Raksha Bandhan: बसों में फ्री यात्रा के आदेश, संचालन में तंत्र फेल, देखें, तस्वीरों में बहनों की हालत
Raksha Bandhan प्रदेश सरकार के सुनहरे सपनों को लोकल तंत्र फेल कर रही है। रक्षाबंधन में बहनों और उनके सहयात्री को फ्री बस सेवा के आदेश थे। इसके बावजूद बस ही नहीं उपलब्ध कराई जा सकी। त्योहार की खुशियां मनाने निकली महिलाओं की राह में सिस्टम की अनदेखी बाधा बनी। देखें फोटोजर्नलिस्ट मोहम्मद आरिफ के कैमरे से बदहाल व्यवस्था की तस्वीरें...

जागरण संवाददाता, कानपुर। परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह बीते शुक्रवार को शहर आए लेकिन वो बलिदानी मेजर सलमान खान अंतर्राज्यीय बस अड्डा, झकरकटी नहीं गए। अगर वो एक बार वहां का निरीक्षण कर लेते तो अहसास होता कि बस अड्डा के अंदर पहुंचने की डगर कितनी कठिन है। शनिवार सुबह महिलाएं रक्षाबंधन पर पति, पिता और भाई के साथ बस से मायके जाने के लिए बस अड्डा पर पहुंचीं। वहां कदम-कदम पर गड्ढे, कीचड़ और बसों में भारी भीड़ ने खुशी और उत्साह को निराशा में बदल दिया।
रक्षाबंधन पर्व मनाने निकली बहनें किसी तरह बस तक पहुंचीं तो सीट पाने की जद्दोजहद करनी पड़ी। छोटे बच्चों की जान जोखिम में डालकर खिड़कियों से भीतर बिठाया गया। निराश महिलाओं ने कहा कि रोडवेज के पास पर्याप्त बसें नहीं थीं तो उन्हें निश्शुल्क सफर नहीं कराना चाहिए था। रोडवेज अधिकारियों ने शनिवार देर शाम करीब 64,265 महिलाओं व सहयात्रियों को रोडवेज, इलेक्ट्रिक बसें और सीएनजी बसों में सफर कराने का दावा किया ।
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बस के गेट से जाने की जगह नहीं मिली तो खिड़की से बच्चों को अंदर भेजते यात्री। जागरण
रक्षाबंधन पर महिलाओं को भाइयों तक पहुंचने में सुगम परिवहन सुविधा देने के लिए राज्य सरकार ने 10 अगस्त की रात 12 बजे तक महिला व एक सहयात्री को निश्शुल्क बस यात्रा की सुविधा देने की घोषणा की थी।
बस में चढ़ने के लिए मारामारी से बचाने के लिए बच्चों को खिड़की से अंदर भेजते यात्री। जागरण
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के कानपुर रीजन में 677 रोडवेज और शहर में संचालित 84 ई-बसों और सीएनजी बसें चलाईं। लगतार दूसरे दिन शनिवार सुबह से आगरा, दिल्ली, गोरखपुर, रायबरेली, कन्नौज, फतेहपुर, लखनऊ, वाराणसी, मैनपुरी, प्रयागराज रूट पर महिलाओं की भीड़ बढ़ने से बसें कम पड़ गईं।
बस में चढ़ने के लिए मारामारी से बचाने के लिए बच्चों को खिड़की से अंदर भेजते यात्री। जागरण
दावा है कि किदवई नगर और आजाद नगर डिपो में रिजर्व में खड़ी बसें बुलवाकर सर्वाधिक मांग वाले रूट पर भेजीं। महोबा निवासी सुनीता ने बताया कि लखनऊ जाने के लिए बस का आधा घंटा इंतजार करना पड़ा।
बस अड्डे पर बस तक पहुंचने से पहले अव्यवस्था की राह यानी कीचड़ से होकर गुजरता परिवार। जागरण
नौबस्ता हंसपुरम निवासी गीता देवी ने बताया कि रायबरेली जाने के लिए बस पकड़ने बस अड्डा पहुंची थीं लेकिन काफी जतन के बाद बस मिली।
भले ही तंत्र की अव्यवस्था हर जगह फैली हो लेकिन रक्षाबंधन पर्व का उत्साह लोगों में कम नहीं था। जागरण
बस से मायके जाने के लिए बस अड्डा पहुंची थी। यहां गड्ढे और कीचड़ के बीच से होकर बस तक पहुंचने में काफी परेशानी हुई। कीचड़ से कपड़े तो खराब हुए ही बस में बैठने के लिए जगह तक नहीं मिली।
सरिता देवी, महिला यात्री
मुख्य गेट से जगह नहीं मिली तो इमरजेंसी गेट से उतरने लगी युवती। जागरण
बस में निश्शुल्क सफर की घोषणा होने के बाद शनिवार को रायबरेली स्थित मायके जाने को बस पकड़ने पहुंची लेकिन काफी धक्कामुक्की झेलने के बाद भी जगह नहीं मिली। बस में क्षमता से अधिक यात्री होने से सांस लेना दूभर था।
आशू देवी, महिला यात्री।
बस तक पहुंचने के लिए बच्चे को कीचड़ से बचाने के लिए गोद में लेकर निकलता व्यक्ति। जागरण
मायके जाने के लिए उत्साह से घर से निकली थी। बस अड्डा पर जगह-जगह कीचड़ देख अंदर घुसने में डर लगने लगा। किसी तरह हिम्मत करके बस तक पहुंचे तो बस पूरी फुल मिली। धक्कामुक्की करके अंदर जा पाए तो बैठने तक की जगह नहीं मिली।
काजल सिंह, महिला यात्री।
बस से उतरे ही कीचड़ में गिरी महिला। जागरण
खागा स्थित मायके जाने के लिए बस अड्डे पहुंची। बस फुल होने की वजह से अंदर घुसने की हिम्मत नहीं पड़ी। आधा घंटा के इंतजार के बाद बस आई तो उसमें जगह मिली।
मीनू, महिला यात्री।
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शनिवार को लखनऊ, गोरखपुर, रायबरेली, कन्नौज, मैनपुरी, वाराणसी और प्रयागराज रूट पर बसों की सर्वाधिक मांग रही। यात्रियों की बढ़ती भीड़ देख रिजर्व में खड़ी बसों को बुलवाकर 15-15 मिनट और दिल्ली के लिए आधा घंटा के अंतराल में चलवाया गया। महिला व सहयात्री को निश्शुल्क परिवहन सुविधा दी गई। भीड़ संभालने में सचल दल और अतिरिक्त स्टाफ की अहम भूमिका रही। बस अड्डा पर निर्माण कार्य न होने से अव्यवस्था है।
पंकज तिवारी, एआरएम, मेजर सलमान खान अंतर्राज्यीय बस अड्डा (झकरकटी)।
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