Fatehpur Temple Tomb Dispute: 18 दिन में 3 बार मकबरा-मंदिर विवाद की सुनवाई, 24 सितंबर को अहम दिन
फतेहपुर में मंदिर-मकबरा विवाद मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में सुनवाई हुई। वादी विजय प्रताप सिंह के नए वकील ने पेशी के लिए समय मांगा अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी। सुरक्षा के मद्देनजर कचहरी में पुलिस बल तैनात रहा। मंदिर संघर्ष समिति ने पूजा की अनुमति मांगी थी जिसके बाद विवाद शुरू हुआ था।

जागरण संवाददाता, फतेहपुर। मंदिर-मकबरा प्रकरण के बहुचर्चित मामले में बुधवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में 18 दिन के भीतर तीसरी बार सुनवाई हुई। हालांकि कोई बहस या साक्ष्य नहीं रखे गए। वादी विजय प्रताप सिंह की तरफ से नए अधिवक्ता राम शरण सिंह ने कोर्ट में वकालतनामा दाखिल किया और अपना तर्क रखने के लिए समय मांगा। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 सितंबर की तिथि नियत कर दी है। सुरक्षा की दृष्टि से कचहरी में पुलिस बल तैनात रहा, दोनों पक्षों से लोग मौजूद रहे।
वर्ष 2010 में सिविज जज सीनियर डिवीजन ने टाइटिल सूट का फैसला सुनाते हुए असोथर के रामनरेश सिंह के नाम वाली जमीन खारिज करते हुए भूमि पर मकबरा मंगी का नाम दर्ज करने का आदेश दिया था। इस मुकदमें के खिलाफ राम नरेश सिंह ने 2014 में रेस्टोरेशन दायर किया था, अब उनके पुत्र विजय प्रताप सिंह कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं।
विजय प्रताप सिंह ने जरिए अधिवक्ता कोर्ट में यह अपील की थी कि मुकदमा दौरान पक्षकार रहे मुतवल्ली अनीश की मृत्यु हो चुकी है अब उनके स्थान पर नए मुतवल्ली अबू हरेरा को पक्षकार बनाया जाए। 10 सितंबर की तारीख में कोर्ट ने बेटे को पक्षकार बना दिया। अब तक वादी मुकदमा की तरफ से कोर्ट में अधिवक्ता रामजी सहांय, राम किशोर, अभय प्रताप लड़ रहे थे, लेकिन बुधवार को नए अधिवक्ता राम शरण सिंह भी वादी पक्ष की तरफ से शामिल हुए हैं।
वादी पक्ष के अधिवक्ता रामजी सहायं ने कहा कि अब हम अगली तिथि में अपनी बात रखेंगे। मकबरा पक्ष के अधिवक्ता अनिल श्रीवास्तव व मो. फिरोज हैं। कोर्ट ने अगली तिथि 24 सितंबर नियत की है, उसदिन वह अपना पक्ष रखेंगे।
सुरक्षा की दृष्टि से कचहरी में पुलिस बल रहा मुस्तैद
मंदिर-मकबरा प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसपी अनूप सिंह ने कचहरी में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनात की थी। कलेक्ट्रेट चौकी, परिसर से लेकर दीवानी न्यायालय परिसर तक पुलिस के जवान तैनात रहे। उधर खुफिया पुलिस भी एक बस्ते से दूसरे बस्ते में बैठकर गुप्त सूचनाएं एकत्रित करती हुई नजर आई। जबकि विवादित स्थल पर अस्थाई पुलिस चौकी बनाकर पहले से ही निगरानी की जा रही है।
जानें क्या है पूरा मामला
आबूनगर मोहल्ले के रेडइया स्थिति पुरानी इमारत को लेकर सात अगस्त 2025 को मठ-मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति ने डीएम रविंद्र सिंह को ज्ञापन देकर पुरानी इमारत को मंदिर बताते हुए साफ-सफाई व पूजा पाठ की अनुमति मांगी थी। प्रशासन ने अनुमति नहीं दी तो 11 अगस्त को सनातनियों का एकत्रीकरण भाजपा जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल द्वारा किया गया। इसी दिन करीब 11.30 बजे तीन सौ लोगों ने पुरानी इमारत में घुसकर पूजापाठ की और यहां बनीं मजारे में तोड़फोड़ की। इस दौरान दोनों पक्ष से ईट-पत्थर चले। पुलिस ने 10 नामजद और 150 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज किया। जबकि कमिश्नर व आइजी ने यहां छह दिन कैंप कर संयुक्त रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजी। तब से अब तक पुरानी इमारत पुलिस अभिरक्षा में है। और प्रवेश रोका गया है।
