Nag Panchami 2025: कब और क्यों मनाई जाती है नाग पंचमी? नोट करें सही डेट और महत्व
हिंदू धर्म में नागों का विशेष स्थान है। नागों (Nag Panchami 2025 Date) को दिव्यता और रहस्य का प्रतीक माना गया है। पौराणिक कथाओं में नागों का उल्लेख विभिन्न रूपों में मिलता है। भगवान शिव के गले में वासुकि नाग लिपटे रहते हैं। यह उनके संहारक रूप को दर्शाता है।

डा. प्रणव पण्ड्या (अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख व आध्यात्मिक चिंतक)। भारत में धर्म, संस्कृति और प्रकृति का अनोखा संगम देखने को मिलता है। यहां पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों से लेकर प्राकृतिक शक्तियों तक की पूजा की जाती है।
इन्हीं मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ा एक प्रमुख पर्व है नाग पंचमी, जो प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि (इस बार 29 जुलाई) को मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से नागों (साँपों) की पूजा के लिए प्रसिद्ध है और भारत के अलावा नेपाल, बांग्लादेश और अन्य हिन्दू संस्कृति से जुड़े देशों में भी इसे श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
सांप हमें कई मूक संदेश भी देता है। सांप के गुण देखने की हमारे पास गुणग्राही और शुभग्राही दृष्टि होनी चाहिए। भगवान दत्तात्रेय की ऐसी शुभ दृष्टि थी, इसलिए ही उन्हें प्रत्येक वस्तु से कुछ न कुछ सीख मिली।
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हिंदू धर्म में नागों का विशेष स्थान है। नागों को दिव्यता और रहस्य का प्रतीक माना गया है। पौराणिक कथाओं में नागों का उल्लेख विभिन्न रूपों में मिलता है। भगवान शिव के गले में वासुकि नाग लिपटे रहते हैं। यह उनके संहारक रूप को दर्शाता है। वहीं भगवान विष्णु शेषनाग की शय्या पर शयन करते हैं, यह उनके संरक्षण और संतुलन के प्रतीक हैं। महाभारत, रामायण और स्कंद पुराण जैसी ग्रंथों में नागों का वर्णन विशेष रूप से मिलता है।
इसलिए नागों की पूजा को देवताओं की कृपा प्राप्ति का माध्यम माना गया है। इस दिन नागों को दूध, फूल, चावल, दूर्वा आदि अर्पित किए जाते हैं और विशेष मंत्रों से उनकी आराधना की जाती है। यह श्रावण मास का पर्व है, जो कि बरसात का मौसम होता है और इस समय नाग-जंतु अधिक संख्या में बाहर निकलते हैं। प्राचीन ग्रंथों के अनुसार, नाग देवता को प्रसन्न करने से सर्पदंश (सांप के काटने) से बचाव होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
आज के आधुनिक युग में प्राकृतिक संसाधनों और जीव-जंतुओं के संरक्षण की आवश्यकता है। सांप पारिस्थितिक तंत्र का अहम हिस्सा हैं और उनकी रक्षा करना जैव विविधता के लिए आवश्यक है। नागों की पूजा करके हम प्रकृति के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं और शांति, समृद्धि व सुरक्षा की कामना करते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि अन्य जीव-जंतु भी इस धरती के समान रूप से भागीदार हैं और उनके साथ सह-अस्तित्व की भावना जरूरी है।
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ऐसा कहा जाता है कि सांप बिना कारण किसी को नहीं काटता। वर्षों परिश्रम संचित शक्ति यानी अपने विष को वह किसी को यों ही काटकर व्यर्थ खो देना नहीं चाहता। हम भी जीवन में कुछ ऐसे तप-साधना करेंगे तो उससे हमें भी शक्ति पैदा होगी। यह शक्ति किसी पर गुस्सा करने में, निर्बलों को परेशान करने में या अशक्तों को दुःख देने में व्यर्थ नहीं करें। बल्कि उस शक्ति को विकास करने में, असमर्थों को समर्थ बनाने में, निर्बलों को सबल बनाने में खर्च करें, ऐसा सोच होना चाहिए।
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