गाजीपुर में हर महीने एक हजार लोगों को नोंच रहे आवारा कुत्ते, उपचार की व्यवस्था भी लाचार
गाजीपुर में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है जिससे लोग दहशत में हैं। नगरपालिका की लापरवाही के चलते रैबीज से दो लोगों की मौत हो चुकी है। प्रतिदिन 30-35 लोग कुत्तों के काटने का शिकार हो रहे हैं। डॉक्टर धनंजय वर्मा ने कुत्ते काटने पर तुरंत घाव धोने और टीका लगवाने की सलाह दी है।

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। आवारा श्वानों का आतंक शहर से लेकर गांव तक हर जगह दिखाई दे रहा है। पैदल, साइकिल या बाइक से जाते हुए लोगों को श्वान कब और कहां दौड़ा लेंगे, इसका कोई अंदाजा नहीं।
श्वान से बचने के चक्कर में कई बार तो लोग दुर्घटना के शिकार हो गए हैं, लेकिन नगरपालिका व नगरपंचायतों से लेकर जिला पंचायतें भी इसको लेकर बेपरवाह बनी हुई हैं, जिसका परिणाम आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। प्रतिदिन ये श्वान कम से कम 30 से 35 लोगों को काट रहे हैं। प्रतिमाह औसतन एक हजार लोग श्वान के हमले के शिकार हो रहे हैं।
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दो माह के भीतर रैबीज से दो मौत
नौकरी करने के दौरान एक महीने पहले दिल्ली में श्वान के काटने से रायपुर बाघपुर गांव निवासी सोनू की मौत हो गई। उसने एंटी रैबीज नहीं लगवाई। कुछ दिनों में हालत बिगड़ने से उसकी मौत हो गई। दो महीने पहले ही खानपुर के नेवादा गांव की आरती देवी को दो माह के श्वान का बच्चा काट लिया, जिससे उनके शरीर में रैबीज फैलने से उनकी मौत हो गई। आमतौर पर लोग छोटे बच्चों में रैबीज न होने की भ्रांति से इलाज में एंटी रैबीज नहीं लगवाई, जिससे मौत हो गई।
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बोले पीड़ित
परिवार की गाड़ी खींचने के लिए बेटे को नौकरी करने दिल्ली भेजा था, लेकिन श्वान ने उसकी जान ले ली। जानकारी न होने के चलते वह एंटी रैबीज नहीं लगवा पाया, नहीं तो मेरा बेटा जिंदा होता। -नंदू राजभर, (मृतक सोनू के पिता), निवासी निरायपुर बाघपुर।
- अगर श्वान काट लेता तो जरुरी एंटी रैबीज लगवाते, लेकिन आरती को केवल दो महीने के श्वान के बच्चे ने हल्का सा काटा था। हम लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसका परिणाम आरती काे जान गंवानी पड़ी। अब इसका पछतावा होता है। -जितेंद्र सिंह, (मृतका के जेठ) निवासी नेवादा।
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संसाधनविहीन नगरपालिका नहीं चलाता कोई अभियान
नगर पालिका संसाधनविहीन होने के कारण आवारा श्वानों को पकड़ने का कोई नियमित अभियान नहीं चला पा रही है। पिछले एक वर्ष में कुत्तों के हमले से कई लोग घायल हुए और कुछ की मौत भी हुई, जिनमें बच्चे शामिल हैं। नसबंदी और आश्रय गृह की कोई व्यवस्था नहीं है। पालतू कुत्तों के मालिक भी बिना पंजीकरण व नियंत्रण के उन्हें सड़कों पर छोड़ देते हैं।
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श्वान काटने के बाद क्या करें
राजकीय मेडिकल कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. धनंजय वर्मा ने बताया कि श्वान काटने पर सबसे पहले घाव को तुरंत बहते पानी और साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए। इसके बाद, घाव को एंटीसेप्टिक से साफ करके पट्टी बांधनी चाहिए। इसके बाद डाक्टर से मिलें और रैबीज व टिटनेस का टीका लगवाएं। बताया कि रैबीज एक घातक बीमारी है जो संक्रमित जानवरों के काटने से फैलती है। इसलिए, रैबीज का टीका लगवाना बहुत जरूरी है। टीके आमतौर पर कई खुराकों में दिए जाते हैं, और यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आप सभी खुराक समय पर लें।
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