिको ले जाकर जैसे ही अवैध रूप से अमेरिकी बॉर्डर पार कराया सैनिकों ने गुरप्रीत को पकड़ लिया। 22 दिन अमेरिकी सैनिकों की कैद में रहकर लौटे गुरप्रीत ने घटनाक्रम बयां किया।

जागरण टीम, मेरठ। बिना वीजा अमेरिका पहुंचा दूंगा...! लंदन में बैठे भारतीय एजेंट के इस झांसे में फंसा पीलीभीत का गुरप्रीत सिंह मुसीबतों से घिर गया। 22 लाख रुपये लेने के बाद एजेंट कभी हवाई जहाज तो कभी कार से एक से दूसरे देश भटकाते रहे। मेक्सिको ले जाकर जैसे ही अवैध रूप से अमेरिकी बॉर्डर पार कराया, सैनिकों ने गुरप्रीत को पकड़ लिया। 22 दिन अमेरिकी सैनिकों की कैद में रहकर लौटे गुरप्रीत ने गुरुवार को घर पहुंचकर घटनाक्रम बयां किया।
नियम विरुद्ध होने के कारण अमेरिकी सेना ने बैरक में रखा, लेकिन दुर्व्यवहार नहीं किया। गुरप्रीत ने बताया कि 18 दिसंबर 2024 को एजेंट के कहने पर लंदन से स्पेन गया। वहां से साउथ अफ्रीका। कई दिन इधर-उधर घुमाने के बाद 13 जनवरी 2025 की रात को मेक्सिको बार्डर पर ले जाया गया। वहां से जैसे ही अमेरिकी सीमा में घुसा, सैनिकों ने पकड़ लिया। कैद के दौरान खाने-सोने की कोई परेशानी नहीं थी। बाद में हवाई जहाज से अमेरिकी सेना के बेस कैंप ले जाया गया।
हाथ-पैरों में हथकड़ी-बेड़ियां क्यों डाली?
गुरप्रीत ने बताया कि विमान में 104 भारतीय थे, जबकि अमेरिकी सैनिकों की संख्या कम थी। हंगामा न हो, इसलिए हाथ-पैरों में हथकड़ी-बेड़ियां डाल दी थीं। पूरनपुर थाने के इंस्पेक्टर अपराध गजेंद्र सिंह ने बताया कि दिल्ली से गुरप्रीत को लेकर गुरुवार को थाने आया। पूछताछ के बाद उसे स्वजन को सुपुर्द कर दिया गया। गुरप्रीत ने कहा कि सुरक्षित लौटने पर भारत सरकार का आभारी हूं।
अमेरिकी देते थे जूस-सैंडविच
गुरप्रीत ने बताया कि मेक्सिको से अमेरिकी बार्डर पार कराते समय एजेंट के साथी ने उनका डेढ़ लाख रुपये का आइफोन छीन लिया था। बमुश्किल 15 भारतीय एवं 20 चीनी युवकों ने बॉर्डर पार किया, उसी समय अमेरिकी सैनिकों ने पकड़कर शिविर की बैरक में बंद कर दिया। वे खाने में सैंडविच व जूस देते थे, शौचालय जाते समय हथकड़ी खोल दी जाती थी। बीते दिनों शिविर में बंद कंबोडिया व चीन के नागरिकों को वापस भेजा गया, मगर उनके देश ने अपनाने से इनकार कर दिया। वे सभी लोग लौटकर अमेरिका में फंसे हैं।

गुरप्रीत ने कहा कि भारत सरकार ने अपने प्रत्येक नागरिक का साथ दिया। इसके लिए जितनी भी सराहना की जाए, कम है। अवैध रूप से अमेरिका क्यों गए, इस पर कहा कि वीजा समाप्त होने पर इंग्लैंड से निकाल दिया जाता। इससे पहले अमेरिका पहुंचने की योजना बनाई थी। 40 लाख लेकर माफिया ने अमेरिकी बॉर्डर पर पार कराया। 15 फीट ऊंची दीवार देवेंदर सिंह गत 29 नवंबर को हरियाणा के तीन परिचितों के साथ टूरिस्ट वीजा पर बैंकाक (थाईलैंड) गया था। बैंकॉक में एजेंट ने अधिक पैसा कमाने के लिए कैलिफोर्निया भिजवाने का झांसा दिया।
कैलिफोर्निया पहुंचने के बाद वर्क परमिट भी दिलाने का भरोसा दिया। 23 दिसंबर को टूरिस्ट वीजा पर ही अल साल्वाडोर पहुंचे तो डोंकर (माफिया) ने गन प्वॉइंट पर ले लिया और दो दिन तक अपने ठिकाने पर रखा। इसके बाद दो दिनों तक ग्वाटेमाला में रखा गया। इसके बाद 13 दिनों तक मेक्सिको में रखा। 12 जनवरी को तिजुआना पहुंचने पर 40 लाख रुपये मांगे। यह रकम करनाल (हरियाणा) में एजेंट ने अपने गुर्गे को भेजकर प्राप्त की। रिश्तेदारों और परिचितों से उधार के अलावा कुछ रकम कर्ज ली थी।
गुर्गे ने वीडियो कॉल कर बात कराई थी। वह कौन था, उसे नहीं जानता। पैसा लेने के बाद ही तिजुआना में अमेरिकी बॉर्डर पर 15 फीट ऊंची दीवार को लोहे की सीढ़ी लगाकर पार कराया। जैसे ही बार्डर पार किया तो अमेरिकी सैनिकों ने पकड़ लिया और कैंप में ले गए। बताया कि अमेरिकी सैनिकों ने कोई यातना नहीं दी और न ही अभद्र व्यवहार किया।

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