Yogini Ekadashi 2025: क्यों मनाई जाती है योगिनी एकादशी? जानें व्रत का महत्व
योगिनी एकादशी (Yogini Ekadashi 2025) का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और यह आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस साल यह व्रत 21 जून को रखा जाएगा। इस दिन उपवास रखने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। योगिनी एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में बहुत खास माना जाता है, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। यह व्रत हर साल आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल यह व्रत 21 जून को पड़ रहा है। इस दिन (Yogini Ekadashi 2025) उपवास रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, यह व्रत क्यों मनाया जाता है? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।
क्यों मनाई जाती है योगिनी एकादशी? (Why is Yogini Ekadashi celebrated?)
स्वर्ग लोक में कुबेर नाम का राजा रहता था, जो भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था। रोजाना वो शिव जी की पूजा करता था। एक दिन उसका हेम नाम का माली था, जो उसके लिए रोज फूल-माला लाता था। माली की पत्नी का नाम विशालाक्षी था। वह बेहद सुंदर थी। एक बार जब सुबह माली मानसरोवर से फूल तोड़कर लाया, लेकिन कामासक्त होने की वजह से वह अपनी स्त्री से हास्य-विनोद करने लगा। राजा को पूजा करने में देरी हो गई, जिसकी वजह से वह क्रोधित हुआ। ऐसे में राजा ने माली को श्राप दे दिया। उन्होंने कहा कि तुमने ईश्वर की भक्ति से ज्यादा कामासक्ति को प्राथमिकता दी है, तुम्हारा स्वर्ग से पतन होगा और तुम धरती पर स्त्री वियोग और कुष्ठ रोग का सामना करोगे।
जब माली को कुष्ठ रोग हो गया
इसके बाद वह धरती पर आ गिरा, जिसकी वजह से उसे कुष्ठ रोग हो गया और उसकी स्त्री भी चली गई। वह कई वर्षों तक धरती पर कष्टों का सामना करता रहा। एक बार माली को मार्कण्डेय ऋषि के दर्शन हुए। तब उसने अपने जीवन की सभी परेशानियों को बताया। ऋषि माली को बातों को सुनकर आश्चर्य हुआ। ऐसे में मार्कण्डेय ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी के व्रत के महत्व के बारे में बताया।
व्रत का प्रभाव
मार्कण्डेय ने कहा कि इस व्रत को करने से तुम्हारे जीवन के सभी पाप खत्म हो जाएंगे और तुम्हे दोबारा से स्वर्ग लोक की प्राप्ति हो जाएगी। माली ने ठीक वैसा ही किया जैसा कि ऋषि ने बताया था। इसके बाद भगवान विष्णु ने उसके समस्त पापों को क्षमा करके उसे दोबारा से स्वर्ग लोक में स्थान दिया।
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