आजमगढ़ में गर्मी बनी बच्चों के लिए मुसीबत, अस्पताल में मरीजों की लंबी कतार
आजमगढ़ में गर्मी के चलते बच्चों की सेहत बिगड़ रही है। जिला अस्पताल में रोजाना 80-100 बच्चे बुखार उल्टी-दस्त और सर्दी-खांसी से पीड़ित होकर आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि मौसम बदलने से वायरस और बैक्टीरिया का संक्रमण बढ़ गया है। बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए साफ-सफाई और खानपान पर ध्यान देना जरूरी है।

जागरण संवाददाता, बलरामपुर (आजमगढ़)। गर्मी से बच्चों की सेहत बिगड़ रही है। बच्चे बुखार, उल्टी-दस्त, सर्दी-खांसी से पीड़ित हो रहे हैं। जिला अस्पताल के बालरोग की ओपीडी में रोजाना करीब 80 से 100 मरीज आ रहे हैं। इसमें अधिकतर वायरस और बैक्टीरिया के इंफेक्शन से पीड़ित होते हैं।
ऐसे में चिकित्सक उपचार के साथ-साथ लोगों को संक्रमण से बचने की सलाह दे रहे हैं। प्रतिदिन दो से तीन बच्चे पीआइसीयू वार्ड में भर्ती हो रहे हैं। मरीजों को ठीक होने में करीब एक सप्ताह का समय लग जा रहा है।
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तेज धूप तो कभी बदली और रात तापमान में कमी से सेहत बिगड़ रही है। इस मौसम में वायरस और बैक्टीरिया की दर बढ़ जाती है। खानपान में गड़बड़ी, साफ-सफाई में अनदेखी से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से बच्चे इंफेक्शन की चपेट में आ रहे हैं। इससे बुखार, सर्दी, खांसी, उल्टी-दस्त, पेट दर्द, सिर और बदन दर्द, सांस से पीड़ित हो रहे हैं। मंगलवार को ओपीडी में मरीजों की संख्या दोपहर तक खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी।
ऐसे में कुछ चिकित्सक मरीजों को ओपीडी में जांच करते पाए गए। बालरोग विशेषज्ञ ने लगभग 100 मरीजों का इलाज किया। इसमें सबसे अधिक बुखार के करीब 50, उल्टी-दस्त के बीस से 25, सर्दी-खांसी के 10 से 25 मरीज थे। गंभीर रूप से पीड़ित करीब तीन मरीजों को भर्ती किया गया। अन्य मरीजों को परीक्षण के बाद दवा दी गई। कुछ की खून की जांच कराई गई। उधर, सामान्य ओपीडी की बात करें फीजिशियन कक्ष के बाहर भी ऐसे ही मरीज दिखाई दिए जो ज्यादातर सर्दी-खांसी और बुखार से पीड़ित थे। बाल रोग विशेषज्ञ डा. शैलेंद्र विमल ने बताया कि मौसम बदलने से वायरस व बैक्टीरिया ग्रोथ करते हैं। बच्चे को दिक्कत होने पर लापरवाही न करें। विशेषज्ञ डाक्टर से संपर्क कर इलाज कराएं।
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यह सावधानी बरतें
बच्चों को धूप में निकलने न दें। साफ-सफाई पर ध्यान दें, हाथ धोकर भोजन करें। पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। जंक फूड के सेवन से परहेज करें। ताजा, सुपाच्य व पौष्टिक भोजन का सेवन करें। मौसमी फल व साग-सब्जी का सेवन करें। छोटे बच्चों को छह माह तक मां का दूध पिलाएं। बच्चों को कूलर की सीधी हवा से बचाने, एसी तेज न चलाएं।
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