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    Vat Savitri Vrat पर बन रहा है सोमवती अमावस्या का संयोग, जानिए इस दिन की खास बातें

    पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत किया जाता है। इस बार यह पर्व सोमवार 26 मई को मनाया जाएगा। इस बार वट सावित्री व्रत के दिन सोमवती अमावस्या का संयोग रहने वाला है जो बड़ी ही शुभ फलदायी माना जा रहा है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस दिन पर किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sun, 11 May 2025 10:59 AM (IST)
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    Vat Savitri Vrat 2025 and Somvati Amavasya sanyog

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वट सावित्री व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु के साथ-साथ सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना के लिए रखा जाता है। इस दिन पर वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस तिथि पर शनि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं कि इस दिन पर क्या करें और क्या नहीं।

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    वट वृक्ष का है खास महत्व

    वट सावित्री व्रत के दिन मुख्य रूप से वट वृक्ष की पूजा कि जाती है, क्योंकि कथा के अनुसार, सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण वट वृक्ष के नीचे ही वापस पाए थे। व्रत के दौरान महिलाएं वट वृक्ष के नीचे बैठकर वट सावित्री की कथा सुनती है और वट वृक्ष को जल अर्पित करती हैं।

    इसके बाद वृक्ष को रोली, चंदन का टीका लगाया जाता है। अंत में वृक्ष के चारों तरफ सात बार कच्चा धागा लपेटा जाता है और परिक्रमा की जाती है। इसके अगले दिन ग्यारह भीगे हुए चने खाकर व्रत का पारण किया जाता है।

    बनता है ये प्रसाद

    व्रत वाले दिन व्रती महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का प्रसाद बनाती हैं। इस दौरान सिंघाड़े के आटे से बने पकवान के साथ-साथ गुड़ और आटे से बना पकवान बनाया व खाया जाता है।

    वट सावित्री व्रत में चना, पूरी और पूए का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण कर सकते हैं। इस दिन पर कुछ महिलाएं इस दिन सिर्फ फलाहार करती हैं और कई जगहों पर इस व्रत में मीठी पुड़िया और मुरब्बा भी खाया जाता है।

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    भूल से भी न करें ये काम

    वट सावित्री व्रत के दिन व्रती महिला के साथ-साथ घर के अन्य लोगों को भी तामसिक भोजन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। साथ ही इस दिन पर चावल और दाल से बनी चीजों का भी सेवन भी नहीं किया जाता।

    साथ ही इस दिन पूजा के दौरान काले रंग के कपड़े पहनना भी शुभ नहीं माना जाता। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि वट वृक्ष की परिक्रमा हमेशा घड़ी की दिशा यानी दक्षिणावर्त दिशा में ही करनी चाहिए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।