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    यूपी के इस शहर में पासपोर्ट के दुरुपयोग की आशंका, सतर्क हुईं खुफिया एजेंसी; तीन पुलिसकर्मी हो चुके हैं निलंबित

    Updated: Sun, 09 Mar 2025 02:38 PM (IST)

    गोरखपुर में पासपोर्ट के दुरुपयोग की आशंका से खुफिया एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। राजेश सिंह के नाम से बना पासपोर्ट दो महीने पहले जारी हुआ था। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गिरोह ने और कितने लोगों के लिए पासपोर्ट बनवाए हैं और कहीं इनका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों के लिए तो नहीं किया गया। इस मामले में तीन सिपाही निलंबित हो चुके हैं।

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    फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाने का मामला। जागरण (सांकेतिक तस्वीर)

    जागरण संवाददाता, गोरखपुर। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनवाने के मामले की जांच गहराई से की जा रही है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गिरोह ने और कितने लोगों के लिए पासपोर्ट बनवाए हैं और कहीं इनका इस्तेमाल अवैध गतिविधियों के लिए तो नहीं किया गया।

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    इसके लिए पासपोर्ट कार्यालय और अन्य सरकारी एजेंसी से डेटा मांगा गया है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि कितने ऐसे आवेदन हुए हैं जिनमें दस्तावेजों में गड़बड़ी पाई गई है। शुक्रवार को इसी मामले में एसएसपी ने तीन सिपाहियों को निलंबित किया था।

    मुख्य आरोपित राजेश सिंह के नाम से बने फर्जी पासपोर्ट को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं।पुलिस यह भी जांच कर रही है कि यह पासपोर्ट अब कहां है और इसका दुरुपयोग तो नहीं हुआ। इस संबंध में विदेश मंत्रालय से पत्राचार कर जानकारी मांगी जाएगी कि क्या इस पासपोर्ट का इस्तेमाल भारत से बाहर जाने के लिए किया गया है।

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    सूत्रों के अनुसार, पासपोर्ट दो महीने पहले जारी किया गया था, लेकिन इसे किस उद्देश्य के लिए बनवाया गया, इस पर अभी भी संशय बना हुआ है। खुफिया एजेंसियां भी अब इस मामले में सक्रिय हो गई हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी कड़ियों को जोड़ने की कोशिश की जा रही है।

    विशाल सिंह और हरेंद्र प्रताप से पूछताछ की तो पता चला कि यह लोग फर्जी पासपोर्ट बनवाने के लिए पांच से सात हजार रुपये तक लेते थे। यह गिरोह फर्जी आधार कार्ड, बैंक खाते और अन्य दस्तावेज तैयार कर उन्हें असली की तरह दिखाने में माहिर था। पुलिस अब यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इनके संपर्क में और कौन-कौन लोग थे और क्या कोई सरकारी अधिकारी भी इसमें शामिल था।

    पुलिस ने दो आरोपियों को किया अरेस्ट। जागरण


    मोबाइल डेटा से जुड़ेगी कड़ियां

    आरोपितों को जेल भेजने के बाद पुलिस अब उनके मोबाइल डेटा की गहन जांच करा रही है। इससे यह पता लगाने की कोशिश होगी कि इनके संपर्क में और कौन-कौन लोग थे और इस नेटवर्क का दायरा कितना बड़ा था। पुलिस को संदेह है कि इस गिरोह के तार गोरखपुर के बाहर भी फैले हो सकते हैं और इसमें कई और लोग शामिल हो सकते हैं।

    सत्यापन पुलिसकर्मी हो चुके हैं निलंबित :

    जांच के दौरान यह भी सामने आया कि गोरखनाथ थाने के सिपाही शशिकांत, दिलीप कुमार भारती और पुलिस लाइन में तैनात सिपाही मोहम्मद फहीम ने राजेश सिंह के पासपोर्ट का सत्यापन किया था। मामला सामने आने पर एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने शुक्रवार को तीनों को निलंबित कर दिया था।

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    इन बिंदुओं पर चल रही जांच :

    • पुलिस अब विदेश मंत्रालय और पासपोर्ट कार्यालय से संपर्क कर यह पता लगाएगी कि क्या इस पासपोर्ट का इस्तेमाल विदेश यात्रा के लिए किया गया है।
    • आरोपितों के बैंक खातों और लेन-देन की जांच होगी, ताकि यह पता चल सके कि फर्जी पासपोर्ट बनवाने के लिए कितने लोगों ने भुगतान किया था।
    • मोबाइल रिकार्ड और काल डिटेल खंगाली जाएंगी, जिससे इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की पहचान की जा सके। खुफिया एजेंसी इस बात की भी जांच कर रही हैं कि क्या इस गिरोह का संबंध किसी बड़े अपराध या आतंकवादी गतिविधियों से तो नहीं है।