यमुना एक्सप्रेसवे हादसा की भयावहता: कायेले की तरह टूट रहे दांत, DNA जांच में बने चुनौती
यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए भीषण हादसे के बाद डीएनए जांच में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जिंदा जलने वालों के दांत कोयले की तरह टूट रहे हैं, जिससे ...और पढ़ें

विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा।
अली अब्बास, जागरण, आगरा। यमुना एक्सप्रेसवे पर 16 दिसंबर की सुबह चार बजे कोहरे के चलते 11 वाहनों के आपस में टकराने और आग लगने के बाद क्या हुआ होगा? जिंदा जलने वालों के डीएनए नमूनों की जांच को भेजे गए दांत उसकी भयावहता की गवाही दे रहे हैं। विज्ञानियों द्वारा कुछ दांतों से डीएनए का नमूना हासिल करने के लिए हाथ में लेते ही आग में जले कोयले की तरह चूर-चूर हो जा रहे हैं। जबकि शरीर के जलकर राख में बदलने के बाद दांत ही ऐसा अंग है जो बच जाता है। ऐसे में विज्ञानियों के सामने कई दांतों से डीएनए नमूना लेना चुनौती है। जांच के लिए लखनऊ और गाजियाबाद के डीएनए विशेषज्ञों को आगरा भेजा गया है।
जांच को गाजियाबाद और लखनऊ से डीएन विशेषज्ञ विज्ञानी बुलाए गए
मथुरा में यमुना एक्सप्रसेवे पर 16 दिसंबर की सुबह कोहरे में दृश्यता शून्य होने पर भीषण हादसा हुआ था। एक के बाद 11 वाहनों के टकराने के बाद नौ में आग लग गई थी। जिसमें 19 लोगों की मृत्यु हो गई थी। आग में कई लोग जिंदा जल गए थे। मरने वालों ेके शवों की पहचान के लिए 19 लोगों के डीएनए नमूनों के रूप में दांत और हड्डियां भेजी गई हैं। जिनसे डीएनए हासिल करके स्वजन के डीएनए से मिलान करके शवों को उनके सिपुर्द किया जा सके।
टेस्टिंग को हाथ में पकड़ते ही काेयले की तरह टूट कर गिर रहे दांत
फोरेंसिक लैब में किसी हादसे के बाद एक साथ पहली बार इतने नमूनों को डीएनए जांच के लिए भेजा गया है। डीएनए सेक्शन में विज्ञानियों की संख्या कम है। जिससे जांच में एक महीने तक का समय लग सकता था। जिसके चलते शासन ने गाजियाबाद और लखनऊ के डीएनए जांच में विशेषज्ञ विज्ञानी भेजी गई हैं। शुक्रवार को शवों के भेजे गए दांतों के नमूनों से विज्ञानियों की टीम ने डीएनए हासिल करने का प्रयास किया। इनमें कई दांत जले हुए काेयले की तरह टूट कर बिखर गए। टूट दांतों से डीएनए नहीं मिलने पर दूसरे दांत से दोबारा प्रयास करना होगा। इसके बाद विज्ञानियों द्वारा शवों की हड्डी से नमूना लेकर स्वजन के डीएनए से मिलान किया जाएगा।
72 घंटे बाद आ सकेंगे डीएनए परीक्षण के परिणाम
फोरेंसिक लैब से शवों के नमूनों की परीक्षण रिपोर्ट मिलने में कम से कम 72 घंटे लगेंगे। दांतों या हड्डी से डीएनए का नमूना लेने में लगभग दो दिन का समय विज्ञानियों को लगता है। जबकि खून से डीएनए का नमूना लेने में सिर्फ दो घंटे लगते हैं। जिसके चलते फोरेंसिक लैब के विज्ञानी तीन दिन बाद ही जांच रिपोर्ट दे सकेंगे।
यूपी की सबसे अनुभवी डीएनए विज्ञानी को जांच की कमान
लैब भेजे गए 15 नमूनों की जांच के लिए 10 विज्ञानियों की टीम को लगाया गया है। जिसकी कमान उत्तर प्रदेश की सबसे अनुभवी डीएनए जांच विज्ञानी अनीता पुंढीर को दी गई है। वह वर्तमान में गाजियाबाद फोरेंसिक लैब में तैनात हैं। इसके अलावा लखनऊ से डीएनए जांच विशेषज्ञ विज्ञानी प्रगति सिंह को बुलाया गया है। आगरा डीएन सेक्शन में तैनात पवन कुमार भी शामिल हैं। संयुक्त निदेशक फोरेंसिक लैब अशोक कुमार ने बताया कि डीएनए जांच के लिए 15 नमूने भेजे गए हैं।
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1400 से 1800 फारेन हाइट पर राख होता है मानव शरीर
मानव शरीर और उसकी हड्डियां 1400 से 1800 फारेनहाइट (760 से 982 डिग्री सेंटीग्रेड) पर जलकर राख हो जाता है। डीएन नमूनों की जांच को भेजे गए दांतों की हालत देख अनुमान लगाया जा रहा है कि बस में आग लगने के बाद उसका तापमान 1800 फारेनहाइट तक पहुंच गया होगा। जिससे मरने वालों की दांत काेयले की तरह चूर-चूर होने की स्थिति में पहुंच गए। दांतों की स्थिति से हादसे की भयावहता की परिकल्पना करके ही विज्ञानियों के शरीर मे भी सिहरन पैदा हाे गई।

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