Kanpur News: आय से अधिक संपत्ति की जांच में लेखपाल तलब, एंटी करप्शन ने कसा शिकंजा
कानपुर में लेखपाल आलोक दुबे के खिलाफ एंटी करप्शन विभाग ने 30 करोड़ की संपत्ति के मामले में जांच शुरू कर दी है। जिलाधिकारी की संस्तुति पर हुई इस कार्रवाई में दुबे को पूछताछ के लिए बुलाया गया है। आरोप है कि उन्होंने रिंग रोड परियोजना में भूमि अधिग्रहण के दौरान भ्रष्टाचार किया और आय से अधिक संपत्ति अर्जित की।

जागरण संवाददाता, कानपुर( रिंग रोड परियोजना में भूमि अधिग्रहण के दौरान करोड़ों रुपये के खेल में फंसे आरोपित लेखपाल आलोक दुबे पर कार्रवाई तेज हो गई है। एंटी करप्शन विभाग ने उसे तलब कर पूछताछ के लिए बुलाया है। जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह की संस्तुति पर यह कार्रवाई शुरू हुई है। आरोपित लेखपाल के खिलाफ पहले से दर्ज मुकदमे में पुलिस चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी शुरू कर दी है। अब आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी जांच शुरू हो गई है।
सिंहपुर कछार निवासी अधिवक्ता संदीप सिंह ने दिसंबर 2024 में डीएम से फर्जी प्रपत्रों के जरिए चार बीघा जमीन बेचे जाने की शिकायत की थी। जांच में तत्कालीन कानूनगो आलोक दुबे का नाम सामने आया। इसके बाद डीएम ने फरवरी 2025 में उसे निलंबित कर दिया और एडीएम न्यायिक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की।
समिति की रिपोर्ट में पता चला कि आलोक ने 41 बैनामे कराए जिनकी कीमत करीब 30 करोड़ रुपये हैं। भूमि अध्यापित विभाग में भी 35 बीघा जमीन आलोक और उसके परिवार के नाम दर्ज मिली। इतना ही नहीं, मुआवजे के एक करोड़ रुपये से अधिक सीधे उसके और परिजनों के खाते में पहुंचने पुष्टि हो चुकी है।
आलोक दुबे वर्ष 1993 में लेखपाल पद पर भर्ती हुआ था। कानपुर में लंबे समय तक सदर तहसील में तैनात रहने के दौरान उसने जमीन के सौदों में गहरी पकड़ बना ली। वर्ष 2015 से 2022 तक वह लेखपाल संघ का तहसील अध्यक्ष भी रहा। 2023 में उसे कानूनगो पद पर पदोन्नति मिली, लेकिन ज्वाइनिंग न कराकर उसने खुद को फिर से सदर तहसील से संबद्ध करा लिया।
जांच में यह भी सामने आया है कि आलोक दुबे बिल्डरों का एजेंट बनकर जमीन की खरीद-बिक्री करता था। अधिवक्ता संदीप सिंह की जमीन गाटा संख्या 207 को उसने मई 2024 में 15 लाख रुपये में खरीदा और पांच माह बाद बिल्डर आरएनजी इंफ्रा को 24.75 लाख रुपये में बेच दिया। इसी तरह, रामपुर भीमसेन की एक अन्य जमीन को 20 लाख रुपये में खरीदकर 32.50 लाख रुपये में आगे बेच दिया। इस मामले में अधिवक्ता की शिकायत पर मार्च 2025 में मुकदमा दर्ज हुआ था। पुलिस की जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट दाखिल होने वाली है।
जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि आरोपित लेखपाल के खिलाफ कई स्तरों पर जांच के साथ ही कार्रवाई चल रही है। भ्रष्टाचार में संलिप्त किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।
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