Kashi Vishwanath Temple: काशी विश्वनाथ मंदिर में कब और कौन करते हैं सप्तर्षि आरती? जानें सबकुछ
शिव पुराण में वर्णित है कि देवों के देव महादेव के शरणागत रहने वाले साधकों को पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुखों का नाश होता है। काशी स्थित विश्वनाथ मंदिर (Kashi Vishwanath Temple) में हर सोमवार पर भगवान शिव और जगत की देवी मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार का दिन देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त सोमवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। सोमवार के दिन बाबा की नगरी काशी में विश्वनाथ मंदिर में देवों के देव महादेव की विशेष पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि विश्वनाथ मंदिर में सप्तर्षि आरती कब की जाती है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं।
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काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास (Kashi Vishwanath Temple)
काशी विश्वनाथ मंदिर देवों के देव महादेव को समर्पित है। यह मंदिर गंगा नदी के तट पर स्थित है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि काशी बाबा की नगरी है। आसान शब्दों में कहें तो काशी को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है। दैवीय काल में भगवान विष्णु भी काशी में रहते थे। इस नगर में बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग है। इसके लिए काशी स्थित भगवान शिव के मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है।
कब होती है सप्तर्षि आरती?
काशी विश्वनाथ मंदिर में रोजाना संध्याकाल में 07 बजे से लेकर शाम 08 बजकर 15 मिनट तक सप्तर्षि आरती की जाती है। वहीं, पूर्णिमा तिथि पर सप्तर्षि आरती एक घंटा पहले यानी शाम 06 बजे से शुरू हो जाती है। भक्तों को सप्तर्षि आरती में शामिल होने के लिए संध्याकाल 06 बजकर 30 मिनट तक प्रवेश की अनुमति होती है। वहीं, पूर्णिमा तिथि पर शाम 05 बजकर 30 मिनट तक प्रवेश करने की सलाह दी जाती है।
कौन करते हैं सप्तर्षि आरती? (Who performs Saptarishi Aarti)
धार्मिक मत है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में रोजाना संध्याकाल 07 बजे सात ऋषि देवों के देव महादेव की आरती (Saptarishi Aarti Significance) करने आते हैं। इस मान्यता के आधार पर रोजाना सप्तर्षि आरती की जाती है। इस आरती में सात अलग-अलग गोत्र के पंडित एक साथ आरती करते हैं।
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Source:- shrikashivishwanath.org
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