UP News: सिपाही को पिता ने किया था बर्खास्त, रिटायर्ड आईजी की बेटी ने कॉस्टेबल को कराया बहाल
एक जीआरपी हेड कॉस्टेबल तौफीक अहमद जिसे छेड़छाड़ के आरोप में उनके पिता तत्कालीन आईजी ने बर्खास्त कर दिया था को उनकी बेटी ने हाईकोर्ट से बहाल करा दिया। अधिवक्ता अनुरा सिंह ने अदालत में तौफीक की पैरवी की और विभागीय जांच में तकनीकी खामियों को उजागर किया। हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया जिससे अनुरा के पेशेवर कर्तव्य के प्रति निष्ठा की मिसाल कायम हुई।

जागरण संवाददाता, बरेली। पिता−पुत्री के प्रेम को दुनिया का सबसे अटूट प्रेम कहा जाता है। एक बेटी के लिए उसके पिता से बढ़कर कोई और नहीं होता...। मगर बात अगर कर्तव्य और ड्यूटी के प्रति निष्ठावान की आ जाए तो एक बेटी अपने पिता के फैसले को भी चुनौती दे सकती है। इसका उदाहरण भी सामने आ गया।
पुलिस सेवा में रहते हुए जिस पिता ने हेड कांस्टेबल को विभागीय जांच में आरोपों की पुष्टि के बाद बर्खास्त किया था उसी हेड कांस्टेबल को उन्हीं की बेटी ने हाईकोर्ट से बहाल करा दिया। बेटी के हौसले और कर्तव्य के प्रति निष्ठावान देखकर पिता को अपनी बेटी पर गर्व है।
पॉक्सो एक्ट में दर्ज कराया था केस
मामला वर्ष 2023 का है, जीआरपी में तैनात हेड कांस्टेबल तौफीक अहमद के विरुद्ध एक महिला यात्री ने छेड़छाड़ और पॉक्सो एक्ट में प्राथमिकी पंजीकृत कराई थी। मामले में प्राथमिकी लिखने के बाद हेड कांस्टेबल के विरुद्ध विभागीय जांच शुरू हुई।
हेड कॉस्टेबल की नौकरी से किया था बर्खास्त
जांच अधिकारी ने तौफीक को दोषी करार देते हुए रिपोर्ट तत्कालीन आईजी डॉक्टर राकेश सिंह को भेज दी। उन्होंने रिपोर्ट के आधार पर हेड कॉस्टेबल को नौकरी से बर्खास्त कर दिया। कहा कि पुलिस जैसे अनुशासित सेवा में ऐसे अपराध करने वाले के लिए कोई जगह नहीं हैं। यह कठोर लेकिन कर्तव्यनिष्ठ निर्णय था।
पैरवी में अधिवक्ता अनुरा सिंह आई
मगर तौफीक ने अपनी बर्खास्तगी को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। वहां पर उनकी पैरवी में अधिवक्ता अनुरा सिंह आई। यह अनुरा सिंह कोई और नहीं बल्कि उन्हीं आईजी डॉक्टर राकेश सिंह की बेटी हैं जिन्होंने हेड कांस्टेबल को बर्खास्त किया था। एक तरफ पिता का दिया गया आदेश और दूसरी तरफ बेटी का पेशेवर कर्तव्य मगर अदालत में कोई रिश्ता नहीं, केवल कानून होता है।
विभागीय जांच में गंभीर तकनीकी खामी थी
अनुरा सिंह ने तर्क दिया कि विभागीय जांच में गंभीर तकनीकी खामी थी। जांच अधिकारी ने न केवल आरोप सिद्ध किए, बल्कि सीधे सजा की सिफारिश भी कर दी, उन्होंने कोर्ट में उत्तर प्रदेश पुलिस की नियमावली का हवाला दिया।
इसके बाद हाइकोर्ट के न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने दलीलों से सहमत होते हुए विभागीय जांच रिपोर्ट और बर्खास्तगी के आदेश, दोनों को रद्द कर दिया और तौफीक अहमद को सेवा में बहाल करने का निर्देश दिया। इससे यह तो स्पष्ट हुआ कि अनुरा ने अपने कर्तव्यों के आगे रिश्तों को भी आड़े नहीं आने दिया।
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