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    काला धन सफेद होता रहा और आयकर अफसर कुछ न कर पाए

    By Ashish MishraEdited By:
    Updated: Fri, 02 Dec 2016 02:11 PM (IST)

    आयकर विभाग गुजर रहा है। काला धन आ रहा है, जा रहा है, आयकर विभाग को पता भी चल रहा है, लेकिन महकमे के अफसर और इंस्पेक्टर इसे रोक नहीं पा रहे हैैं।

    लखनऊ [अमित मिश्र]। सामने दूध की नदी उफना रही हो और पात्र के नाम पर आपके हाथ में सिर्फ एक चम्मच हो तो...! दूध बहता दिखेगा, लेकिन दो-चार चम्मच से ज्यादा आप हासिल नहीं कर पाएंगे। ठीक ऐसी ही बेबसी से इन दिनों आयकर विभाग गुजर रहा है। काला धन आ रहा है, जा रहा है, आयकर विभाग को पता भी चल रहा है, लेकिन महकमे के अफसर और इंस्पेक्टर इसे रोक नहीं पा रहे हैैं। आइए देखते हैैं कि आठ नवंबर के बाद आयकर विभाग को किस तरह के इनपुट मिले और अधिकारी उन पर क्या कर पाए।
    सबसे पहले बात ज्वैलर्स की। पुराने नोट खपाने के लिए सबसे पहले लोग यहीं भागे थे। आठ नवंबर की रात भर और नौ व दस नवंबर को पूरे दिन दुकान खोलने के बाद ज्वैलर्स ने 11 को शटर गिरा दिए थे। कुछ दुकानों में तो 11 को भी पिछले दरवाजे से सोना बेचा गया। आयकर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बैकडेट में बिक्री के स्पष्ट इनपुट पर 10-11 नवंबर को कुछ जगहों पर पड़ताल में पुराने नोट तो मिले लेकिन उनकी इंट्री आठ तारीख से पहले के हिसाब में दर्ज थी। अधिकारी बताते हैैं कि केस बनाया गया है, लेकिन कोर्ट में टिक नहीं पाएगा। दो दिन और एक रात के भीतर प्रदेश में हजारों करोड़ रुपये का सोना बिक गया, लेकिन पकड़ में महज एक-दो मामले ही आए।

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    ऐसा ही एक खेल रियल इस्टेट में हुआ, जिसे जानते हुए भी आयकर विभाग कुछ नहीं कर पाया। आठ नवंबर के बाद रियल इस्टेट कारोबारियों ने अपने स्टॉक में मौजूद प्रॉपर्टी को बैक डेट में भारी रकम के बदले बुक कर दिया। पुराने नोटों में मिली रकम बैैंक में जमा कर दी। आयकर अधिकारियों के मुुताबिक काला धन रखने वालों और बिल्डरों के बीच तय हुआ कि बाद में बुकिंग कैंसिल कर 85 से 90 फीसद रकम नए नोटों में वापस कर दी जाएगी। ऐसे ही एक इनपुट पर नोएडा के आम्रपाली बिल्डर के यहां छापा पड़ा तो बुक्स में कैश इन हैैंड 85 करोड़ रुपये था, जबकि मौके पर सिर्फ साढ़े छह करोड़ रुपये मिले। 78.50 करोड़ रुपये का वह काला धन सामने आया, जिसे कहीं से लाकर सफेद करने की तैयारी थी। यह काम हजारों बिल्डरों ने किया, लेकिन आयकर विभाग सिर्फ एक-दो पर ही निशाना लगा पाया।

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    नहीं मिली कोई सफलता
    आयकर अधिकारियों को पिछले दिनों पता चला कि पेट्रोल पंप संचालक अपने यहां आ रहे छोटे नोटों को एकत्र कर 15 लाख रुपये के पुराने नोटों के बदले 10 लाख रुपये के छोटे नोट दे रहे हैैं और पुराने नोटों को अपनी बिक्री में दिखा कर बैैंक में जमा कर रहे हैैं। आयकर अधिकारी ने बताया कि सूचना होने के बावजूद उनके पास इसे पकडऩे का कोई तरीका नहीं है। इसी तरह अधिकारियों को उन दलालों के बारे में भी पता चला जो 20 से 30 फीसद कमीशन के बदले मोटी रकमों को नए या छोटे नोटों में बदल रहे हैैं, लेकिन आयकर विभाग ऐसा एक भी मामला नहीं पकड़ पाया।

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    सब चपरासी बन गए इंस्पेक्टर
    बड़े पैमाने पर ठिकाने लगाया गया काला धन पकड़ा क्यों नहीं गया...? इस पर आयकर विभाग के एक बड़े अधिकारी का भी दर्द सुनिए- कहां हम और कहां काले धन के शातिर कारोबारी..., उनके पास समझदार चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की फौज है और हमारे पास कम स्टाफ की समस्या के बीच काबिल अफसरों का भी संकट है। पूरे देश में आयकर में कुल 40 हजार पद हैैं, जिसमें 10 हजार खाली हैैं। 16 साल से नियुक्तियां लगभग रुक सी गई हैैं, जबकि ऊपर से रिटायर होने वालों की कुर्सियों पर नीचे से प्रोन्नति की जाती रही। अब हालत यह है कि विभाग में एक भी चपरासी नहीं बचा, सारे चपरासी इंस्पेक्टर बन चुके हैैं। चपरासियों की व्यवस्था तो आयकर विभाग ने आउटसोर्सिंग से कर ली, लेकिन कुल 30 हजार में से यह लगभग 10 हजार अनगढ़ इंस्पेक्टर व कर्मचारी आयकर महकमे के कुछ खास काम नहीं आ पा रहे हैैं। इसीलिए आयकर विभाग भी कुछ खास नहीं कर पा रहा है।

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