Masik Shivratri 2025: मासिक शिवरात्रि के दिन जरूर करें ये उपाय, बिना रुकावट पूरा होगा हर काम
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से साधक को जीवन में शुभ परिणाम मिल सकते हैं। साथ ही इस दिन पर कुछ उपाय करने से भी आपको अपनी स्थिति में लाभ देखने को मिल सकता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही उपाय जो आपको धन से लेकर अन्य कई समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2025) का व्रत किया जाता है। इस तिथि पर विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती जी की पूजा की जाती है। इस दिन पर शिवलिंग का अभिषेक करने, भगवान शिव के मंत्रों का जप आदि करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri Muhurat)
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 जून को शाम 6 बजकर 39 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 24 जून को दोपहर 3 बजकर 29 मिनट पर होगा। ऐसे में आषाढ़ माह की मासिक शिवरात्रि का व्रत सोमवार, 23 जून को किया जाएगा। इस दिन पूजा मध्य रात्रि में करने का विधान है, ऐसे में पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -
पूजा का मुहूर्त - रात 12 बजकर 44 मिनट से रात 1 बजकर 25 मिनट तक
पूजा में जरूर करें ये काम
मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव का अभिषेक करें और उन्हें बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित करें। इसके साथ ही इस भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र का जाप 11 बार रुद्राक्ष की माला से करें। ऐसा करने से शिव जी कृपा आपके ऊपर बनी रहती है।
नहीं सातएगी धन की कमी
अगर आप धन संबंधी परेशानियां झेल रहे हैं, तो इसके लिए मासिक शिवरात्रि के दिन आपको शिवलिंग पर गन्ने का रस जरूर अर्पित करें। ऐसा करने से आपको अपनी स्थिति में काफी लाभ देखने को मिल सकता है। साथ ही धन लाभ के योग भी बनने लगते हैं।
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नहीं पड़ेगा ग्रहों का अशुभ प्रभाव
मासिक शिवरात्रि के दिन आप पूजा के दौरान शिवलिंग का शहद से अभिषेक कर सकते हैं। माना जाता है कि इससे जातक को अशुभ ग्रहों के प्रभाव में मुक्ति मिल सकती है। वहीं शहद का संबंध गुरु ग्रह से माना गया है, ऐसे में मासिक शिवरात्रि पर शिवलिंग का शहद से अभिषेक करने से कुंडली में देवगुरु बृहस्पति की स्थिति मजबूत होती है।
शिव जी के मंत्र
1. ॐ नमः शिवाय
2. ॐ नमो भगवते रूद्राय
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात
4. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्
5. कर्पूरगौरं करुणावतारं
संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम् ।
सदावसन्तं हृदयारविन्दे
भवं भवानीसहितं नमामि ॥
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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