Bijnor: घरों से रोजाना पकड़े जा रहे सांप, इनमें अजगर और रसल वाइपर भी शामिल, डसने पर झाड़फूंक के फेर में नहीं पड़ें
Bijnor News बिजनौर जिले में घरों से रोजाना करीब एक दर्जन सांप पकड़े जा रहे हैं। इनमें अजगर और रसल वाइपर सहित कई दुर्लभ प्रजातियों के सांप भी शामिल हैं। लोगों को सांप के डसने पर झाड़फूंक के फेर में नहीं पड़ने और तत्काल उपचार कराने को जागरूक किया जा रहा है। झाड़फूंक कराने में समय बरबाद करना जानलेवा हो सकता है।

जागरण संवाददाता, बिजनौर। जिले में घरों में केवल रसल वाइपर ही नहीं कामन करैत सांप जैसे दुर्लभ सांप भी निकल रहे हैं। सांपों को पकड़कर जंगल में छोड़ रही है। साथ ही लोगों को सांप के डसने पर झाड़फूंक वालों के फेर में न फंसकर अस्पताल में जाकर उपचार कराने को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही सांपों को हानि न पहुंचाने को भी कहा जा रहा है।
सांपों का घरों में आना कोई बड़ी बात नहीं रहता है। हमेशा से ही घरों में खासतौर से गांवों में बिटौड़ों, भूसे के गाेदाम, पशुशाला यहां तक कि कमरों में भी सांप आ जाते थे। शहरों में भी इस तरह की घटनाएं हो जाती हैं। अब वन विभाग द्वारा सर्प मित्रों को भेजकर सांपों को पकड़वाया जा रहा है। यहां तक कि खेतों में भी सर्प मित्र सांपों को पकड़ने के लिए जा रहे हैं। पहले किसानों के घरों में कोबरा, रसल वाइपर यानि धामड़, रेट स्नेक यानि घोड़ा पछाड़ सांप ही दिखते थे या कहें कि लोगों को इन सांपों ही पहचान थी लेकिन सर्प मित्रों को अधिक सांपों की पहचान होती है।
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घरों से अब कामन करैत, राक पायथन यानि अजगर, कामन वुल्फ, वैलेड वुल्फ, कामन कुफरी, कामन करैत जैसे सांप भी पकड़े जा रहे हैं। सर्प मित्र भानु भास्कर के अनुसार काम केट स्नेक सांप दुर्लभ होता है लेकिन जिले में घरों में यह भी देखने को मिल रहा है। जो भी सांप पकड़ा जाता है उसे सुरक्षित स्थान पर छोड़ दिया जाता है।
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क्षेत्रीय वनाधिकारी महेशचंद्र गौतम का कहना है कि घरों में कई प्रजाति के सांप देखने को मिल रहे हैं। अच्छी बात यह है कि जिले के लोग सांपों को पकड़वाने के प्रति संवेदनशील हुए हैं। साथ ही सर्पदंश होने पर उपचार भी करा रहे हैं। यह अच्छी बात है, क्योंकि झाड़फूक के चक्कर में पड़ना जानलेवा हो सकता है।
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