Aaj ka Panchang 23 June 2025: सोम प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का शुभ संयोग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी 23 जून को कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सोम प्रदोष व्रत किया जा रहा है। यह व्रत महादेव को समर्पित है। आइए ऐस्ट्रॉलजर आनंद सागर पाठक से जानते हैं आज के शुभ और अशुभ मुहूर्त के बारे में।
Aaj ka Panchang 23 June 2025: आज का पंचांग
आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। आज यानी 23 जून को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। हर महीने इस तिथि पर प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat 2025) किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान संध्याकाल में करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से साधक को सभी दुख से छुटकारा मिलता है। साथ ही महादेव की कृपा प्राप्त होती है। आज सोम प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है। त्रयोदशी तिथि पर कई योग का निर्माण हो रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं आज के पंचांग (Aaj ka Panchang 23 June 2025) और सोम प्रदोष व्रत के महत्व और पूजा विधि के बारे में।
तिथि: कृष्ण त्रयोदशी
मास पूर्णिमांत: आषाढ़
दिन: सोमवार
संवत्: 2082
तिथि: त्रयोदशी रात्रि 10 बजकर 09 मिनट तक
योग: धृति दोपहर 01 बजकर 17 मिनट तक
करण: गरज प्रात: 11 बजकर 46 मिनट तक
करण: वनिज रात्रि 10 बजकर 09 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 24 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 22 मिनट पर
चंद्रोदय: 24 जून रात 03 बजकर 46 मिनट पर
चन्द्रास्त: शाम 05 बजकर 26 मिनट पर
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सूर्य राशि: मिथुन
चंद्र राशि: वृषभ
पक्ष: कृष्ण
अभिजीत: प्रात: 11:55 बजे से दोपहर 12:51 बजे तक
अमृत काल: दोपहर 01:07 बजे से दोपहर 02:33 बजे तक
शुभ समय अवधि
अभिजीत: प्रात: 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक
अमृत काल: दोपहर 01 बजकर 07 मिनट से शाम 02 बजकर 33 मिनट तक
अशुभ समय अवधि
गुलिक काल: दोपहर 02 बजकर 08 मिनट से शाम 05 बजकर 53 मिनट तक
यमगंडा: प्रात: 10 बजकर 39 मिनट से दोपहर 12 बजकर 23 बजे मिनट तक
राहु काल: प्रात: 07 बजकर 09 मिनट से प्रात: 08 बजकर 54 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव कृतिका नक्षत्र में प्रवेश करेंगे…
कृतिका नक्षत्र: दोपहर 03 बजकर 16 बजे तक, फिर रोहिणी
सामान्य विशेषताएं: प्रेरणादायक, परंपराओं को मानने वाले, क्रोधी, वासना प्रवृत्ति, चालाक, निर्भीक वक्ता, उच्च विचारों वाला और प्रसिद्धि प्रिय
नक्षत्र स्वामी: सूर्य
राशि स्वामी: मंगल और शुक्र
देवता: अग्नि
प्रतीक: भाला
सोम प्रदोष व्रत का महत्व
सोम प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित एक विशेष व्रत है, जो हर माह शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को, सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में रखा जाता है। जब यह व्रत सोमवार को पड़ता है, तो इसे सोम प्रदोष व्रत कहते हैं और यह भगवान शिव का अत्यंत प्रिय व्रत माना जाता है। इस व्रत को रखने से मानसिक शांति, वैवाहिक जीवन में प्रेम और परिवार में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। वैदिक ज्योतिष अनुसार, यह व्रत चंद्रमा से जुड़े अशुभ योगों को शांत करने में भी सहायक होता है। जो व्यक्ति श्रद्धा और विधिपूर्वक यह व्रत करता है, उसे भगवान शिव की कृपा से इच्छित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में संतुलन व सुख की वृद्धि होती है।
प्रदोष काल अवधि-
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ- 23 जून को प्रातः 01 बजकर 21 मिनट तक
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 23 जून को रात्रि 10 बजकर 09 मिनट पर
सोम प्रदोष व्रत की विधि-
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
- स्वच्छ वस्त्र पहनें और घर के मंदिर की सफाई करें।
- एक वेदी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
- शिवलिंग या भगवान शिव को बेलपत्र, गंगाजल, धतूरा, भांग, सफेद फूल और दीप अर्पित करें।
- भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
- “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें या शिव-पार्वती के नामों का स्मरण करें।
- श्रद्धा से प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करें।
- अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
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