Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भगवान राम ने वनवास में की थी इस शक्तिपीठ की पूजा, भक्तों के सभी कष्ट हरती हैं देवी

    Updated: Fri, 18 Apr 2025 02:10 PM (IST)

    पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव के क्रोध को शांत करने के लिए विष्णु जी ने अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के शरीर के कई टुकड़े कर दिए। जहां-जहां माता सती के अंग व आभूषण गिरे आज उन स्थानों पर 51 शक्तिपीठ (Shaktipeeth in India) स्थापित हैं। अलग-अलग धार्मिक ग्रंथों में इन शक्तिपीठों की संख्या अलग-अलग बताई गई है।

    Hero Image
    Ramgiri Shaktipeeth Chitrakoot जानिए इस शक्तिपीठ का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में देवी सती को समर्पित शक्तिपीठों की विशेष मान्यता है। माना जाता है कि जो भी भक्त इस सभी शक्तिपीठों के दर्शन कर लेता है, उसे जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। आज हम आपको उत्तर प्रदेश में स्थित एक ऐसे शक्तिपीठ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका संबंध भगवान राम से माना गया है। चलिए जानते हैं उस खास शक्तिपीठ के बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    इसलिए कहलाता है रामगिरि शक्तिपीठ

    वाल्मीकि रामायण में वर्णन मिलता है कि भगवान राम समेत माता सीता और लक्ष्मण जी ने अपने वनवास के दौरान साढ़े ग्यारह वर्ष उत्तर प्रदेश के चित्रकूट (Lord Ram in Chitrakoot) में बिताए थे। चित्रकूट में ही वह शक्तिपीठ स्थापित है, जिसे लेकर यह माना जाता है कि वनवास के दौरान इस स्थान पर भगवान राम ने पूजा-अर्चना अर्चना की थी। ऐसे में भगवान राम की भक्ति के कारण यह शक्तिपीठ रामगिरि शक्तिपीठ के नाम से भी प्रचलित है।

    (Picture Credit: Freepik)

    कुछ लोग मध्य प्रदेश के मैहर में शारदा देवी मंदिर को शक्ति पीठ मानते हैं, तो वहीं कुछ लोग उत्तर प्रदेश के चित्रकूट (Ramgiri Shakti Peeth) में स्थित शारदा मंदिर को शक्ति पीठ मानते हैं। इसे लेकर कई मतभेद मिलते हैं।  

    यह भी पढ़ें - ऋषि मार्कंडेय ने इस मंदिर में की थी कई वर्षों तक तपस्या, खुले आसमान के नीचे है देवी की प्रतिमा

    क्या है मान्यता

    माना जाता है कि उत्तर प्रदेश में मंदाकिनी नदी के पास मां सती का दायां स्तन गिरा था, जिसे शिव पुराण में शिवानी शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है। चित्रकूट के मंदाकिनी नदी किनारे एमपी क्षेत्र के नया गांव में एक बहुत सुंदर मंदिर स्थापित है।

    यहां देवी को शिवानी रूप में पूजा जाता है, वहीं भैरव देव को चंड कहते हैं। यह स्थान बहुत ही पवित्र माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि यहां दर्शन करने से साधक को को अपनी विपत्तियों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होती हैं।

    यह भी पढ़ें - Lord Shiva Third Eye: भगवान शंकर के तीसरे नेत्र की उत्पत्ति कैसे हुई?

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।