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    June Pradosh Vrat 2025: कब है जून महीने का अंतिम प्रदोष व्रत? जानें डेट, महत्व और मुहूर्त

    Updated: Mon, 16 Jun 2025 09:45 AM (IST)

    प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित है। हर महीने में दो प्रदोष व्रत आते हैं - कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में। इस दिन भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। प्रदोष काल में शिव की पूजा करने से रोग और दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।

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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बड़ा महत्व है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और कष्टों का अंत होता है। प्रत्येक माह में दो प्रदोष व्रत (June Pradosh Vrat 2025) पड़ते हैं एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में। वहीं, जून महीने का आखिरी प्रदोष व्रत कब है? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।

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    प्रदोष व्रत 2025 कब है? (Pradosh Vrat 2025 Date And Time)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष का अंतिम प्रदोष व्रत 23 जून को रखा जाएगा। इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 22 मिनट से लेकर 09 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।

    प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व (Pradosh Vrat 2025 Significance)

    प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। प्रदोष शब्द का अर्थ है रात की शुरुआत होने वाला समय, जो सूर्यास्त के बाद और रात्र के आगमन से पहले का समय होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और सभी देवी-देवता उनकी पूजा करते हैं। इस शुभ समय में शिव पूजा करने से भक्तों को रोग-दोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है।

    प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi)

    • इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
    • इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
    • सुबह भगवान शिव की पूजा विधिवत करें।
    • इसके बाद शाम के समय एक वेदी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
    • गंगाजल से अभिषेक करें।
    • उन्हें बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, सफेद चंदन, अक्षत, धूप, दीप, फल और मिठाई आदि चीजें चढ़ाएं।
    • 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करें।
    • शिव चालीसा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
    • अंत में आरती कर भगवान से प्रार्थना करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।