Hariyali Teej 2025: कब और क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज? नोट करें सही डेट और महत्व
ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने 108 बार जन्म लिया था और कठोर तप कर शिव जी को पति रूप में प्राप्त किया। हरियाली तीज (Hariyali Teej 2025) का व्रत उसी तपस्या और समर्पण की स्मृति में रखा जाता है। विवाहित स्त्रियां अपने पति के दीर्घायु और सुखमय जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

डा. चिन्मय पण्ड्या (प्रतिकुलपति, देवसंस्कृति विश्वविद्यालय)। भारत विविधताओं और त्योहारों की भूमि है, जहां प्रत्येक पर्व धार्मिक अनुष्ठान के साथ ही सामाजिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक पहलुओं से भी गहराई से जुड़ा होता है। इन्हीं पर्वों में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और हृदयस्पर्शी त्योहार है - हरियाली तीज।
यह पर्व भारतीय संस्कृति की गहराइयों को दर्शाता है और श्रावण मास की रिमझिम फुहारों, हरियाली और सौंदर्य को भी मनाने का अवसर है। यह पर्व महिलाओं के प्रेम, भक्ति और समर्पण की ओर इंगित करता है और प्रकृति और पारिवारिक मूल्यों के प्रति सम्मान को भी उजागर करता है।
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हरियाली तीज का आयोजन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया (इस बार 27 जुलाई) को होता है, जब धरती वर्षा ऋतु के कारण हरी चुनरी ओढ़ लेती है। यह मौसम पेड़ों पर झूले डालने, मेंहदी रचाने, और हरियाली से आनंदित होने का होता है। महिलाएं आकर्षक व सुंदर वस्त्र पहनती हैं, जिसे समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
इस पर्व का पौराणिक आधार माता पार्वती और भगवान शिव के दिव्य मिलन से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि माता पार्वती ने 108 बार जन्म लिया था और कठोर तप कर शिव जी को पति रूप में प्राप्त किया। हरियाली तीज का व्रत उसी तपस्या और समर्पण की स्मृति में रखा जाता है।
विवाहित स्त्रियां अपने पति के दीर्घायु और सुखमय जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना करती हैं। हरियाली तीज धार्मिक आस्था के साथ साथ नारी-संवेदना और सामाजिकता का भी प्रतीक है।
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यह वह दिन होता है, जब स्त्रियां घर के दायित्वों से थोड़ा विराम लेकर सखियों के संग गीत-नृत्य करती हैं, झूला झूलती हैं और आपसी संबंधों को मजबूत करती हैं। यह त्योहार सास-बहू, मां-बेटी और सहेलियों के बीच प्रेम को और गहराता है। तीज का त्योहार महिलाओं और उनकी संतान प्राप्ति की भावना का प्रतीक है।
हरियाली तीज का त्योहार प्रकृति, प्रेम, नारी सशक्तीकरण और पारिवारिक मूल्यों का समन्वय है। यह पर्व हमें सिखाता है कि सच्चा प्रेम केवल पाने में नहीं, बल्कि समर्पण में है और जीवन में अगर हरियाली चाहिए, तो उसमें श्रद्धा, आस्था और संबंधों की मिठास होनी चाहिए।
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