Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक हैं दरगाहें, मगर कुछ शक्तियां...', SP महासचिव ने अजमेर शरीफ पर कही ये बड़ी बात

    Updated: Sun, 08 Dec 2024 03:23 PM (IST)

    सूफी संतों की दरगाहें सदियों से हिंदू-मुस्लिम एकता और गंगा-जमुनी तहजीब की प्रतीक रही हैं। लेकिन कुछ सांप्रदायिक शक्तियां माहौल को खराब करने की कोशिश कर रही हैं। ये बयान सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामजीलाल सुमन ने दिया है। उन्होंने अजमेर दरगाह पर मंदिर होने के दावे को खारिज करते हुए कहा कि दरगाह 13वीं शताब्दी में बनी थी और ख्वाजा गरीब नवाज का निधन 1236 ईस्वी में हुआ था।

    Hero Image
    दरगाहें हिंदू-मुसलमान एकता का प्रतीक हैं- रामजीलाल सुमन। (तस्वीर जागरण)

    जागरण संवाददाता, आगरा। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य रामजीलाल सुमन ने कहा कि भारत के मुस्लिमों का आदर्श बाबर नहीं, बल्कि पैगम्बर मोहम्मद और सूफी-संत हैं। उन्होंने कहा कि पैगम्बर और सूफी संत मुसलमानों के आदर्श हैं। भारतीय संस्कृति पर उन्हें गर्व है। सूफी संतों की दरगाहें हिन्दू-मुस्लिम सद्भाव और गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक हैं, लेकिन सांप्रदायिक शक्तियां देश के माहौल को खराब करना चाहती हैं। सुमन ने यह बयान रविवार को संजय प्लेस स्थित आहार रेस्टोरेंट में आयोजित प्रेस वार्ता में दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सुमन ने इस दौरान देश में बढ़ती सांप्रदायिक ताकतों के बारे में भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कुछ शक्तियां देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही हैं। उनका कहना था कि ऐसे लोग अपने नकारात्मक रवैये से बाज आएं, अन्यथा इतिहास उन्हें कभी माफ नहीं करेगा।

    अजमेर शरीफ दरगाह पर मंदिर होने के दावे पर उठाए सवाल

    उन्होंने अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर चल रहे विवाद पर भी अपनी राय दी। कुछ दिनों पहले यह दावा किया गया था कि ख्वाजा चिश्ती की दरगाह एक मंदिर है। इस पर सुमन ने स्पष्ट कहा कि दरगाह 13वीं शताब्दी में बनी थी और ख्वाजा गरीब नवाज का निधन 1236 ईस्वी में हुआ था, जबकि मुगलों का आगमन 15वीं शताब्दी में हुआ था। उन्होंने कहा कि दरगाह के आसपास अधिकतर दुकानें हिंदुओं की हैं और महात्मा गांधी ने भी भारत भ्रमण के दौरान इस दरगाह का दौरा किया था। सुमन ने यह भी कहा कि 1950 में न्यायाधीश गुलाम हसन की कमेटी ने दरगाह को धार्मिक स्थल के रूप में पहचान दी थी।

    इसे भी पढ़ें- मैनपुरी से बंदूक-कारतूस की सप्लाई करने जा रहा था जोधपुर, आगरा एटीएस ने गिरफ्तार किया; ये हथियार बरामद

    सपा महासचिव ने RSS प्रमुख के बयान का किया विरोध

    सुमन ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के बयान का भी विरोध किया, जिसमें 2022 में उन्होंने कहा था कि हर मस्जिद के नीचे खुदाई करना धार्मिक दृष्टि से सही नहीं है। सुमन ने कहा कि ऐसी बयानबाजी से माहौल में और भी तनाव बढ़ता है।

    इसके अलावा, सुमन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की निंदा की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से बातचीत करें और इस समस्या का समाधान निकालें। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।

    इसे भी पढ़ें- प्रसव का खर्च बचाने के लिए पति ने सोचा ऐसा तरीका कि पत्नी ने बुलाई पुलिस, मनाने में छूटे पसीने