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    Trump का निर्णय घातक? H-1B Visa से अमेरिकी कंपनियों में भारतीय टैलेंट के लिए खुलेगी वर्क फ्राम होम की राह

    Updated: Mon, 22 Sep 2025 06:15 AM (IST)

    कानपुर के उद्यमियों के अनुसार एच-1बी वीजा शुल्क को 1 लाख डॉलर करने से अमेरिकी कंपनियों को परेशानी हो सकती है लेकिन वर्क फ्रॉम होम के अवसर बढ़ सकते हैं। यह फैसला अमेरिकी आईटी क्षेत्र में भारतीय युवाओं के दबदबे को देखते हुए नुकसानदायक हो सकता है। वीजा पर रोक से अनुसंधान पर असर पड़ेगा और युवाओं के लिए अमेरिका में नौकरी पाना मुश्किल हो जाएगा।

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    ट्रंप के फैसले से अमेरिका की बढ़ेंगी मुश्किलें।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। एच-1बी वीजा को एक लाख डालर का कर देने से कुछ समय के लिए तो मुश्किल हो सकती है लेकिन इसकी वजह से अमेरिकी कंपनियों में वर्क फ्राम होम की राह भी खुलेगी। शहर के उद्यमियों के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जो निर्णय लिया है, यह उनके लिए ही घातक हो सकता है क्योंकि अमेरिका में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय युवा ही हावी हैं। इसके साथ ही इसका एक लाभ यह भी हो सकता है कि भारत की मेधा देश में ही अपनी प्रतिभा का प्रयोग करेगा।

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    इस वीजा का इस्तेमाल वे लोग करते हैं जो अमेरिका में लंबे समय के लिए काम करने जाते हैं। कंपनियां ही इस वीजा को अपने कर्मचारी के लिए लेती हैं, इससे उनकी लागत काफी ज्यादा बढ़ जाएगी। इसकी वजह से तमाम कंपनियां इस भार को उठाने से मुंह मोड़ सकती हैं। इसी वजह से भर्ती के नए तरीकों का ईजाद किया जा सकता है।

    इसकी वजह से आइटी सेक्टर से जुड़े लोगों पर असर पड़ेगा। हालांकि विश्व के दूसरे स्थान खुलेंगे। इसके साथ ही जिस तरह कोरोना के दौरान वर्क फ्राम होम का रास्ता खुला था, यह आपदा भी तमाम कंपनियों को वर्क फ्राम होम का विकल्प दे सकती है। हालांकि भारत और अमेरिका के समय की वजह से इसमें थोड़ी सी दिक्कत हो सकती है।

    - मानस सेठ, संस्थापक, गुढ़ग्राम प्राइवेट लिमिटेड।

    यह फैसला अमानवीय है। कम से कम एक से दो साल का नोटिस पीरियड होना चाहिए था। इसने वैश्विक स्तर पर उच्च शिक्षा और पेशेवर अवसरों की दिशा में सोचने वाले भारतीय युवाओं के बीच चिंता और असमंजस पैदा कर दिया है। इससे हजारों युवाओं का भविष्य एक झटके में बदल सकता है। यह न केवल करियर बल्कि मानसिक संतुलन को भी प्रभावित करता है।

    - विनायक पाठक, अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी से शोधकर्ता।

    अमेरिका की ओर से वीजा पर रोक लगाने का असर शोध एवं अनुसंधान गतिविधियों पर पड़ सकता है। इससे दोनों ही देशों के विज्ञानियों के उन अनुसंधान कार्यों पर विपरीत असर पड़ेगा जो पहले से सहयोग संबंधों के अनुसार संचालित हो रहे हैं। अमेरिका और भारत के विज्ञानी एक -दूसरे के देश में जाकर शोध एवं अनुसंधान करते रहे हैं।

    - डा. सुधीर कुमार शर्मा, पूर्व कुलसचिव, एचबीटीयू।

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी है। अमेरिका में ज्यादातर काम करने वाले एशियन देशों के हैं। इसमें भी भारतीय सबसे ज्यादा हैं। इस वीजा को भारतीय ही सबसे ज्यादा ले रहे थे। कंपनियों को इसकी वजह से अब किसी को अपने यहां काम पर रखने में लागत ज्यादा आएगी। इसका प्रभाव युवाओं के ऊपर पड़ेगा।

    - आलोक अग्रवाल, राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष, आइआइए।

    जो लोग भारत में पढ़ाई कर अमेरिका में नौकरी करने का सपना देख रहे हैं, उनके लिए अब मुश्किलें हैं। यह ऐसी राशि है जो पढ़ाई करके निकले किसी नए युवा के लिए वहन करना आसान नहीं है। कंपनियां भी इसकी वजह से अब भारतीय युवाओं को लेने से हिचकेंगी। अब युवाओं को अपनी प्रतिभा का और प्रदर्शन करना होगा ताकि कंपनियां इसके बाद भी उन्हें लें।

    - मिक्की मनचंदा, अध्यक्ष, आल इंडिया आयल सोप मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन।

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