ऋषि मार्कंडेय ने इस मंदिर में की थी कई वर्षों तक तपस्या, खुले आसमान के नीचे है देवी की प्रतिमा
देशभर में देवी-देवताओं को समर्पित ऐसे कई मंदिर हैं जो किसी मान्यता या फिर अन्य वजह से बेहद प्रसिद्ध हैं। एक ऐसा ही मंदिर हिमाचल प्रदेश में है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर (Shikari Devi Temple History) कई वर्षों तक ऋषि मार्कंडेय ने तपस्या की थी। धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से भक्त की सभी मुरादें पूरी होती हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। इस राज्य में देवी-देवताओं को समर्पित कई मंदिर हैं, जिनको बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और मंदिरों में दूर-दूर से भक्त देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना और दर्शनों के लिए आते हैं। हिमाचल प्रदेश में एक ऐसा मंदिर है, जहां कई वर्षों तक ऋषि मार्कंडेय ने तपस्या की थी और इस मंदिर की छत नहीं है। इसे शिकारी देवी मंदिर (Shikari Devi Mandir) के नाम से जाना जाता है। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं शिकारी देवी मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।
कहां है शिकारी देवी मंदिर?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में शिकारी देवी मंदिर है। यह मंदिर जंजैहली से लगभग 18 किलोमीटर दूर 3359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। शिकारी चोटी मंडी की सबसे ऊंची चोटी है, जिसकी वजह से इसे मंडी का मुकुट भी कहा जाता है। इस मंदिर के रास्ते में अधिक जंगल है। सर्दी के मौसम के दौरान मंदिर के इलाके में अधिक बर्फबारी देखने को मिलती है।
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क्या है मंदिर की खासियत
इस मंदिर की छत नहीं है। मंदिर में प्रतिमा खुले आसमान के नीचे विराजमान है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि मां शिकारी की प्रतिमा खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं।
पांडवों ने की थी तपस्या
इस मंदिर का इतिहास ( Shikari Devi Temple History) महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। ऐसा बताया जाता है कि अज्ञातवास के समय इस मंदिर में ऋषि मार्कंडेय (Rishi Markandeya) ने कई वर्षों तक तपस्या की थी। इस मंदिर में मां शिकारी देवी की प्रतिमा विराजमान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में मां शिकारी देवी की पूजा और दर्शन करने से भक्त की सभी मुरादें पूरी होती है और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
कैसे पहुंचे शिकारी देवी मंदिर
अगर आप शिकारी देवी मंदिर जाने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो आप मंदिर में हवाई मार्ग, ट्रेन और सड़क मार्ग के द्वारा पहुंच सकते हैं।
- इस मंदिर से लगभग 118 किलोमीटर की दूरी पर कुल्लू हवाई अड्डा है। यहां पर आप कैब के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
- जोगिंदर नगर में नैरो गेज लाइन है। यहां से मंदिर से 152 किलोमीटर दूर है। यहां से ट्रेन के बाद आप कैब की मदद से मंदिर सकते हैं।
- इसके अलावा चंडीगढ़-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग भी नजदीक है।
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Source- Shikari Devi Temple
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