पिता की जलाई लौ को बनाया शिक्षा का दीपक
कुशीनगर: दुदही विकास खंड के गुरवलिया बाजार स्थित अन्नपूर्णा इंटरमीडिएट कालेज के प्रधानाच
कुशीनगर: दुदही विकास खंड के गुरवलिया बाजार स्थित अन्नपूर्णा इंटरमीडिएट कालेज के प्रधानाचार्य डा. शक्ति प्रकाश पाठक को वर्ष 2016 के राज्य अध्यापक पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। पांच सितंबर को राज्यपाल के हाथों उन्हें यह गौरव प्राप्त होगा। उन्होंने अपने पिता ज्योतिषी बागीश्वरी पाठक द्वारा जलाई गई शिक्षा की लौ को और प्रकाशवान बना सूरज के समान प्रखर कर दिया। डा. पाठक का प्रयास ही है कि अगल-बगल के कैंपस में नर्सरी से परास्नातक व विभिन्न व्यवसायिक कोर्सों में लगभग पांच हजार छात्र अपने उज्ज्वल भविष्य को गढ़ रहे है। सात जुलाई 1956 को गुरवलिया के बागीश्वरी पाठक व रामबासी देवी के घर प्रथम पुत्र के रूप में जन्में डा. शक्ति प्रकाश पाठक ने अपने पिता द्वारा स्थापित अन्नपूर्णा इंटरमीडिएट कालेज से 1970 में हाईकूल व 1972 में इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। बिहार प्रांत के मुजफ्फरपुर से जुलाजी आनर्स विषय से वर्ष 1976 में विज्ञान स्नातक किए। वर्ष 1978 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1982 में श्रीअन्नपूर्णा इंटरमीडिएट कालेज गुरवलिया में बतौर प्रवक्ता तैनाती मिली। वर्ष 2003 में डा. पाठक अस्थाई प्रधानाचार्य बनाए गए और इसी वर्ष उन्होंने मिथिला विश्वविद्यालय से डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 2012 में माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड से कालेज के स्थाई प्रधानाचर्य बने। डा. पाठक ने गुरवलिया को शैक्षिक केंद्र के रूप में विकसित करने में अहम भूमिका निभाई। बतौर प्रधानाचार्य कार्यभार ग्रहण करते समय 400 की छात्र संख्या वर्तमान में 2000 तक पहुंच गई तो इंटर कालेज के बगल में नर्सरी, प्राथमिक, स्नातक, परास्नातक, बीएड, बीटीसी आदि कोर्सों के लिए मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थान की नींव रखी। डा. पाठक के दूसरे भाई विद्या प्रकाश पाठक वर्तमान में नोएडा के जिला जज हैं तो तीसरे भाई पं. कामाख्या प्रकाश पाठक प्रसिद्ध ज्योतिर्विद्। दो पुत्र व दो पुत्रियां उच्च शिक्षा ग्रहण कर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
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-पं. केदारनाथ मिश्र को मिल चुका है राष्ट्रपति पुरस्कार
----सेवरही : तमकुही विकास खंड के ग्राम चखनी मिश्र निवासी पं. केदारनाथ मिश्र वर्ष 1982 में राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। 10 अक्टूबर 1929 को जन्में केदारनाथ 14 जुलाई 1949 को फतेह मेमोरियल इंटर कालेज तमकुहीराज में बतौर शिक्षक नियुक्त हुए। आठ जुलाई 1969 को प्रधानाचार्य के पद पर प्रोन्नति हुई तो अपने अनुशासनप्रियता के बूते विद्यालय में शैक्षणिक माहौल कायम किया। वर्ष 1983 में शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। 30 जून 1992 को अवकाश ग्रहण करने के बाद पं. मिश्र समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
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इन शिक्षकों ने बदली प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर
-भले ही इन शिक्षकों को राज्यपाल पुरस्कार न मिला हो, लेकिन इनकी मेहनत और लगन ने प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर जरूर बदली है। एक नजीर पेश किया है कि कुछ करने की चाह हो तो राह कठिन नहीं होती। बात चाहे जिले के जनपदीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय रुदवलिया की हो जहां के प्रधानाध्यापक सुनील त्रिपाठी ने बच्चों को कानवेंट के मुकाबिल खड़ा किया। प्रेरित होकर औरों ने भी राह पकड़ी है। प्राथमिक विद्यालय बनकट सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के लिए एक आदर्श बन कर खड़ा है। यहां के शिक्षकों का प्रयास बच्चों की जुबां और संस्कार में साफ झलकता है। शिक्षक दिवस पर ऐसे प्रयास को भी सलाम किया जाना चाहिए।