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    अखिलेश दुबे की 14 दिन की न्यायिक रिमांड, बीमारी का हवाला दे कोर्ट में नहीं हुआ पेश

    Updated: Wed, 15 Oct 2025 11:16 PM (IST)

    अखिलेश दुबे को 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर भेजा गया है। स्वास्थ्य कारणों से वह कोर्ट में पेश नहीं हो सके, जिसके चलते कई अटकलें लगाई जा रही हैं। अदालत ने उनकी रिमांड मंजूर कर ली है।

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    Akhilesh Dubey News

    जागरण संवाददाता, कानपुर। होटल संचालिका प्रज्ञा त्रिवेदी के जूही थाने थाने में दर्ज डकैती-मारपीट समेत धाराओं में दर्ज मुकदमे के आरोपित अखिलेश दुबे की एसीजेएम-2 की कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक रिमांड मंजूर कर ली है। वर्ष 2011 में प्रज्ञा के दर्ज मुकदमे में पांच घंटे के भीतर एफआर लगाने के मामले में 14 साल बाद कोर्ट के आदेश पर पुनर्विवेचना हो रही है।

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    साकेत नगर निवासी होटल संचालिका प्रज्ञा त्रिवेदी के मुताबिक, वर्ष 2009 में उनका पार्टनरशिप में बारादेवी में एक होटल था, जिसमें एक दिन अधिवक्ता अखिलेश दुबे, उसके टाइपिस्ट अजय निगम समेत आरोपितों ने होटल में घुस आए और दो लाख रुपये रंगदारी मांगी। रुपये न देने पर उन्हें पीटा और रिश्तेदार से जबरन 1.20 लाख रुपये ले गए। अखिलेश दुबे, अजय निगम समेत अन्य के खिलाफ तहरीर दी। सुनवाई न होने पर कोर्ट में गुहार लगाई, लेकिन जूही पुलिस ने 2011 में अखिलेश का नाम जबरन हटवा कर अजय निगम व अज्ञात पर डकैती, मारपीट, धमकी की धारा में मुकदमा दर्ज किया।

    आरोप है कि करीब पांच घंटे के भीतर पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट लगा मामले को खत्म कर दिया। उन्होंने आठ सितंबर को कोर्ट से करते हुए पुनर्विवेचना की गुहार लगाई। 22 सितंबर को अपर सिविल जज जूनियर डिवीजन ईशा अग्रवाल की कोर्ट में पीड़िता का पक्ष सुना गया। पुलिस आयुक्त को निर्देश दिए कि मामले की जांच एसीपी स्तर के अधिकारी से तीन दिन के भीतर कराने व तत्कालीन विवेचक राजेश तिवारी के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कराएं।

    इसके बाद जांच एसीपी नौबस्ता चित्रांशु गौतम को दी गई। उन्होंने पीड़िता के मजिस्ट्रेटी बयान कराए। बयान में प्रज्ञा ने बताया कि अखिलेश दुबे, भूपेश अवस्थी, उसके बेटे रोहित अवस्थी, अजय निगम का भाई अनुज निगम और दो-तीन अज्ञात असलहे लेकर आए और लात-घूंसों से पीटा था। समय पर रुपये भिजवाने की भी धमकी दी थी।

    मामले में आरोपितों का नाम बढ़ाने के बाद विवेचक ने कोर्ट में न्यायिक रिमांड लेने के लिए आवेदन किया। बुधवार को डीसीपी दक्षिण दीपेंद्र नाथ चौधरी ने बताया कि कोर्ट ने अखिलेश दुबे की 14 दिन की न्यायिक रिमांड मंजूर कर ली गई है।

    बीमार बता कोर्ट नहीं आने की रही चर्चा


    पुलिस सूत्रों के अनुसार, प्रज्ञा त्रिवेदी के प्रकरण में अखिलेश दुबे को जेल से कोर्ट में हाजिर करना था, लेकिन वह बीमारी बता जेल से बाहर नहीं निकल रहा था। काफी प्रयास के बाद उसे कोर्ट लाया गया, जहां पर भी वह हस्ताक्षर नहीं कर रहा था। बहुत प्रयास के बाद उसने हस्ताक्षर किए। उसकी इस हरकतों पर पुलिसकर्मी भी हैरान रहे।

     

    इधर, कोर्ट ने स्वीकार की भाजपा नेता पर दर्ज मुकदमे की अंतिम रिपोर्ट


    भाजपा नेता रवि सतीजा पर दुष्कर्म-पाक्सो समेत कई धाराओं में दर्ज मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट को कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। मामले में वादी व उसकी बहन ने बयान व शपथपत्र देते हुए कहा कि उसने अखिलेश दुबे और उसके साथियों के दबाव में मुकदमा दर्ज कराया था लेकिन पुलिस ने जांच के बाद अंतिम रिपोर्ट लगाई है। जांच से वे संतुष्ट हैं। अंतिम रिपोर्ट स्वीकार होने से रवि सतीजा को काफी राहत मिलेगी।

