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    Agra News: साइबर ठगी का शिकार हुए बुजुर्ग, डिजिटल अरेस्ट कर जीवन भर की कमाई गंवाई; 65 लाख ठगे

    Updated: Tue, 05 Aug 2025 08:23 AM (IST)

    आगरा में साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के जरिए बुजुर्गों को निशाना बनाया। ठगों ने जल निगम से रिटायर्ड महिला और सिंचाई विभाग से रिटायर्ड बुजुर्ग दंपति से मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखाकर 65.5 लाख रुपये ठग लिए। पुलिस ने मामले दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। साइबर एक्सपर्ट लोगों को अपनी जानकारी साझा न करने और सतर्क रहने की सलाह देते हैं।

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    प्रस्तुतीकर के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, आगरा। डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने वाले साइबर अपराधियों के निशाने पर अकेले रहने वाले बजुर्ग सबसे अधिक हैं। न्यू आगरा क्षेत्र की जल निगम से रिटायर्ड महिला और सिंचाई विभाग से रिटायर्ड बुजुर्ग व उनकी पत्नी को मनी लॉन्ड्रिंग क्या है में शामिल होने का डर दिखाकर डिजिटल अरेस्ट किया गया। इसके बाद साइबर ठग ने खुद को डीसीपी बताकर खातों में 65.5 लाख रुपये जमा करा लिए। जांच के बाद दोनों मामलों में साइबर थाने में मुकदमे दर्ज कर लिए गए हैं।

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    अकेली महिला और दंपती को मनी लॉन्ड्रिंग क्या है में शामिल होने का दिखाया डर

    पहला मामला दयालबाग के अदन बाग निवासी सुरेंद्र कुमार श्रीवास्तव के साथ हुआ है। सिंचाई विभाग से रिटायर्ड सुरेंद्र के पास 18 जुलाई को अंजान नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले खुद के मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन का प्रभारी होने की बात कही। 2023 से जेल में बंद किसी नरेश गोयल के साथ मिलकर मनी लॉन्ड्रिंग करते हुए बड़ी रकम का हेरफेर करने का आरोप लगाया।

    अरेस्ट वारंट जारी होने की जानकारी दी। मना करने पर उल्टा लटका कर डंडे से पिटाई होने पर सब कबूलने की बोलते हुए गालियां दी। अगले दिन तक बैंक के सभी खातों और फिक्स डिपॉजिट की जानकारी देने को कहा। वह वाट्सएप पर इतनी जानकारी देने में सक्षम नहीं थे।

    पत्नी को समझाकर खातों की जानकारी वाट्सएप पर ले ली

    आरोपितों ने उनकी पत्नी दयालवती को समझाकर उनसे खातों की जानकारी वाट्सएप पर ले ली। इसके बाद कथित डीसीपी नीरज शर्मा ने पत्नी के मोबाइल पर कॉल कर बैंक जाकर सभी फिक्स डिपॉजिट तुड़वाकर बचत खाते में रकम स्थानांतरित करने को कहा। डर के कारण 23 जुलाई को उन्होंने बैंक जाकर आरोपितों के कहे अनुसार एफडी तुड़वाकर रकम खाते में स्थानांतरित करवा दी।

    आरटीजीएस के जरिए खाते में ट्रांसफर करने को कहा

    23 जुलाई को फर्जी डीसीपी ने सारी रकम 43 लाख रुपये आरटीजीएस के जरिए अपने द्वारा बताए खाते में स्थानांतरित करने को कह दिया। आरोपित इस दौरान उन्हें किसी से बात करने पर गिरफ्तार होने का डर दिखा रहे थे। रकम वापस करने के बजाय आरोपितों ने और रकम की मांग की। इसके बाद उन्हें ठगी का अहसास हुआ।

    साइबर ठगों के निशाने पर अकेले रहने वाले बुजुर्ग, नहीं किया जाता जागरूक

    दूसरा मामला खंदारी, मऊ रोड स्थित कालिंदीपुरम कालोनी की सुषमा चौधरी के साथ हुआ। पति की मौत के बाद जल निगम में नौकरी कर सेवानिवृत्त हुई सुषमा की बेटी स्पेन में है और बेटा बैंगलुरू में नौकरी करता है। सुषमा के पास 16 जुलाई को अंजान नंबर से कॉल आई। काल करने वाले ने खुद के मुंबई के कोलाबा पुलिस स्टेशन से होने की जानकारी दी। उनके नाम से मुंबई में खाता खोलकर मनी लांड्रिंग से संबंधित रुपयाें का भारी मात्रा में लेनदेन होने का आरोप लगाकर डराया।

