डेटा की हेराफेरी कर रहा चीन! DeepSeek AI के पीछे छिपी है ड्रैगन की बड़ी चाल
DeepSeek AI controversy डीपसीक AI पर ऑस्ट्रेलिया के साइंस मिनिस्टर ईडी ह्यूजिक ने सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि डीपसीक के जरिये चीन डेटा चोरी कर सकता है। डेटा को लेने के बाद डीपसीक सर्विस ऑपरेटर्स एडवर्टाइजर और कॉर्पोरेट ग्रुप के साथ शेयर कर सकता है। डीपसीक कौन-सा डेटा लेता है और क्या वाकई यह खतरे की घंटी है। आइए जानते हैं।
टेक्नोलॉजी डेस्क, नई दिल्ली। DeepSeek AI ने पूरी सिलिकॉन वैली को हिलाकर रख दिया है। एआई मॉडल की वजह से अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। एनवीडिया और मेटा जैसी कंपनियों के शेयर धड़ाम से नीचे आ गए, वजह सिर्फ डीपसीक। चीन ने एआई मॉडल को बहुत कम लागत में तैयार किया है। जिसकी वजह से सर्विस मुफ्त मिल रही है, लेकिन इस बीच एक सवाल भी खड़ा हो गया है।
कहा गया है कि डीपसीक के पीछे चीन की कोई बड़ी चाल छिपी हो सकती है। ड्रैगन पर डेटा चोरी के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। अब ऑस्ट्रेलिया ने भी डीपसीक AI पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ऑस्ट्रेलिया ने उठाए सवाल
ऑस्ट्रेलिया के साइंस मिनिस्टर ईडी ह्यूजिक (Ed Husic) ने डीपसीक की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि, चीनी चैटबॉट डीपसीक प्राइवेसी के लिहाज से खतरे की घंटी बन सकता है। चूंकि, हुवावे से लेकर टिकटॉक तक, चीनी ऐप्स पर बार-बार आरोप लगते रहे हैं कि ये कंपनियां डेटा चुराती हैं और सरकार के साथ शेयर करती हैं।
ऐसे में ऑस्ट्रेलिया को डर है कि चुराए गए डेटा का इस्तेमाल खुफिया मकसद के लिए किया जा सकता है। मंत्री कहा कि मैं इस बारे में बहुत सावधान रहूंगा, इस तरह के मुद्दों पर सावधानी से विचार करने की जरूरत है।
डोनाल्ड ट्रंप की प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपित डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि डीपसीक अमेरिका के लिए एक 'चेतावनी' है, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है, इसके बजाय उन्होंने कहा कि अगर इससे लागत कम हो जाए तो यह एक अच्छी बात भी हो सकती है।
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DeepSeek AI यू.एस और यूके जैसे देशों में एपल ऐप स्टोर में टॉप पर पहुंच गया है, मार्केट एनालिस्ट सेंसर टॉवर ने कहा कि लॉन्च के बाद से इसे 3 मिलियन बार डाउनलोड किया गया है।
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DeepSeek कौन-सा डेटा लेता है?
DeepSeek की पॉलिसी के अनुसार, यह यूजर्स से पर्सनल जानकारी इकट्ठा करता है, जिसे चीन में सेफ सर्वर पर स्टोर किया जाता है।
- ईमेल एड्रेस, फोन नंबर और डेट ऑफ बर्थ।
- चैट हिस्ट्री, टेक्स्ट और ऑडियो इनपुट।
- फोन के मॉडल और ऑपरेटिंग सिस्टम से लेकर आपके IP एड्रेस।
हालांकि, कुछ लोगों को मानना है कि, डेटा को लेने के बाद डीपसीक सर्विस ऑपरेटर्स, एडवर्टाइजर और कॉर्पोरेट ग्रुप के साथ शेयर कर सकता है।
तो क्या यह सुरक्षित है?
ऑक्सफोर्ड इंफॉर्मेशन लैब्स से जुड़ी एमिली टेलर ने कहा कि, वेब या ऐप इंटरफेस के साथ जिसमें डीपसीक भी शामिल है, सभी डेटा इकट्ठा करते हैं। खुले तौर पर उपलब्ध एआई मॉडल यूजर्स की पर्सनल जानकारी लेते हैं, लेकिन इसके आधार पर नहीं कहा जा सकता है कि इससे डेटा चोरी हो रही है।
उन्होंने कहा जहां तक प्राइवेसी का सवाल है तो यूजर्स को सचेत रहना चाहिए। खासकर कोई नया ऐप आए तो उसके बारे में ठीक से रिसर्च कर लेनी चाहिए।
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