Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    अमेरिका में हिरासत के दौरान खाने को दिया जाता था बीफ, मौत के मुंह से वापस आए लोगों ने सुनाई आपबीती

    Updated: Fri, 07 Feb 2025 06:06 AM (IST)

    अमेरिका से लौटे लोगों ने अपने साथ हुई घटनाओं के बारे में बताया। एक व्यक्ति ने कहा कि जिस शिविर में रखा गया वहां उन्हें खाने के लिए गोमांस और स्नैक्स दिया जाता था। 12 दिन स्नेक्स खाकर ही गुजारा किया। शिविर में उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था। विमान पर सवार करने से पहले हथकड़ी पहना दी गई। कमर और पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं।

    Hero Image
    अमेरिका में हिरासत के दौरान खाने को दिया जाता था बीफ और स्नैक्स (फोटो- एएनआई)

     जेएनएन, नई दिल्ली। बेहतर भविष्य के लिए किसी भी तरह अमेरिका जाने के लालच में ऐसी यातना झेलनी पड़ी, जिसे यादकर वे सिहर जा रहे हैं। अमेरिका से जबरिया निर्वासित सुखपाल सिंह हों या 30 वर्षीय लवप्रीत कौर, उनकी डबडबाई आंखें और भर्राई आवाज सारा दर्ज बयां कर रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शिविर में बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था

    होशियारपुर के गांव दारापुर के सुखपाल सिंह ने बताया कि अमेरिका में गिरफ्तारी के बाद उन्हें जिस शिविर में रखा गया वहां उन्हें खाने के लिए गोमांस और स्नैक्स दिया जाता था। 12 दिन स्नेक्स खाकर ही गुजारा किया। शिविर में उनके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जाता था। उन्हें कानूनी सलाहकार या आव्रजन अधिकारियों से मिलने नहीं दिया गया।

    कमर और पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं

    विमान पर सवार करने से पहले हथकड़ी पहना दी गई। कमर और पैरों में बेड़ियां डाल दी गईं। इस दौरान किसी को भी अपनी सीट से हिलने की अनुमति नहीं थी, यहां तक कि शौचालय तक पहुंच भी बहुत सीमित थी। शौचालय का उपयोग करने से बचने के लिए, मैंने उड़ान में बमुश्किल कुछ खाया या पिया। अमृतसर में विमान के उतरने के बाद बेड़ियां हटा दी गईं। यहां पहुंच कर मुझे आखिरकार भोजन उपलब्ध हुआ।

    सुखपाल ने बताया कि उसने इटली में एक साल तक शेफ के तौर पर काम करने के बाद अमेरिका जाने का फैसला किया था। उसने और उसके दो दोस्तों ने एक ट्रैवल एजेंट से संपर्क किया। उसने उन्हें 30-30 लाख रुपये में अमेरिका तक सुरक्षित पहुंचाने का वादा किया।

    एजेंट के आदमियों ने सभी के पासपोर्ट जब्त कर लिए

    एजेंट ने उसे अमेरिका ले जाने के बजाय अन्य युवकों के साथ निकारागुआ ले जाया गया। वहां पहुंचने पर एजेंट के आदमियों ने सभी के पासपोर्ट जब्त कर लिए और फिर होंडुरस, ग्वाटेमाला और मेक्सिको से होते हुए एक कठिन यात्रा शुरू हुई।

    इसमें मेक्सिको से कैलिफोर्निया में अमेरिकी सीमा तक समुद्र के पार एक छोटी नाव में 12 घंटे की यात्रा शामिल थी। इस खतरनाक यात्रा के दौरान उसके एक साथी यात्री की डूबकर मौत हो गई। अमेरिका की सीमा में दाखिल होते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

    हाथ में हथकड़ियां व पैरों में संगल डाल लाया गया भारत

    कपूरथला के भुलत्थ की लवप्रीत कौर ने बताया कि वह जान जोखिम में डालकर 25 दिन पहले दस वर्षीय बेटे के साथ अमेरिका के लिए निकली थी। उसने बेटे के साथ 25 दिन तक डंकी रूट पर कई यातनाएं झेलीं। हालांकि सीधे अमेरिका उतारने के लिए ट्रैवल एजेंट को एक करोड़ रुपये दिया था, लेकिन वह उसे विभिन्न देशों में घुमाता रहा।

    अमेरिका में गिरफ्तार करते ही पुलिस ने मोबाइल से सिम कार्ड निकलवा दिया। गहने, चूड़ियां व कान की बालियां तक उतरवा दी। पांच दिन किसी कैंप में रखा गया फिर डिपोर्ट कर दिया गया। दो फरवरी को पुलिस ने हाथ में हथकड़ियां लगा दी और कमर से लेकर नीचे पैरों तक संगल डाल दिए, लेकिन बच्चों के साथ ऐसा कुछ नहीं किया गया।

    शौचालय जाते समय खोल देते थे हथकड़ी

    पीलीभीत के गुरप्रीत सिंह से 22 लाख रुपये लेने के बाद एजेंट कभी हवाई जहाज तो कभी कार से एक से दूसरे देश भटकाते रहे। 22 दिन अमेरिकी सैनिकों की कैद में रहकर लौटे गुरप्रीत ने बताया कि विमान में 104 भारतीय थे, जबकि अमेरिकी सैनिकों की संख्या कम थी। हाथ-पैरों में हथकड़ी-बेड़ियां डाल दी थीं। खाने में सैंडविच व जूस देते थे, शौचालय जाते समय हथकड़ी खोल दी जाती थी।

    बीते दिनों शिविर में बंद कंबोडिया व चीन के नागरिकों को वापस भेजा गया, मगर उनके देश ने अपनाने से इनकार कर दिया। वे सभी लोग लौटकर अमेरिका में फंसे हैं। अवैध रूप से अमेरिका क्यों गए, इस पर कहा कि वीजा समाप्त होने पर इंग्लैंड से निकाल दिया जाता। इससे पहले अमेरिका पहुंचने की योजना बनाई थी।

    यह भी पढ़ें- भारतीयों के हाथों में हथकड़ियां बांधकर क्यों किया गया डिपोर्ट? विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया जवाब