    जेल जाने की धमकी दी और टीम के नजर रखने की बात कही

    फिर दूसरे व्यक्ति से बात कराई,उसने अपने आप को सीबीआई अधिकारी बताते हुए जेल जाने की धमकी दी और अपनी टीम के द्वारा उनके ऊपर नजर रखी जाने की बात कही। किसी को कुछ भी बताने से मना कर दिया। ठगों के झांसे में आकर उसी दिन उन्होंने बैंक जाकर आरोपितों के खाते में 11.5 लाख रुपये आरटीजीएस के माध्यम से भेज दिए। इसके बाद आरोपितों ने दूसरे खाते की जानकारी देकर उसमें भी 11.5 लाख रुपये डलवा लिए।

    दोनों प्रकरण में साइबर थाना प्रभारी रीता सिंह ने बताया कि शिकायत मिलते ही टीम ने रुपये स्थानांतरित किए खातों की जानकारी शुरू कर दी है। आरोपिताें के नंबरों की डिटेल और सर्विलांस के जरिए उनको पकड़ने के प्रयास शुरू कर दिए हैं।

    पुलिस अकेले रहने वाले बुजुर्गों काे नहीं करती जागरूक

    पुलिस आपरेशन सवेरा के तहत 30 हजार से अधिक बुजुर्गों को चिन्हित कर उनका हाल जानते रहने का दावा करती है। हकीकत में ऐसा नजर नहीं आ रहा है। बुजुर्गों को साइबर ठगों के डिजिटल अरेस्ट जैसे ठगी के तरीकों से बचने के लिए भी जागरूक करने की जरूरत है।

    जागरूकता ही बचाव

    साइबर एक्सपर्ट अभिषेक गुप्ता ने बताया कि लोगों को कहीं खरीदारी करने पर अपना मोबाइल नंबर और पता बताने से परहेज करना चाहिए। साइबर अपराधी आपका डाटा खरीदकर विश्लेषण कर ठगी के अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। अकेले रहने वाले बुजुर्ग इंटरनेट के बारे में अधिक जानकार नहीं होते हैं। अचानक पुलिस की वर्दी में ठगों को देखकर वह डर जाते हैं। डर के कारण दूर रहे बच्चों तक को जानकारी देने से डरते हैं,और ठगी का शिकार होकर जीवन भर की कमाई गंवा बैठते हैं। ठगी की रकम ठिकाने लगाने तक आरोपित पीड़ित को बातों में फंसाए रहते हैं,इसके कारण पुलिस को भी आरोपितों तक पहुंचने में मुश्किल होती है।

    बैंक कर्मचारी सतर्क होकर रोक सकते हैं घटनाएं

    एक जून को इंदौर के तिकोहगंज स्थित एसबीआई बैंक की शाखा मेंसेवानिवृत्त शिक्षिका 52 लाख रुपयों की एफडी तुड़वाकर रकम अन्य खाते में स्थानांतरित कराने आई। बैंक अधिकारियों तकनीकी परेशानी बताकर अगले दिन स्थानांतरण का बहाना बनाकर पुलिस को जानकारी दे दी। पुलिस ने सही समय पर मिली सूचना पर महिला को ठगी का शिकार होने से बचा लिया।

    इसी तरह सेंट्रल दिल्ली की बैंक शाखा में 22 लाख रुपये स्थानांतरित करने आई सेवानिवृत्त शिक्षिका के हावभाव देख शक होने पर बैंक ने पुलिस को जानकारी देकर ठगी का शिकार होने से बचा लिया।

    रकम ट्रांसफर करने के बजाए जागरूक करने के लिए और मदद के लिए कहा

    आगरा पुलिस कमिश्नरेट में पुलिस अधिकारियों ने बैंकों के अधिकारियों संग बैठक कर इस तरह के बड़ी रकम के स्थानांतरण के दौरान जागरूक रहते हुए पुलिस की मदद करने काे कहा था। हालांकि अभी तक बैंकों के कर्मचारियों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। बैंंक कर्मचारी अगर जागरूक रहते तो दोनों ठगी की घटनाएं रोकी जा सकती थीं।

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