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    IIT Kanpur के Room No. 123 का खौफनाक सच, चार दिन पहले हो चुकी थी बंद कमरे में आइआइटीयन की मौत

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 09:07 PM (IST)

    हरियाणा की छात्र ने आईआईटी कानपुर के हास्टल में चार दिन पहले आत्महत्या कर ली थी। कमरा नंबर 123 में रहने वाले छात्र धीरज की मौत से हर कोई हैरान है। चार दिन से कमरा नंबर 123 बंद था इसके बावजूद किसी ने ध्यान नहीं दिया। दुर्गंध के बाद पता चलता है कि छात्र ने आत्महत्या कर ली।

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    ताऊ बोले- फलों का ठेला लगा भतीजे को बनाया था आइआइटीयन, सब कुछ हुआ बर्बाद

    जागरण संवाददाता, कानपुर। फलों का ठेला लगाकर भतीजे को आइआइटी तक बड़े संघर्षों के बीच पहुंचाया था। वह बहुत मेधावी था। सोचा था कि इंजीनियर बनकर परिवार का नाम रोशन करेगा व घर की आर्थिक स्थिति सुधारेगा, लेकिन आइआइटी प्रबंधन की लापरवाही से उसकी जान चली जाएगी, यह नहीं जानते थे। प्रबंधन को चार दिन तक उसके बाहर नहीं दिखने पर जाकर देखना चाहिए था। यह बात आइआइटी परिसर स्थित छात्रावास के कमरे में आत्महत्या करने वाले छात्र धीरज के ताऊ सतेंद्र ने गुरुवार को पोस्टमार्टम हाउस के बाहर की।

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    उन्होंने बताया कि वह बहुत रिजर्व नेचर का था, किसी से ज्यादा बात नहीं करता था। तीन दिन पहले चाचा संदीप ने धीरज को फोन किया था, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया था। गुरुवार दोपहर करीब एक बजे पोस्टमार्टम के बाद स्वजन शव लेकर हरियाणा चले गए। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शव लगभग चार दिन पुराना होने की बात सामने आई है।

    IIT Kanpur Suicide

    पोस्टमार्टम हाउस में मौजूद आईआईटी छात्र धीरज के ताऊ (बाएं) से सत्येंद्र कुमार व बड़ा भाई नीरज(दाएं) मध्य में अन्य स्वजन।जागरण

    मूलरूप से हरियाणा के महेंद्रगढ़ कुचौली रोड सकरकुई निवासी सतीश का 25 वर्षीय बेटा धीरज सैनी आइआइटी में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में बीटेक अंतिम वर्ष का छात्र था। वह छात्रावास संख्या एक के कमरा नंबर ए-123 में रहता था। बुधवार सुबह 10 बजे उसके कमरे के बाहर से गुजरे छात्रों ने दुर्गंध आने पर आइआइटी प्रशासन को बताया, तब पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तो घटना पता चली थी।'यह भी पढ़ें- IIT Kanpur में बढ़ रहे आत्महत्या के मामले, स्टडी प्रेशर या कुछ और...?

    ताऊ सतेंद्र ने बताया कि धीरज ने छठवीं से हाईस्कूल तक हरियाणा में शिक्षा ली थी। वहां फीस जमा न होने पर स्कूल प्रबंधन ने हाईस्कूल का प्रमाण पत्र रोक लिया था। चाचा संदीप ने लोगों से उधार लेकर 1.50 लाख रुपये जमा किए थे, तब प्रमाणपत्र मिला था। सुबह चार बजे से फल की रेहड़ी लगाकर भतीजे की पढ़ाई का खर्च उठाया था। इंटर के बाद उसे राजस्थान के सीकर लेकर गए, जहां कोचिंग के बाद आइआइटी कानपुर में इलेक्ट्रिकल इंजीनियिरंग में 2022 में प्रवेश मिला था। सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था, लेकिन समझ नहीं आया कि उसने ऐसा कदम क्यों उठा लिया।

    यह भी पढ़ें- IIT Kanpur के हास्टल में बीटेक फाइनल ईयर के छात्र ने की आत्महत्या, बंद कमरे से आ रही थी बदबू

    आइआइटी में केवल 2024 से अब तक पांच छात्र आत्महत्या कर चुके हैं, जिससे साफ है कि काउंसलिंग सेल महज दिखावा है। धीरज ने एनआइटी के बजाय सिर्फ आइआइटी को चुना। हमने उस पर कोई दबाव नहीं बनाया था, उससे कहते थे कि बेटा तुम पढ़ाई करो।वह आखिरी बार मई में घर आया था। बहुत अच्छा एथलीट था। क्रिकेट का भी शौक था। आइआइटी क्रिकेट टीम का उपकप्तान भी था। कानपुर निवासी रिश्तेदार एसएन सैनी ने बताया कि आइआइटी में उसकी बहुत ही रहस्यमयी ढंग से मौत हुई है। प्रबंधन अपनी छवि धूमिल होने से बचाने के लिए उसकी आत्महत्या पर ध्यान ही नहीं देगा। बाकी छात्र-छात्राओं की तरह उनके बच्चे धीरज की मौत की फाइल भी धूल खाएगी।

    स्वजन ने बताया कि छात्र धीरज पिछले माह अपने घर गया था। वहां कुछ बातें हुई हैं, लेकिन ऐसी क्या बात हुई जिसकी वजह से उसने ये कदम उठाया। इसे वे नहीं बता रहे हैं। फिलहाल वे शव लेकर अपने साथ चले गए हैं।

    - दिनेश त्रिपाठी, डीसीपी पश्चिम