Metro In Kanpur: लखनऊ से सबक लेकर कानपुर की मेट्रो में थर्ड रेल का हुआ प्रयोग, क्या है वजह जानिए
लखनऊ में मेट्रो को शुरू किया तो वहां सबसे ज्यादा उड़ने वाली पतंगें इसके लिए सिरदर्द बन गईं। बहुत से लोग पतंग में तार लगाकर उड़ाते हैं। यह तार किसी भी तरह अगर मेट्रो के ओवर हेड वायर पर छू गया तो मेट्रो की लाइन ट्रिप हो जाती है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। उत्तर भारत में मेट्रो में थर्ड रेल सबसे पहले कानपुर में ही नजर आई है। अब कानपुर ही नहीं, आगरा में भी थर्ड रेल का ही मेट्रो में प्रयोग किया जाएगा। इसके पीछे कारण है ओवर हेड वायर में लखनऊ में आने वाली समस्याएं। वास्तव में उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन ने लखनऊ से सबक लेकर ही कानपुर और आगरा में थर्ड रेल को इस्तेमाल किया। हालांकि कानपुर में शुरुआती दौर में ओवरहेड वायर की ही बात थी लेकिन लखनऊ में इससे परेशान अधिकारियों ने यहां थर्ड रेल को वरीयता दी।
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन ने लखनऊ में मेट्रो को शुरू किया तो वहां सबसे ज्यादा उड़ने वाली पतंगें इसके लिए सिरदर्द बन गईं। बहुत से लोग पतंग में तार लगाकर उड़ाते हैं। यह तार किसी भी तरह अगर मेट्रो के ओवर हेड वायर पर छू गया तो मेट्रो की लाइन ट्रिप हो जाती है। कई बार पतंग उड़ाने के दौरान उसके साथ बंधा तार मेट्रो के तार से छू जाता है तो कभी पतंग कटने के बाद डोर को वापस खींचते समय तार ओवर हेड वायर से छू जाता है।
मेट्रो अधिकारियों के मुताबिक ओवरहेड लाइन एक बार ट्रिप होने पर आधा से पौन घंटे का समय दोबारा चालू होने में लगता है और इस बीच मेट्रो की ट्रेनें एक के पीछे एक खड़ी रहती हैं। लखनऊ में मेट्रो ने बहुत सारे जागरूकता अभियान चलाए। मोहल्लों में टीम भेज कर लोगों को बताया कि मेट्रो की लाइन के पास तार लगाकर पतंग ना उड़ाएं। इसके बाद भी कई वर्ष बाद भी अब तक लाइन इसकी वजह से ट्रिप होती है। इसीलिए जब कानपुर और आगरा की मेट्रो का नंबर आया तो मेट्रो अधिकारियों ने लखनऊ से सबक लेते हुए ओवरहेड वायर की जगह थर्ड रेल को वरीयता दी। थर्ड रेल के ऊपरी हिस्से पर प्लास्टिक का कवर लगा रहता है। इसकी वजह से किसी पतंग के कटने पर उसकी डोर खींचते समय अगर उसमें तार लगा भी होगा तो वह थर्ड रेल से नहीं छुएगा। खुद मेट्रो एमडी कुमार केशव का कहना है कि लखनऊ से सबक लेकर कानपुर और आगरा में थर्ड रेल को चुना गया। इसमें ट्रेन के ठीक बगल में एक पटरी चलती है जिससे करंट जाता है। इससे कोई भी वायर ट्रेन के ऊपर नहीं रहता।