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    Google पर भारत में भी लग सकता है जुर्माना, जानें क्यों

    By Shilpa Srivastava Edited By:
    Updated: Wed, 13 Feb 2019 12:05 PM (IST)

    कॉम्पेटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) पिछले छह महीनों से इस मामले की समीक्षा कर रहा है। आपको बता दें कि इसी तरह का मामला Google के विरुद्ध यूरोप में भी चला था

    Google पर भारत में भी लग सकता है जुर्माना, जानें क्यों

    नई दिल्ली (टेक डेस्क)। भारत का एंटीट्रस्ट कमीशन Google पर लगाए गए आरोपों पर विचार कर रहा है। Google पर अपने प्रतिद्वंद्वियों को ब्लॉक करने के लिए अपने एंड्रॉइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम का गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है। कॉम्पेटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) पिछले छह महीनों से इस मामले की समीक्षा कर रहा है। आपको बता दें कि इसी तरह का मामला Google के विरुद्ध यूरोप में भी चला था। तब एंटीट्रस्ट नियामकों ने Google पर 5 डॉलर बिलियन का जुर्माना लगाया था। इसके बाद Google ने इस आदेश को चुनौती दी है।

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    आयोग ने यह पाया कि Google ने 2011 के बाद से अपनी मार्केट डॉमिनेंस का इस्तेमाल करते हुए एंड्रॉइड फोन निर्माताओं को उनके फोन में Google Play ऐप स्टोर समेत Google सर्च और Chrome को प्री-इंस्टॉल करने के लिए दवाब बनाया है। हालांकि, Google ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया है। खबरों के मुताबिक, Google एग्जीक्यूटिव्स ने हाल ही में भारतीय एंटीट्रस्ट अधिकारियों से बात की है। यहां Google ने ग्रुप्स द्वारा कंपनी पर लगाए गए आरोपों पर चर्चा की। माना जा रहा है कि भारत में भी Google के खिलाफ आरोपों की जांच करने को कहा जा सकता है। इस दौरान अगर Google के खिलाफ आरोप सिद्ध होता है तो भारत में भी Google पर जुर्माना लगाया जा सकता है।

    डिवाइस निर्माता एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल बिना किसी शुल्क के करते हैं। दुनियाभर में करीब 85 फीसद स्मार्टफोन्स में एंड्रॉइड का इस्तेमाल किया गया है। भारत में 2018 में बिके करीब 98 फीसद स्मार्टफोन्स एंड्रॉइड आधारित ही थे। इस बात की जानकारी काउंटरप्वाइंट रिसर्च की एक रिपोर्ट में दी गई थी।

    2018 अक्टूबर में Google ने कहा था कि वो स्मार्टफोन निर्माताओं से उसका लोकप्रिय Google Play ऐप स्टोर इस्तेमाल करने का शुल्क वसूल सकता है। साथ ही यूरोपीय संघ के आदेश का पालन करने के लिए उन्हें एंड्रॉइड के प्रतिद्वंद्वी वर्जन्स का इस्तेमाल करने की भी अनुमति दे सकता है। हालांकि, इस बदलाव को केवल यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र तक ही सीमित रखा गया है। इसमें 28 यूरोपीय संघ के देश और आइसलैंड, लिकटेंस्टीन और नॉर्वे शामिल हैं।

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