जीवन दर्शन: कर्मों के आधार पर बदला जा सकता है भाग्य, रखें इन बातों का ध्यान
कठिन समय आपके कार्य करने की कुशलता को निखारता है। दुःख जीवन में गहराई लाता है। इसलिए परिस्थिति चाहे अच्छी हो या खराब हर स्थिति का उपयोग अपने लाभ के लिए करें यही बुद्धिमत्ता है। अच्छे कर्म वे हैं जो जीवन में योग्यता लाते हैं और आपको आनंदित करते हैं।गलत कर्म वे हैं जिससे आप स्वयं को भी चोट पहुंचाते हैं और उनसे दूसरों को भी हानि होती है।

आचार्य नारायण दास (श्रीभरतमिलाप आश्रम, ऋषिकेश)। कभी-कभी लगता है कि हमने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया है और न ही किसी के विषय में कुछ गलत सोचा है, फिर भी जीवन में दुःख है। कई बार ऐसा प्रतीत होता है कि अच्छे लोगों के साथ गलत चीजें होती हैं, जबकि खराब लोग जीवन का आनंद ले रहे हैं! लेकिन यह वास्तविकता नहीं है, इन तथाकथित खराब लोगों ने अतीत में अवश्य ही कुछ अच्छा कर्म किया है, जिसके कारण आज उन्हें अच्छे परिणाम मिल रहे हैं और जो लोग अच्छा कर रहे हैं, अगर उनके साथ कुछ बुरा हो रहा है तो जाने-अनजाने में उनके द्वारा अतीत में कुछ तो गलत हुआ होगा।
हालांकि यदि किसी के साथ कुछ बुरा हो रहा है तो इसका अर्थ केवल यह नहीं है कि ऐसा उनके बुरे कर्मों के कारण हो रहा है। इसका एक कारण उनकी स्वयं की मूर्खता भी हो सकती है या फिर हो सकता है कि जीवन में किसी विशेष परिस्थिति के कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कारण जो भी हो, कठिन समय आपके कार्य करने की कुशलता को निखारता है। दुःख जीवन में गहराई लाता है। इसलिए परिस्थिति चाहे अच्छी हो या खराब, हर स्थिति का उपयोग अपने लाभ के लिए करें, यही बुद्धिमत्ता है।
अच्छे कर्म वे हैं जो जीवन में योग्यता लाते हैं और आपको आनंदित करते हैं। गलत कर्म वे हैं, जिससे आप स्वयं को भी चोट पहुंचाते हैं और उनसे दूसरों को भी हानि होती है। अच्छे या गलत कर्मों को पकड़ कर न बैठे रहें; उनमें फंसे नहीं, आगे बढ़ें। जीवन में किसी भी रिश्ते में कभी मीठे तो कभी कड़वे अनुभव आते ही हैं, लेकिन यदि आप हर समय इसका विश्लेषण करने बैठेंगे तो इसका कोई अंत नहीं है। लोगों के विचार, भावनाएं और मत सब कुछ बदलता है। कई बार आपके मित्र शत्रु बन जाते हैं और कई बार आपके शत्रु मित्रवत हो जाते हैं। आप किसी के मित्र हैं और अचानक बिना किसी स्पष्ट कारण के वे आपसे एक शत्रु की तरह व्यवहार करने लगते हैं। दूसरी तरफ कई बार ऐसे लोग आपकी सहायता के लिए आते हैं, जिन्हें आप जानते भी नहीं।
कर्म दो प्रकार के होते हैं: एक वे जो तुरंत फल देते हैं और दूसरे वे जो कुछ समय बाद फल देते हैं। उदाहरण के लिए यदि आप अपना हाथ आग में डालते हैं तो आप बाद में नहीं, बल्कि तुरंत जल जाएंगे, लेकिन वहीं यदि आप आज आम का बीज बोएंगे तो उसे पेड़ बनने में कई वर्ष लग जाएंगे। कर्म और उसके परिणाम पूरी तरह से जानना आपकी समझ से परे हैं। कुछ कर्मों का समाधान केवल परिणामों से निपटकर किया जा सकता है, जबकि कुछ कर्मों के परिणाम को बदला जा सकता है। उदाहरण के लिए सूजी का हलवा बनाते समय मीठा कम होने पर उसमें और अधिक चीनी डालकर उसकी मिठास बढ़ाई जा सकती है लेकिन एक बार पकने के बाद हलवे को दोबारा सूजी में नहीं परिवर्तित किया जा सकता है।
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ध्यान, जप, यज्ञ और दान करने से संचित कर्मों को बदलने में सहायता मिलती है। किसी की आलोचना या निंदा न करें। जीवन में हमें जो कुछ भी मिला है उसके प्रति कृतज्ञता का भाव रखने से भी कर्मों का समाधान होता है। आत्मज्ञान के मार्ग पर अपने सद्गुणों और दुर्गुणों दोनों को समर्पित कर दें, विश्राम करें और खुश रहें। आप जितना अधिक निश्चिंत रहेंगे, आपके काम उतनी ही अधिक सहजता से होने लगेंगे। जब हम अपनी प्रकृति के अनुसार कार्य करते हैं तो सब कुछ ठीक रहता है। अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनें और ऐसा कुछ भी न करें जो आप नहीं चाहते कि दूसरे आपके साथ करें।
हमें वह काम बिलकुल नहीं करना चाहिए, जिससे क्षणिक खुशी तो मिले लेकिन लंबे समय में परेशानी हो। हमें वह करना चाहिए जिससे दीर्घकालिक लाभ हो, भले ही इसके लिए कुछ अल्पकालिक अप्रिय स्थितियों का सामना करना पड़े। यही कर्म की कसौटी है। अब यह प्रश्न हो सकता है कि नकारात्मक कर्मों से छुटकारा कैसे मिल सकता है? जब कमरे में लाइट नहीं जलती तो वहां अंधेरा रहता है, लेकिन जैसे ही रौशनी आती है तो अंधेरा नहीं रह जाता। उसी प्रकार नकारात्मक कर्म को अंधकार के रूप में देखें, ज्ञान का प्रकाश जलाएं और अंधकार गायब हो जाएगा। जब आप जरूरतमंदों की सेवा करते हैं और ज्ञान में रहते हैं तो नकारात्मक कर्मों की छाया भी आपको छू नहीं सकती।
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