    उस्मानपुर कच्ची बस्ती की महिला ने 31 नवंबर 2024 को भाजपा नेता रवि सतीजा और ध्रुव गुप्ता के खिलाफ दुष्कर्म का प्रयास, पाक्सो, मारपीट समेत धाराओं में बर्रा थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। ये मुकदमा कोर्ट के आदेश पर हुआ था, जिसमें महिला ने बताया कि ध्रुव उसकी छोटी नाबालिग बहन को नौकरी के बहाने चार जनवरी 2024 को रवि सतीजा के होटल सोना मेंशन की तीसरी मंजिल पर ले गया, जहां सतीजा शराब पी रहा था और बहन को देख छेड़छाड़ करने लगा। कहा कि नौकरी करने आई है तो ये सब करना पड़ेगा। इसके पैसे अलग से मिलेंगे। बहन से दुष्कर्म का प्रयास किया। बहन किसी तरह से भागकर होटल से बाहर आई और वहां से गुजर रहे अभिषेक बाजपेई की सहायता से घर पहुंची। उसके अगले दिन पांच जनवरी 2024 को भी आरोपितों ने बहन को गाड़ी में बैठाने का प्रयास किया और गाली-गलौज कर धमकाया।

    इस मुकदमे की विवेचना के दौरान पाक्सो अधिनियम व लैंगिक अपराध से संबंधित धाराएं हटाई गईं। इसके बाद अंतिम आख्या 29 अप्रैल 2025 व वादिनी के खिलाफ धारा 182 के तहत किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए झूठा सूचना देने की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। कोर्ट ने दोनों बहनों को नोटिस जारी किया, जिस पर वे दो सितंबर 2025 को कोर्ट में आईं। उन्होंने अपने बयान व कोर्ट को दिए शपथ पत्र में कहा कि वह रवि सतीजा और ध्रुव गुप्ता को नहीं जानती हैं। अखिलेश दुबे और उसके साथियों के दबाव में मुकदमा कराया था। उन्होंने विवेचना व अंतिम संख्या से संतुष्टि जताई। मामले में न्यायालय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सूरज मिश्रा की कोर्ट ने वादिनी मुकदमा के प्रार्थना पत्र को स्वीकार किया। बर्रा थाने में दर्ज मुकदमे में अंतिम आख्या 29 अप्रैल 2025 को स्वीकार किया और विवेचक द्वारा प्रस्तुत धारा 182 की रिपोर्ट निरस्त करने व पत्रावली बाद आवश्यक कार्यवाही नियमानुसार करने के आदेश दिए।

    वहीं, पुलिस आयुक्त कार्यालय में अखिलेश दुबे की बेटी व शिकायतकर्ताओं का आमना-सामना

    जेल में बंद अधिवक्ता अखिलेश दुबे की बेटी आंचल को लेकर पुलिस आयुक्त कार्यालय में बुधवार दोपहर चर्चाएं रहीं। पिता के जेल जाने के बाद वह पहली बार पुलिस आयुक्त से मिलने आई थीं। इस दौरान उनके पिता के खिलाफ शिकायत करने पहुंचे भाजपा नेता व अधिवक्ता से उनका आमना-सामना हुआ। पहले भाजपा नेता इसके बाद आंचल ने पुलिस आयुक्त से मिलकर अपनी बात रखी। पुलिस आयुक्त ने दोनों ही पक्षों की बात सुनकर एसआइटी की जांच व साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।

    बर्रा के जूही डब्ल्यू ब्लाक निवासी भाजपा नेता रवि सतीजा ने अखिलेश दुबे, लवी मिश्रा, विमल यादव, अभिषेक बाजपेई, शैलेंद्र यादव उर्फ टोनू समेत आरोपितों के खिलाफ रंगदारी मांगने, धमकाने समेत धाराओं में बर्रा थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें अखिलेश, लवी और शैलेंद्र यादव को पुलिस ने जेल भेजा। इसके बाद अखिलेश दुबे के खिलाफ किदवई नगर थाने दो, ग्वालटोली व कोतवाली थाने में एक-एक मुकदमे दर्ज हुए। इसमें दो मुकदमों में अखिलेश को जमानत भी मिल गई जबकि उसके खिलाफ अभी भी लगभग 20 मामलों की जांच एसआइटी कर रही है।

    अखिलेश पर और मुकदमे दर्ज न हों और उन्हें बेकसूर बताने के लिए उसकी बेटी आंचल बुधवार को पुलिस आयुक्त कार्यालय पहुंचीं, जहां उसका सामना भाजपा नेता व अधिवक्ता मनोज सिंह, आशीष शुक्ला समेत अन्य लोगों से हुआ। उन लोगों ने भी अखिलेश के खिलाफ झूठा मुकदमा लिखा रंगदारी मांगने समेत आरोप लगा तहरीर दी थी, जिसकी एसआइटी जांच कर रही है। आंचल ने उन्हें देखा तो साथ अंदर जाने के लिए मना कर दिया। इससे मनोज सिंह व आशीष शुक्ला समेत लोग पुलिस आयुक्त से पहले मिले। उनके जाने के बाद आंचल ने लगभग 30 मिनट तक बातचीत कर अपना पक्ष रखा।

    इस संबंध में मनोज सिंह ने बताया कि उनकी शिकायत दो-ढाई माह से एसआइटी की जांच में फंसी है। मुकदमा दर्ज न होने पर पुन:तहरीर दी है। वहीं, आंचल दुबे से बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने जानकारी देने से इन्कार कर दिया।

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