'कभी पानी पी-पीकर कोसते थे, आज उसी के लिए मांग रहे वोट', बिहार चुनाव में पप्पू यादव का अलग अंदाज
बिहार चुनाव (Bihar Assembly Election 2025) में पप्पू यादव का अनूठा अंदाज देखने को मिल रहा है। कभी किसी चीज की आलोचना करने वाले पप्पू यादव अब उसी के लिए वोट मांग रहे हैं। उनके इस बदलाव को लेकर लोगों में चर्चा है और उनकी रैलियों में भारी भीड़ उमड़ रही है। पप्पू यादव का यह अनोखा रंग बिहार चुनाव में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
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जनसभा में पहुंचे पप्पू यादव। फोटो जागरण
प्रकाश वत्स, पूर्णिया। बिहार के तीन तीन बार मुख्यमंत्री रहे स्व. भोला पासवान की धरती पूर्णिया राजनीतिक सुचिता के लिए जानी जाती रही है। भूतपूर्व विधानसभा अध्यक्ष लक्ष्मीनारायण सुंधाशु, रामनारायण मंडल भी यहां के राजनीतिक इतिहास के किरदार हैं।
राजनीतिक हत्याओं का कलंक भी इसमें जुड़ा है। अब वर्ष 2025 के विधानसभा चुनाव (Bihar Election 2025) में इस इतिहास में एक और अनोखा पन्ना जुड़ गया है। यह एक ऐसी दोस्ती का पन्ना है, जो राजनीतिक के नये रंग का द्योतक है।
लोकसभा चुनाव पहली साल की सीमा पार की है, इसलिए चुनावी परिदृश्य लोगों की जेहन से विस्मृत नहीं हुआ था। कहने को चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष था।
जुबानी जंग हो गई थी तेज
दरअसल राजद प्रत्याशी बीमा भारती की जमीन पूरी तरह खिसक कर निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की हो गई थी। पप्पू यादव की सीधी टक्कर जदयू के पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा से था।
जुबानी जंग भी चरम पर था। चुनाव बीता मगर बीच-बीच में जुबानी जंग चलती रही। पूर्व सांसद अपनी धारा को कमजोर नहीं पड़ने देना चाह रहे थे। खैर जो बीत गई बात गई।
लगभग डेढ़ साल में विधानसभा चुनाव आ गया और अब स्थिति पूरी तरह विपरीत है। निर्दलीय सांसद कांग्रेस के अघोषित प्रतिनिधि के रुप में चुनाव प्रचार की कमान थाम रखे हैं।
विरोधियों का साथ दे रहे पप्पू यादव
पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा इस चुनाव में धमदाहा से राजद के प्रत्याशी हैं, इसलिए सांसद राजेश रंजन से सहयोग भी ले रहे हैं। यद्यपि मौसम खराब रहने के कारण सांसद की चुनावी सभा धमदाहा में नहीं हो सकी है।
सांसद रुपौली के राजद प्रत्याशी बीमा भारती को भी सहयोग कर रहे हैं। इधर लोकसभा चुनाव में जदयू प्रत्याशी सह पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा के बदले निर्दलीय सांसद पप्पू यादव के लिए काम करने के आरोप में जदयू के पूर्व नेता व वर्तमान में पूर्णिया सदर से कांग्रेस प्रत्याशी जितेंद्र यादव को पार्टी ने निष्कासित कर दिया था।
अब दोनों महागठबंधन में हैं और साथ-साथ हैं। राजनीति का यह रंग समर्थकों को पसंद भी आ रहा है और विपक्षी की टीका-टिपण्णी भी होती है। मतदाता भी अपने-अपने अंदाज में इसका मजा ले रहे हैं।
पहली बार लोकसभा चुनाव के सभी प्रतिद्वंदी एक साथ
पूर्णिया के राजनीतिक इतिहास की यह पहली घटना है। राजनीतिक घटनाक्रम को इतनी तेजी से बदलते यहां के लोगों ने पहले नहीं देखा था। ऐसे में यहां दोनों धारा अपनी-अपनी पूरी शक्ति भी झोंक रहा है।
राजग ने नेताओं की आगमन अब रफ्तार पकड़ने वाला है। इधर महागठबंधन अपने नये प्रयोग को सफल बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। जंग रोचक है मगर जंग के असली खिलाड़ी कौन होंगे, यह मतदाता तय करेंगे।

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