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    बिजनौर में कब्रिस्तान में सफाई कर रहे थे मजदूर, तभी निकला कुछ ऐसा 'खजाना' कि खिल गए सभी के चेहरे

    Updated: Sun, 08 Dec 2024 09:41 AM (IST)

    करौंदा चौधर के कब्रिस्तान में मनरेगा के तहत सफाई के दौरान मजदूरों को 15 पौराणिक सिक्के मिले हैं। सिक्के सफेद रंग के हैं और चांदी के प्रतीत हो रहे हैं। सिक्कों पर अरबी भाषा में कुछ लिखा हुआ है। एक व्यक्ति ने बताया कि सिक्कों पर सन 1191 लिखा है। पुलिस ने सिक्कों को अपने कब्जे में ले लिया है और जिला प्रशासन को सूचना दे दी है।

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    कोतवाली देहात के गांव करौंदा चौधर में कब्रिस्तान की सफाई और मेढबंदी के दौरान मपरेगा मजदूरो मिलै हुए पौराणिक सिक्के

    संवाद सूत्र जागरण, कोतवाली देहात/बिजनौर। करौंदा चौधर में मनरेगा के तहत कब्रिस्तान में की जा रही सफाई और मेढ़बंदी के दौरान मजदूरों को पौराणिक सिक्के मिले हैं। पुलिस ने सिक्कों को कब्जे में लेकर जिला प्रशासन को सूचना दी है। सिक्के पुरातत्व विभाग को भेजे जाएंगे।

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    कोतवाली देहात क्षेत्र के गांव करौंदा चौधर के मौजा खेडकी में मनरेगा के अंतर्गत कब्रिस्तान की सफाई और मेढबंदी कराई जा रही थी। रोजगार सेवक मनोज सैनी के दिशा निर्देश में काम चल रहा था।

    14 मजदूर कर रहे थे काम

    मनरेगा मजदूर असफाक, नौशाद,जशीम, सीनू, भूरे और छात्रपाल समेत 14 मजदूर सफाई कर रहे थे। तभी एक मजदूर को खुदाई के दौरान मिट्टी की एक हांडी मिली। मिट्टी की हांडी को खोलने पर उसमें से 15 पौराणिक सिक्के मिले। सिक्के सफेद रंग के लग रहे हैं। देखकर लगता है कि सिक्के चांदी के हो सकते है।

    कोतवाली देहात के गांव करौन्दा चौधर का मामला

    घटना की सूचना मजदूर नौशाद ने ग्राम प्रधान पति इकरार अंसारी को दी। सिक्के मिलने की सूचना गांव में जंगल की आग की तरह फेल गुई।सिक्के मिलने की सूचना किसी ग्रामीण ने डायल 112 को दी। सूचना डायल 112 व प्रभारी निरीक्षक राजेश कुमार पहुंचे। प्रभारी निरीक्षक ने 15 सिक्कों को अपने कब्जे में ले लिया।

    सिक्कों पर अरबी भाषा में लिखा

    प्रभारी निरीक्षक राजेश कुमार ने बताया कि सिक्कों को कब्जे में लेने के बाद जिला प्रशासन को सूचना दे दी गई है। उच्च अधिकारियों के आदेश अनुसार कार्य किया जाएगा। सिक्कों पर अरबी भाषा में लिखा हुआ है। एक व्यक्ति ने बताया कि सिक्कों पर सन 1191 लिखा है।

    पौराणिक सिक्के पुलिस ने मजदूरों से लिए अपने कब्जे में

    ग्राम प्रधान पति इकरार ने बताया कि जहां पर कब्रिस्तान है वहा पर आजादी पूर्व खेडकी गांव आबाद था। लेकिन उस गांव के ग्रामीण करौन्दा चौधर और टाडामाइदास में जाकर बस गए हैं, तभी से यह गैर आबाद हैं। उन्हीं के किसी परिवार ने यह सिक्के अपनी भूमि में दबा रखे होंगे। यह वही सिक्के होने की संभावना को भी नहीं नकारा जा सकता है।

    इससे पहले सहारनपुर में भी एक प्लाट की नींव खाेदने के दौरान मजदूरों को सिक्के मिले थे। इन सिक्कों को मुगल काल से जुड़ा बताया गया था। पुरातत्व विभाग द्वारा उन सिक्कों को संरक्षित किया गया है।

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