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Autism Awareness Day 2021: बच्‍चे में दिखे ये आदत तो सावधान हो जाइए, कहीं ऑटिस्‍म की बीमारी तो नहीं

Autism Awareness Day 2021 इस बीमारी से पीडि़त बच्चे किसी चीज को दिखाने के लिए हाथ नहीं उठाते इशारा भी नहीं कर पाते हैं। छोटे बच्चे गोद लिए जाने पर अपना हाथ नहीं उठाते हैं। बात करते समय नजरें नहीं मिलाते हैं। छोटी-छोटी बातों पर गुस्से से भड़क जाते हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 03:10 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 03:10 PM (IST)
ऑटिस्म बीमारी से पीडि़त बच्चे कुछ खास तरह की चीजें खाना ही पसंद करते हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। बच्चे हर मां-बाप के प्यारे होते हैं। हर कोई चाहता है कि उसका बच्चा चंचल हो, शारीरिक दुर्बलता का शिकार न हो, खूब बोले और खूब खेले। हालांकि कुछ बच्चे ऑटिस्म का शिकार होते हैं, जिन्हें परिवार के लोग समझ नहीं पाते और डाक्टर के इर्द-गिर्द भटकते रहते हैं। ऑटिस्म एक से तीन साल तक की उम्र में पता लग जाता है। यह पुरुष लिंग के बच्चों में ज्यादा पाया जाता है। ऑटिस्म जागरूकता दिवस भी दो अप्रैल को मनाया जाता है।

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ऑटिस्म बीमारी के यह दिखते हैं लक्षण

ऐसे बच्चे किसी चीज को दिखाने के लिए हाथ नहीं उठाते यानी कि इशारा भी नहीं कर पाते हैं। छोटे बच्चे गोद लिए जाने पर अपना हाथ नहीं उठाते हैं। बात करते समय नजरें नहीं मिलाते हैं। छोटी-छोटी बातों पर गुस्से से भड़क जाते हैं। दूसरों को भावना, जज्बात या प्यार का जवाब नहीं देते हैं। बच्चे अपने प्यार को नहीं जता पाते और काफी सिखाए जाने के बावजूद पेशाब, शौचालय से बाहर करते हैं।

संवाद या संचार में आती है दिक्कत

ऑटिस्म से पीडि़त बच्चे देर से बोलते हैं। प्रतिध्वनि की तरह दूसरों की बात को दोहराते हैं। एक ही शब्द या वाक्य को बार-बार बोलते हैं। सर्वनाम जैसे मैं, हम, तुम और आप में हमेशा गलती करते हैं। ऐसे बच्चे सांकेतिक भाषा का प्रयोग नहीं कर पाते। 

खानपान की आती है दिक्कत

ऐसे बच्चों को खाने पीने में मुश्किल होती है। ऑटिस्म से पीडि़त बच्चे कुछ खास तरह की चीजें खाना ही पसंद करते हैं। कोई भी नए पकवान को खाने से मना कर देते हैं। ऐसे बच्चे न खाने वाली चीजों को भी खा जाते हैं।

परेशान न हों, संभव है इलाज

प्रयागराज में सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय यानी चिल्ड्रेन अस्पताल की सह आचार्य डा. मनीषा मौर्या कहती हैं कि ऑटिस्म से पीडि़त बच्चों का इलाज संभव है। यदि मां-बाप उनकी आदतों को पहचान कर डाक्टर को समय से बताएं तो बीमारी का इलाज हो जाता है।


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