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    क्या है डंकी रूट? सिर पर कफन बांधकर चलते हैं लोग; फिर जंगलों को पार कर मेक्सिको होते हुए ऐसे पहुंचते हैं अमेरिका

    Updated: Thu, 06 Feb 2025 09:12 AM (IST)

    डंकी रूट (Donkey Route) से अमेरिका जाने वाले लोगों को बेहद खतरनाक सफर तय करना पड़ता है। अमेरिका जाने की चाह में डंकी रूट अपानाने वाले पंजाबियों को जोखिम भरी और लंबी यात्रा करनी होती है। आइए जानते हैं कि इस जोखिम भरी यात्रा में उन्हें किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और कैसे ट्रैवल एजेंट उन्हें तीन अलग-अलग पैकेज ऑफर करते हैं।

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    बेदह खतरनाक है डंकी रूट से अमेरिका जाने का सफर। फोटो सोर्स- सोशल मीडिया

    रोहित कुमार, चंडीगढ़। डंकी रूट (Donkey Route) से विदेश यात्रा करने वालों को मानव तस्करों को अच्छी खासी रकम चुकानी पड़ती है। इसके लिए 35 से 40 लाख रुपये प्रति व्यक्ति वसूले जाते हैं। दो साल पहले डंकी रूट तब सुर्खियों में आया था, जब फ्रांस ने दुबई से निकारागुआ जा रहे 303 भारतीय यात्रियों वाले एक चार्टर विमान को मानव तस्करी के संदेह में रोक दिया था।

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    इनमें से ज्यादातर को वापस भारत भेज दिया गया था। इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि अमेरिका जाने के लिए ट्रैवल एजेंटों की ओर से तीन पैकेज दिए जाते हैं।

    इस वजह से अवैध तरीके से जाते हैं अमेरिका

    पहला पैकेज मेक्सिको बॉर्डर के जरिए है। ट्रैवल एजेंट मेक्सिको बॉर्डर पर पहुंचा देते हैं, जहां उन्हें अमेरिकन पुलिस पकड़ कर कैंप में ले जाती है। फिर चार-पांच दिन बाद उन्हें कोई जानकार लेने आ जाता है, तो ठीक नहीं तो छोड़ दिया जाता है लेकिन अमेरिकन पुलिस इन पर पूरी तरह निगाह रखती है।

    दूसरा रास्ता पनामा के जंगलों से है, जोकि बहुत खतरनाक है। तीसरा रास्ता कनाडा के रास्ते है, क्योंकि अमेरिका में वर्क वीजा की डिमांड बहुत कम है, इसलिए लोग अवैध तरीके से ही जाते हैं। वहीं, अगर पर्यटक वीजा की बात की जाए तो किसी सिंगर के साथ शो के बहाने भी कबूतरबाजी के जरिए लोग अमेरिका पहुंचते हैं।

    उत्पीड़न का हवाला देकर शरण का करते हैं दावा

    बता दें कि बीते वर्ष डंकी रूट से अमेरिका जाने वाले भारतीयों के बारे में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। रिपोर्ट के मुताबिक जो डंकी रूट अपनाकर अमेरिका गए थे, उनके परिवारों ने बताया था कि मानव तस्कर दिल्ली और मुंबई से पर्यटक वीजा पर यूएई ले जाते हैं।

    वहां से उन्हें वेनेजुएला, निकारागुआ और ग्वाटेमाला जैसे कई ट्रांजिट बिंदुओं से होकर अमेरिका-मेक्सिको सीमा तक पहुंचाया जाता है। वहां इन लोगों को हैंडलर की ओर से यह भी बताया जाता है कि सीमा पार करते समय पकड़े जाने पर कैसे उत्पीड़न का हवाला देकर शरण का दावा किया जाए।

    एक ट्रैवल एजेंट ने कहा कि डंकी रूट से यात्रा करने के लिए हाल के दिनों में फीस बढ़ गई है। अब अमेरिका पहुंचने के लिए 45-50 लाख रुपये खर्चने पड़ेंगे लेकिन वहां पहुंचने की कोई गारंटी नहीं होती है।

    45 लाख देकर अवैध तरीके से गया था अमेरिका पलवीर

    जालंधर कैंट के रहमानपुर के मरीन एन्क्लेव में रहने वाला 22 वर्षीय पलवीर सिंह इसी साल सात जनवरी को 45 लाख रुपये देकर नवांशहर के एक ट्रैवल एजेंट के माध्यम से अमेरिका गया था। मेक्सिको बॉर्डर से अमेरिका में अवैध तरीके से घुसते ही उसे पकड़ लिया गया था। तब से वह अमेरिका में कैंप में ही था। उसे बुधवार को अमेरिका से डिपोर्ट कर दिया गया है।

