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    Kashi Vishwanath Temple: काशी विश्वनाथ मंदिर में कब की जाती है शयन आरती और क्या है धार्मिक महत्व?

    शिव पुराण में वर्णित है कि महादेव के शरण और चरण में रहने वाले साधक पर जगत की देवी मां पार्वती की असीम कृपा बरसती है। उनकी कृपा से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। कहते हैं कि शिव जी के शरणागत रहने से जीवन में आने वाली बलाएं भी टल जाती हैं। काशी स्थित विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) में रोजाना पांच पहर आरती की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Tue, 08 Apr 2025 04:26 PM (IST)
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    Kashi Vishwanath Temple: काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और जगत की देवी मां पार्वती की पूजा की जाती है। त्रयोदशी के दिन व्रत भी रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक के जीवन में मंगल का आगमन होता है। साथ ही सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं।

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    ज्योतिष भी जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति पाने के लिए देवों के देव महादेव की पूजा करने की सलाह देते हैं। भगवान शिव बेहद कृपालु और दयालु हैं। अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से साधक के जीवन में नया सवेरा होता है। बड़ी संख्या में भक्तजन बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए काशी स्थित विश्वनाथ मंदिर जाते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन मात्र से सभी दुख दूर हो जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि विश्वनाथ मंदिर में शयन आरती कब की जाती है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं।

    यह भी पढ़ें: जानें, क्यों काल भैरव देव को बाबा की नगरी का कोतवाल कहा जाता है?

    काशी विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Mandir)

    काशी को बाबा की नगरी कहा जाता है। इस नगरी का कोतवाल भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव हैं। यह नगर गंगा नदी के तट पर बसा है। काशी में रोजाना संध्याकाल के दौरान गंगा आरती का आयोजन किया जाता है। काशी का इतिहास सदियों पुराना है। सनातन शास्त्रों में काशी का उल्लेख है। चिरकाल में भगवान शिव को काशी में ब्रह्म वध से मुक्ति मिली थी। उस समय से काशी भगवान शिव का निवास स्थान बन गया। इस पावन नगरी में काशी विश्वनाथ मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा की जाती है।

    धार्मिक मत है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में महाकाल के दर्शन करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही महादेव की कृपा से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। बाबा के दरबार में पांच समय आरती की जाती है। इनमें शयन आरती अंत में की जाती है। भक्त जन आरती में शामिल होते हैं। इसके लिए नियम भी बनाए गए हैं।

    कब होती है शयन आरती?

    काशी विश्वनाथ मंदिर में शयन आरती रोजाना रात 10 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 11 बजे तक की जाती है। शयन आरती मध्य रात्रि से डेढ़ घंटा पहले किया जाता है। शयन आरती में शामिल होने की शुल्क 300 रुपये है। इस आरती में 12 साल तक के बच्चों को निशुल्क प्रवेश की अनुमति है।

    यह भी पढ़ें: बाबा की नगरी काशी के विश्वनाथ मंदिर की पौराणिक कथा

    शयन आरती (Shayan Aarti Significance)

    धार्मिक मत है कि शयन आरती करने से साधक पर महादेव की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव की कृपा से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। बड़ी संख्या में भक्तजन शयन आरती में शामिल होते हैं।

    Source:- shrikashivishwanath.org

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।