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    Mithun Sankranti 2025: मिथुन संक्रांति पर इस विधि से करें पूजा, मिलेगा भगवान सूर्य का आशीर्वाद

    Updated: Sun, 15 Jun 2025 09:50 AM (IST)

    मिथुन संक्रांति (Mithun Sankranti 2025) एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो सूर्य के मिथुन राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा करने और पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन दान-पुण्य करने से दोगुना फल मिलता है। वहीं इस दिन गायत्री मंत्र का जप करना भी बहुत शुभ माना गया है।

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    Mithun Sankranti 2025: मिथुन संक्रांति पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल सूर्य जब वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह शुभ परिवर्तन मिथुन संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिषीय गणना के आधार पर इस साल यह (Mithun Sankranti 2025) 15 जून यानी आज के दिन मनाई जा रही है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों ही दृष्टि से महत्व रखता है।

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    इस दिन भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है, तो आइए इस आर्टकिल में इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

    मिथुन संक्रांति का धार्मिक महत्व (Mithun Sankranti 2025 Significance)

    सूर्य देव को ग्रहों का राजा माना जाता है और उनका राशि परिवर्तन सभी राशियों पर प्रभाव डालता है। मिथुन राशि में सूर्य का गोचर विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने का भी विधान है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन दान करने से दोगुना फल की प्राप्ति है।

    मिथुन संक्रांति पूजा विधि (Mithun Sankranti 2025 Puja Rituals)

    • संक्रांति के दिन पवित्र नदी या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
    • स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें।
    • एक तांबे के लोटे में जल लें और उसमें थोड़ा सा लाल चंदन, लाल फूल और अक्षत मिलाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें।
    • अर्घ्य देते समय 'ॐ घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का 108 बार जप करें।
    • इसके बाद सूर्य देव की प्रतिमा स्थापित करें।
    • धूप-दीप जलाएं।
    • सूर्य चालीसा का पाठ करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
    • अंत में आरती के साथ पूजा का समापन करें।
    • पिता का सम्मान करें।
    • पूजा के बाद गुड़, गेहूं, लाल मसूर की दाल, तांबे के बर्तन या लाल वस्त्र का दान करें।
    • इस दिन खिचड़ी या सत्तू का सेवन भी शुभ माना जाता है।
    • ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराएं।
    • इस दिन गायत्री मंत्र का जाप भी बहुत शुभ माना गया है।

    मिथुन संक्रांति के शुभ मुहूर्त (Mithun Sankranti 2025 Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, अभिजीत सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। अमृत काल दोपहर 02 बजकर 19 मिनट से दोपहर 03 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। पुण्यकाल सुबह 06 बजकर 53 मिनट से दोपहर 02 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। महापुण्यकाल सुबह 06 बजकर 53 मिनट से सुबह 09 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।