बलिया में हादसा: मुंडन संस्कार में आए दो किशोरी सहित तीन गंगा में डूबे, एक की मौत
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां श्रीरामपुर घाट पर मुंडन संस्कार के दौरान दो युवतियां और एक युवक गंगा में डूब गए। घटना में एक की मौत हो गई है। बाकी दो को गोताखोरों की टीम ने बचा लिया है। इस घटना से पूरे इलाके में मातम पसरा हुआ है।

जागरण संवाददाता, बलिया। शहर के पास शिवरामपुर घाट पर रविवार को मुंडन संस्कार में आए दो किशोरी और एक युवक गंगा डूब गए जबकि तीन युवक और दो किशोरियों को नाविकों ने बचा लिया। शोरगुल सुनकर पहुंचे आसपास के गोताखोरों ने काफी प्रयास के बाद एक किशोरी के शव को निकाल लिया जबकि दो की तलाश की जा रही है।
मुंडन संस्कार का मुहूर्त होने के कारण शिवरामपुर घाट पर सुबह से ही भीड़ उमड़ने लगी थी। दुबहर क्षेत्र छोटका दुबहर निवासी 19 वर्षीय अंकित कुमार क्षेत्र के ही अड़रा निवासी रिश्तेदार के मुंडन संस्कार में शामिल होने के लिए घाट पर गए थे। वह तीन अन्य साथियों के साथ गंगा में नहाने लगे।
खुशी राजभर के घर पर जुटी महिलाओं की भीड़। जागरण
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इस दौरान वह गहरे पानी में समा गए। यहां उपस्थित नाविकों ने तीन अन्य युवकों को बचा लिया जबकि अंकित डूब गया। इसी तरह अपने चचेरे भाई के मुंडन संस्कार में शामिल होने के लिए नगरा क्षेत्र के गोठई निवासी अवधेश राजभर की 15 वर्षीय पुत्री आस्था राजभर और श्रीभगवान राजभार की 17 वर्षीय पुत्री खुशी राजभर सहेलियों के साथ गंगा में स्नान कर रही थी कि गहरे पानी में चली गई।
खुशी राजभर, फाइल फोटो। जागरण
मछुआरों ने दो युवतियों को सुरक्षित बचा लिया। जबकि आस्था और खुशी गहरे पानी में डूब गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने गोताखोरों को बुलाकर तलाश शुरू कराई। शाम को खुशी का शव बरामद किया गया।
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जिले में घर-घर है मुंडन संस्कार की परंपरा, गंगा घाटों पर नहीं है सुरक्षा का इंतजाम
बलिया जिले मुंडन संस्कार की बहुत पुरानी परंपरा है। इसे हर घर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रिश्तेदार से लेकर हर कोई सगे संबंधी इस समोराह में शामिल होते हैं। इसकी खास बात यह है कि घाट पर ही ही भोजन आदि का कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
मुहूर्त के दिन घाटों पर नरही से लेकर बैरिया तक भीड़ उमड़ पड़ती है। हजारों की संख्या में लाेग जुटते हैं लेकिन सुरक्षा को लेकर घाटों पर कोई इंतजाम नहीं किया जाता है। गहरे पानी को लेकर प्रशासन की ओर से कोई निशान भी नहीं लगाए जाते हैं। कोई बड़ी घटना होने पर जिले में एनडीआरएफ और गोताखोर छपरा और वाराणसी से बुलाए जाते हैं। जिले में इसकी कोई व्यवस्था नहीं है।
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