Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऋषि मार्कंडेय ने इस मंदिर में की थी कई वर्षों तक तपस्या, खुले आसमान के नीचे है देवी की प्रतिमा

    Updated: Mon, 14 Apr 2025 04:32 PM (IST)

    देशभर में देवी-देवताओं को समर्पित ऐसे कई मंदिर हैं जो किसी मान्यता या फिर अन्य वजह से बेहद प्रसिद्ध हैं। एक ऐसा ही मंदिर हिमाचल प्रदेश में है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर (Shikari Devi Temple History) कई वर्षों तक ऋषि मार्कंडेय ने तपस्या की थी। धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से भक्त की सभी मुरादें पूरी होती हैं।

    Hero Image
    Shikari Devi Temple: जानिए शिकारी देवी मंदिर का इतिहास

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। इस राज्य में देवी-देवताओं को समर्पित कई मंदिर हैं, जिनको बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और मंदिरों में दूर-दूर से भक्त देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना और दर्शनों के लिए आते हैं। हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है, जहां कई वर्षों तक ऋषि मार्कंडेय ने तपस्या की थी और इस मंदिर की छत नहीं है। इसे शिकारी देवी मंदिर (Shikari Devi Mandir) के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं शिकारी देवी मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कहां है शिकारी देवी मंदिर?

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में शिकारी देवी मंदिर है। यह मंदिर जंजैहली से लगभग 18 किलोमीटर दूर 3359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शिकारी चोटी मंडी की सबसे ऊंची चोटी है, जिसकी वजह से इसे मंडी का मुकुट भी कहा जाता है। इस मंदिर के रास्ते में अधिक जंगल है। सर्दी के मौसम के दौरान मंदिर के इलाके में अधिक बर्फबारी देखने को मिलती है।

    यह भी पढ़ें: Kashi Vishwanath Temple: काशी विश्वनाथ मंदिर में कब की जाती है शयन आरती और क्या है धार्मिक महत्व?

    क्या है मंदिर की खासियत

    इस मंदिर की छत नहीं है। मंदिर में प्रतिमा खुले आसमान के नीचे विराजमान है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है।  इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि मां शिकारी की प्रतिमा खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं।

     

    पांडवों ने की थी तपस्या

    इस मंदिर का इतिहास ( Shikari Devi Temple History) महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। ऐसा बताया जाता है कि अज्ञातवास के समय इस मंदिर में ऋषि मार्कंडेय (Rishi Markandeya) ने कई वर्षों तक तपस्या की थी। इस मंदिर में मां शिकारी देवी की प्रतिमा विराजमान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में मां शिकारी देवी की पूजा और दर्शन करने से भक्त की सभी मुरादें पूरी होती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है।  

    कैसे पहुंचे शिकारी देवी मंदिर

    अगर आप शिकारी देवी मंदिर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आप मंदिर में हवाई मार्ग, ट्रेन और सड़क मार्ग के द्वारा पहुंच सकते हैं।

    • इस मंदिर से लगभग 118 किलोमीटर की दूरी पर कुल्लू हवाई अड्डा है। यहां पर आप कैब के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
    • जोगिंदर नगर में नैरो गेज लाइन है। यहां से मंदिर से 152 किलोमीटर दूर है। यहां से ट्रेन के बाद आप कैब की मदद से मंदिर सकते हैं।
    • इसके अलावा चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग भी नजदीक है।  

    यह भी पढ़ें: Manikarnika Ghat: काशी में मृत्यु का होना क्यों माना जाता है मंगल? पढ़िए मणिकर्णिका घाट का रहस्य

    Source- Shikari Devi Temple

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।