जानें कब-कब क्या हुआ
10 अगस्त : इसी दिन शुरू हुआ विवाद
फतेहपुर के आबूनगर रेडइया में अति प्राचीन भवन में मंदिर-मकबरा का विवाद 11 अगस्त को शुरू हुआ था। मंदिर-मठ संरक्षण कमेटी के आवाहन पर भाजपा, विहिप जैसे कई संगठनों की भीड़ मकबरा को ठाकुरद्वारा बताकर मजारें तोड़ी, शंखध्वनि करके भगवा ध्वज लहरा दिया। विरोध में मुस्लिम एकत्रित हो गये और पुलिस पर पथराव किया। पांच घंटे तक बवाल हुआ। फिर पुलिस बल तैनात कर दिया गया।
11 अगस्त: तोड़फोड वाली तीन मजारों की रातो रात मरम्मत
मकबरे में हुई तोड़फोड़ को लेकर प्रशासन ने मध्यरात्रि में ही टूटी तीन मजारों में मरम्मतीकरण का कार्य करवा दिया है। पुलिस का सख्त पहरा बैठा दिया गया है। किसी को भी विवादित स्थल तक जाने की अनुमति प्रशासन ने नहीं दी गई। तीन लेयर की बैरीकेडिंग लगा दी गई।
13 अगस्त: मकबरे की एक किमी परिधि सील
विवादित मकबरा स्थल पर लगे बैरिकेड्स को ऊंचा कर दिया गया है। रास्तों में 50 बैरियर बढ़ा दिए गए। एक किलोमीटर की परिधि में पुलिस बल की तैनाती कर सीमाएं सील कर दी गईं थीं। तोड़फोड़ में नामित आरोपितों को पकड़ने के लिए छापेमारी हुई।
14 अगस्त: मकबरे की भूमि को लेकर सीएम ने मांगी रिपोर्ट
भाजपाइयों पर भूमि कब्जियाने के लगे आरोपों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन से रिपोर्ट मांगी। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत जिले में डेरा डालकर सभी दस्तावेजों की छानबीन करा रहे थे।
16 अगस्त: भूमि विवाद की 75 पेज की रिपोर्ट तैयार
भूमि विवाद पर पूरी रिपोर्ट मांगे जाने से अफसरों से लेकर नेताओं तक की बेचैनी बढ़ गई थी। विहिप व संघ जहां इस मामले को पाटने में लगा हुआ है, वहीं भाजपाई विपक्ष के घेरेबंदी का तोड़ निकालने में लगे हैं। कीमती भूमि को लेकर पहुंची शिकायत पर मुख्यमंत्री ने मंडलायुक्त से पूरे मामले की जांच रिपोर्ट मांगी थी। 10 अफसर व 12 लेखपालों ने लगभग 75 पेज की जांच रिपोर्ट तैयार कर ली थी।
17 अगस्त: 30 को अदालत में सुनवाई
एक सप्ताह में मठ-मंदिर संरक्षण समिति, विश्व हिंदू परिषद व भारतीय जनता पार्टी की तरफ से दस्तावेज एकत्रित किए जा रहे थे। अब मठ -मंदिर संरक्षण संघष समिति ने पुराने मुकदमे में अधिवक्ताओं का पैनल खड़ा करने की रणनीति बनाई। इस मामले में 30 अगस्त को कोर्ट में सुनवाई होनी थी।
30 अगस्त: 10 सितंबर मिली तारीख
मकबरा भूमि विवाद मामले की 30 अगस्त को अदालत में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की ओर से वकीलों ने अपने-अपने तर्क अदालत के सामने रखे थे।अदालत ने अगली तारीख 10 सितंबर दे दी थी।
10 सितंबर: 17 को सुनवाई
फतेहपुर के मंदिर-मकबरा प्रकरण के बहुचर्चित मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुनवाई हुई। न्यायालय ने वादी मुकदमा के अधिवक्ता की अपील को स्वीकार करते हुए मृतक मुतवल्ली अनीश की जगह उनके बेटे अबू हरेरा को पक्षकार बनाने पर सहमति जताई, अब तक विपक्ष पक्षकार बनाने पर सहमत नहीं था और जवाब दाखिल करने के लिए समय मांग रहा था। अब कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के लिए अगली तिथि 17 सितंबर तय कर दी है।
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