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    मंहगाई ने छोटा किया रावण का कद, बांदा में 40 के बजाय अब 25 फीट के पुतले का होगा दहन

    Updated: Wed, 01 Oct 2025 07:30 AM (IST)

    बांदा में महंगाई के कारण रावण के पुतलों का आकार छोटा हो गया है। पहले 40 फीट के पुतले बनते थे पर अब 20-25 फीट के ही बनाए जा रहे हैं। शहर में दशहरा 2 अक्टूबर से शुरू होगा और पांच दिनों तक मनाया जाएगा। तुथैल अहमद नाम का एक मुस्लिम परिवार पीढ़ियों से रावण के पुतले बना रहा है जो हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।

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    रावण का पुतला तैयार करते तुथैल अहमद। जागरण

    जागरण संवाददाता, बांदा। मंहगाई ने रावण का कद छोटा कर दिया। कभी 40 फीट के रावण को आठ से दस हजार रुपये में तैयार कर लिया जाता था, मंहगाई बढ़ी तो कीमत दोगुनी से भी अधिक हो गयी। लिहाजा रावण का कद छोटा करना ही उचित समझा गया और अब बीते कुछ वर्षाें से 20 से 25 फीट तक के रावण के पुतले से ही रावण दहन किया जाने लगा है। असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक विजयदशमी का त्योहार शहर के विभिन्न मुहल्लों में पांच दिनों तक मनाया जाता है। इस बार दशहरे की शुरूआत गांधी जयंती के दिन दो अक्टूबर से हो रही है। शहर के पांच स्थानों में दशानन का दंभ चूर होगा और रावण व मेघनाद का पुतला फूंका जाएगा।

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    शहर में पांच दिन तक मनाए जाने वाले दशहरे की शुरूआत गांधी जयंती के दिन दो अक्टूबर से प्रागी तालाब में रावण दहन के साथ शुरू होगा। इसके बाद दूसरे दिन अलीगंज, तीसरे दिन छावी तालाब, चौथे दिन जहीर क्लब व पांचवे दिन काशीराम कालोनी के पास रावण दहन किया जाएगा। पाचों स्थानों में रावण व मेघनाथ के पुतले शहर के तुथैल अहमद तैयार कर रहे हैं।

    पूर्व में यह रावण का पुतला 40 फीट का बनता था, लेकिन महंगाई के चलते अब रावण का साइज कम हो गया। कुछ वर्षों से 22 से 25 फीट के रावण से काम चलाया जा रहा है। पांचों स्थानों में 22 से 25 फीट तक रावण के पुलते तैयार किए जा रहे हैं। प्रागी तालाब, अलीगंज, छावी तालाब में जलने वाले रावण के पुतले का साइज 25 फीट है, जबकि जहीर क्लब व काशीराम कालोनी में जलाए जाने वाले रावण का लंबाई 20 फीट है।

    दरअसल, एक रावण को बनाने में 10 हजार रुपये से अधिक खर्च आता है। मंहगाई में यह लागत दोगुनी से भी ज्यादा हो गई। ऐसे में रावण का साइज छोटा करना ही उचित समझा गया। वहीं रावण दहन से पूर्व श्रीराम और रावण का विमान पूरे रामलीला मैदान में चलकर युद्ध करता है। घंटों तक अग्निबाणों की वर्षा होती है। इसके बाद रावण जलता है। इसे देखने के लिए शहर समेत पूरे जिलेभर के लोग एकत्र होते हैं।

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    हिंदुओं पर्व के लिए तीन पीढ़ी से मुस्लिम परिवार तैयार कर रहा रावण

    लंबे असरे से शहर का एक मुस्लिम परिवार रावण का पुतला बना तैयार कर रहा है। यह मुस्लिम परिवार न केवल हिंदु पर्व को मनाने के लिए ऐसा कर रहा है बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहा है। अलीगंज निवासी तुथैल अहमद रावण व मेघनाद के पुतले तैयार कर रहे हैं। उनके पिता एजाज अहमद व बाबा भी रावण के पुतले तैयार करते रहे। खास बात यह रही कि कभी भी रावण पुतले के बनाने की बनवाई नहीं ली गई। केवल सामान का जो खर्च आया उसी में रावण तैयार किया गया।

    तुथैल बताते हैं कि बाबा और पिता जी को इस पर्व के आने का बेसब्री से इंतजार रहता था। जैसे ही रावण के पुतले के बनाने की बात होती वह बड़े खुश होते। पिता जी के साथ वह भी रावण बनाने में हाथ बटाते अब उनके न रह जाने पर धीरे-धीरे वह भी बनाने लगे हैं। मंहगाई बढ़ी तो रावण तैयार करने की सामग्री कम पड़ने लगी। ऐसे में रावण का कद ही छोटा कर दिया गया।

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