Lord Ram Kundali: आखिर क्यों भगवान श्रीराम को जीवन भर संघर्षों का करने पड़ा था सामना?
सनातन धर्म में भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व है। क्योंकि प्रभु श्रीराम को आदर्श पुरुष का प्रतीक माना जाता है। उनके जीवन से भक्त को ...और पढ़ें

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धार्मिक मान्यता के अनुसार, रोजाना भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना और प्रिय भोग लगाने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सफलता के रास्ते खुलते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। राम जी गुणों के कारण आदर्श पुरुष माने जाते हैं।
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(Pic Credit- Freepik)
भगवान श्रीराम (Lord Ram Kundali Analysis) ने अपने जीवन के दौरान कई तरह की समस्या का सामना किया, जैसे- 14 साल का वनवास, मां सीता का हरण, मातृ और पितृ वियोग, लंकापति रावण से युद्ध आदि हैं। लेकिन आप जानते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को जीवन में इन संघर्षों (Struggles in Shri Ram Life) का सामना क्यों करना पड़ा था। अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए हम आपको इसकी वजह के बारे में विस्तार से बताएंगे।
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इस प्रकार थी राम जी की कुंडली
राम जी की (Planetary Positions in Ram Horoscope) कुंडली में कई शुभ और अशुभ योग हैं, जिसका प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा और जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ा।
नौमी तिथि मधुमास पुनीता। सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥
मध्यदिवस अति सीत न घामा। पावन काल लोक बिश्रामा॥
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान श्रीराम की कुंडली का वर्णन रामचरितमानस के बालकांड में देखने को मिलता है। इस दोहे में प्रभु के जन्म के समय के बारे में बताया गया है। इस दोहे का अर्थ यह है कि राम जी का जन्म चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर हुआ था। उनका जन्म कर्क लग्न में अभिजीत मुहूर्त के दौरान हुआ था।
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प्रभु की कुंडली में उच्च का मंगल सप्तम भाव में है, जो मांगलिक दोष प्रदर्शित करता है। इसी वजह से राम जी को वैवाहिक जीवन में कई समस्या का सामना करना पड़ा। नीच गुरु होने की वजह से भगवान श्रीराम को सीता जी से वियोग मिला था।
राम जी की कुंडली में शनि ग्रह मातृ में हैं और आत्मा, पिता एवं यश के कारक सूर्य देव पितृ भाव में हैं। ऐसा माना जाता है कि सूर्य और शनि देव के रिश्ते मधुर नहीं होते हैं, जिसकी वजह से राम ने अपने माता-पिता से वियोग का सामना किया।
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