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    Pradosh Vrat 2025: आषाढ़ महीने में कब-कब है प्रदोष व्रत? यहां पता करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 05 Jun 2025 02:58 PM (IST)

    आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2025) मनाई जाती है। इस दिन से अगले चार महीने तक भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करते हैं। वहीं कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर जग के नाथ भगवान विष्णु जागृत होते हैं।

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    Pradosh Vrat 2025: भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में आषाढ़ महीने का खास महत्व है। इस महीने में देवशयनी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन से जगत के पालनहार भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। इसके साथ ही कई अन्य प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। 

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    वहीं, कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत मनाया जाता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि आषाढ़ महीने में कब-कब प्रदोष व्रत है? आइए, प्रदोष व्रत की डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    प्रदोष व्रत 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 23 जून को देर रात 01 बजकर 21 मिनट पर आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरू होगी। वहीं, 23 जून को रात 10 बजकर 09 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। अत: 23 जून को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा का शुभ समय शाम 07 बजकर 22 मिनट से लेकर 09 बजकर 23 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा कर सकते हैं। 

    प्रदोष व्रत 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 07 जुलाई को रात 11 बजकर 10 मिनट पर आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरू होगी। वहीं, 09 जुलाई को देर रात 12 बजकर 38 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। इस प्रकार 08 जुलाई को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा हेतु शुभ समय शाम 07 बजकर 22 मिनट से लेकर 09 बजकर 23 मिनट तक है। साधक 08 जुलाई को व्रत रख देवों के देव महादेव की पूजा कर सकते हैं। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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