Ganga Dussehra आगरा के ज्योतिषाचार्य ने बताया 30 को आखिर क्यों मनाएं दशहरा, दान-उपवास कर पाएं पापों से मुक्ति
गंगा दशहरा कल स्नान दान और उपवास से कटेंगे 10 पाप। ज्योतिषाचार्य यशोवर्धन पाठक ने बताया कि इस दिन शरबत की प्याऊ लगाई जाती है। यह मौसम भीषण गर्मी का होता है इसलिए छतरी वस्त्र जूते-चप्पल आदि दान किए जाते हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जाता है। यह दिन मोक्षदायिनी मां गंगा को समर्पित है। इस दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं थी। इस दिन गंगा नदी में स्नान, दान और उपवास का विशेष महत्व है। मान्यता है कि गंगा दशहरा पर गंगाजल या गंगा नदी में स्नान व दान से 10 तरह के गंभीर पाप नष्ट हो जाते हैं। इस वर्ष गंगा दशहरा 30 मई को मनाया जाएगा।
ज्योतिषाचार्य ने बताया 30 मई को दशहरा मनाना उचित
- ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रेश कौशिक ने बताया कि ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 29 मई को रात 11:48 बजे आरंभ होकर 30 मई दोपहर 1:08 बजे तक चलेगी। उदया तिथि को आधार मानकर गंगा दशहरा 30 मई को मनाना उचित होगा।
- गंगा दशहरा की सुबह 4:28 बजे हस्त नक्षत्र प्रारंभ होगा, जो 31 मई को सुबह 5:58 बजे तक चलेगा।
- 30 मई रात 8:54 बजे व्यतिपात योग प्रारंभ होगा, जो 31 मई रात 8:14 बजे तक रहेगा।
- 31 मई को पूरे दिन रवि योग रहेगा।
- इन योगों में पूजा का फल दोगुना प्राप्त होता है।
ऐसे मनाएं पर्व
गंगा दशहरा पर किसी भी पवित्र नदी पर जाकर स्नान, ध्यान व दान करें। इससे सभी पापों से मुक्ति मिलेगी। यदि पवित्र नदी तक नहीं जा पा रहे, तो घर के पास की किसी नदी में स्नान करें। इस दिन दान और स्नान का ही अत्यधिक महत्व है। वराह पुराण में लिखा है कि ज्येष्ठ शुक्ला दशमी बुधवारी में हस्त नक्षत्र में श्रेष्ठ नदी स्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी, वह दस पापों को नष्ट करती है। इसी कारण उस तिथि को दशहरा कहते हैं।
इन दस पापों में तीन पाप कायिक, चार पाप वाचिक और तीन पाप मानसिक होते हैं। इन सभी से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है। ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, बुधवार, हस्त नक्षत्र, गर, आनंद, व्यतिपात, कन्या का चंद्र, वृषभ के सूर्य इन दस योगों में मनुष्य स्नान करके सभी पापों से मुक्त हो जाता है।
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