    पलवीर के पिता राजवंत सिंह किसान हैं। राजवंत सिंह ने बताया कि पलवीर ने 12वीं तक पढ़ाई की है। इसके बाद वह खेती में उनका हाथ बंटाता था। उसे विदेश जाने का बहुत शौक था। पढ़ाई छोड़ने के बाद से वह अमेरिका जाने की जिद पकड़े हुए था। बेटे की जिद को देखते हुए उन्होंने इमीग्रेशन कंसल्टेंट को 45 लाख रुपये देना तय हुआ।

    इसके बाद उसने सात जनवरी को पलवीर को चार अन्य युवकों के साथ अवैध तरीके से अमेरिका भेजा। अमेरिका पहुंचने के बाद उन्होंने कंसल्टेंट को सारी राशि का भुगतान भी कर दिया। परिवार में माता-पिता के अलावा पलवीर की दो बहनें भी हैं। एक बहन की शादी हो चुकी है, जबकि दूसरी बहन प्राइवेट नौकरी करती है।

    आकाशदीप ने अमेरिका जाने के बेच दी थी जमीन

    अटारी में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास स्थित राजाताल के सीमावर्ती गांव के स्वर्ण सिंह का बेटा आकाशदीप सिंह सात महीने पहले अमेरिका गया था। अमेरिका से भारत डिपोर्ट होने वालों में वह भी शामिल है। आकाशदीप सिंह दुबई होते हुए मेक्सिको गया और मेक्सिको से संयुक्त राज्य अमेरिका पहुंचा। आकाशदीप सात महीने पहले घर से गया था। परिवार के सदस्य मोबाइल पर बात करते रहे, लेकिन जब वह अमेरिका चला गया तो बेटे से कोई बात नहीं हुई।

    आकाशदीप को 12 दिन पहले मेक्सिको से सीमा पार करते समय गिरफ्तार कर लिया गया था। इसी कारण परिवार ने आकाशदीप सिंह से बातचीत बंद कर दी थी। आकाशदीप के पिता स्वर्ण सिंह के पास तीन एकड़ जमीन थी, जिसमें से उन्होंने ढाई एकड़ जमीन बेचकर 18 लाख रुपये कर्ज लिया था ताकि बेटा विदेश जा सके। उसे विदेश भेजने में 65 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किया गया।

    इंग्लैंड से एक महीने पहले अमेरिका पहुंचा था जसपाल

    अमेरिका से डिपोर्ट किए गए पंजाब के 30 लोगों में निकटवर्ती गांव हरदोरवाल खुर्द के 36 वर्षीय जसपाल सिंह भी शामिल है। जसपाल सिंह दो वर्ष पहले एजेंट के माध्यम से करीब 30 लाख रुपये खर्च कर इंग्लैंड गया था। इसके लिए उसे अपने हिस्से की तीन एकड़ में से दो एकड़ जमीन बेचनी पड़ी थी। करीब एक माह पहले ही इंग्लैंड से अवैध तरीके से अमेरिका गया था।

    जसपाल इंग्लैंड जाने से पहले आठ वर्ष सऊदी अरब और चार वर्ष तक कतर में भी रह चुका है। वह लगातार विदेश इसलिए गया ताकि परिवार की आर्थिक स्थित सुधर सके। जसपाल के चचेरे भाई जसबीर सिंह ने बताया कि जसपाल एक माह पहले ही अमेरिका पहुंचा था।

    क्या है डंकी रूट?

    अमेरिका में बसने की चाह में पंजाबी अवैध तरीके से विदेश जाने के लिए जो रास्ता अपनाते हैं, उसे डंकी रूट (Donkey Route) कहते हैं। डंकी शब्द पंजाबी भाषा के ‘डुंकी’ से आया है, जिसका अर्थ एक से दूसरे स्थान पर कूदना होता है।

    विदेश में जाने के लिए यह जोखिम भरी और लंबी यात्रा होती है। इस रास्ते के लिए किसी तरह के पासपोर्ट की आवश्यकता नहीं होती, इसमें खराब मौसम, भूख, बीमारी, दुर्व्यवहार और कभी-कभी मौत का भी सामना करना पड़ता है।

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