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    आखिर क्यों खास है 26 मई का दिन? एक क्लिक में पढ़ें वजह

    Updated: Sat, 17 May 2025 04:00 PM (IST)

    हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ चौथा महीना होता है। इस माह में भगवान विष्णु और हनुमान जी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ के महीने में विशेष चीजों का दान करने से धन लाभ के योग बनते हैं। धार्मिक दृस्टि से 26 मई को बेहद खास माना रहा है। आइए जानते हैं इसकी वजह।

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    वट सावित्री व्रत के दिन बनेंगे कई संयोग

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 13 मई से ज्येष्ठ माह की शुरुआत हुई है। सनातन धर्म में इस माह का खास महत्व है। धार्मिक दृष्टि से 26 मई को अधिक महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर धार्मिक दृष्टि से 26 मई को महत्वपूर्ण क्यों है? अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए जानते हैं इसकी खास वजह के बारे में।

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    इसलिए खास है 26 मई का दिन

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 26 मई को ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। इस तिथि पर वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat 2025), मासिक कार्तिगाई और सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2025 Date) का पर्व मनाया जाएगा। इसी वजह से 26 मई का दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

    यह भी पढ़ें: Vat Savitri 2025: वट सावित्री व्रत पर नहीं मिल रहा है बरगद का पेड़ तो कैसे करें पूजा?

    सोमवती अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को 12 बजकर 11 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में 26 मई को सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी। इस दिन सोमवार होने की वजह से इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाएगा।

    वट सावित्री व्रत का धार्मिक महत्व (Vat Savitri Vrat Significance)

    हर साल वट सावित्री व्रत को ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं करती हैं। साथ ही बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, वट सावित्री व्रत करने से वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते मजबूत होते हैं।

    मासिक कार्तिगाई का धार्मिक महत्व (Masik karthigai Significance)

    मासिक कार्तिगाई का पर्व हर महीने कृतिका नक्षत्र में मनाया उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर  भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मासिक कार्तिगाई के दिन पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में शुभ परिणाम मिलते हैं।

    सोमवती अमावस्या का धार्मिक महत्व (Somvati Amavasya Significance)

    अमावस्या तिथि को पितरों को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन पितरों को तर्पण और पिंडदान किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सोमवती अमावस्या के दिन इन कामों को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।

     यह भी पढ़ें:  Vat Savitri Vrat 2025: अमावस्या और पूर्णिमा आखिर क्यों दो बार मनाते हैं वट सावित्री व्रत?

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।