Somvati Amavasya पर जानें स्नान-दान का मुहूर्त, इस तरह करें शिव जी की पूजा
ज्येष्ठ माह में आने वाली अमावस्या का दिन विशेष है क्योंकि इस दिन पर वट सावित्री व्रत किया जाता है। वहीं इस बार ज्येष्ठ अमावस्या सोमवार के दिन पड़ रही है जिससे इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। चलिए जानते हैं कि सोमवती अमावस्या के दिन स्नान-दान का मुहूर्त क्या रहने वाला है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अमावस्या तिथि (Somvati Amavasya 2025) हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। वहीं सोमवती अमावस्या भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए काफी खास मानी जाती है। साथ ही इस दिन पर पवित्र नदी में स्नान और दान करने का काफी महत्व है। अमावस्या तिथि पर जप-तप, तर्पण और पिंडदान आदि कर्म भी किए जाते हैं।
26 मई को ज्येष्ठ अमावस्या या सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी। ऐसे में आप इस विधि भगवान शिव की पूजा-अर्चना और इन चीजों का दान करके सोमवती अमावस्या के दिन लाभ प्राप्त कर सकत हैं।
स्नान-दान का मुहूर्त (Somvati Amavasya Shubh Muhurat)
अमावस्या तिथि पर उदयातिथि में स्नान-दान करना शुभ माना जाता है। ऐसे में इस दिन पर स्नान का का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -
- ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 4 बजकर 3 मिनट से प्रातः 4 बजकर 44 मिनट तक
- दूसरा मुहूर्त - प्रातः 4 बजकर 24 मिनट से प्रातः 5 बजकर 25 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक
इस तरह करें शिव जी की पूजा
सोमवती अमावस्या का दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए विशेष माना जाता है। इसके लिए सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें। साथ ही शिवलिंग का जल, दूध, दही, शहद और घी से भगवान शिव का अभिषेक करें। इस दिन पर शिजी को खीर या दूध से बनी चीजों का भोग लगाएं।
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करें इन चीजों का दान (Somvati Amavasya Snan Daan)
सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2025 Daan) पर गरीबों व जरुरतमंद लोगों में अन्न, धन और वस्त्रों का दान करना चाहिए। इससे पितरों की कृपा प्राप्त होती है। इसी के साथ आप सोमवती अमावस्या पर शिव जी की कृपा प्राप्ति के लिए सफेद रंग की चीजें जैसे चावल, दही, मिश्री, खीर और सफेद वस्त्रों का दान कर सकते है।
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करें इन मंत्रों का जप
- ॐ कुल देवताभ्यो नमः।
- ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः।
- ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः।
- ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः।
- ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।
- अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीअवन्तिकापुरी, द्वारवती ज्ञेयाः सप्तैता मोक्ष दायिका।।
- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती, नर्मदा सिंधु कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू।।
- गायत्री मंत्र:- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
- ॐ पितृभ्य: नम।
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