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    Weekly Vrat Tyohar 16 To 22 December 2024: पौष माह के पहले सप्ताह में मनाए जाएंगे ये व्रत और त्योहार

    पौष माह में भगवान विष्णु सूर्य देव और पितरों की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि उपासना करने से जातक को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस माह में कई महत्वपूर्ण व्रत और पर्व मनाए जाते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि 16 दिसंबर से लेकर 22 दिसंबर तक मनाए जाने वाले व्रत-त्योहारों की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 15 Dec 2024 03:27 PM (IST)
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    Weekly Festival List: यहां देखें इस सप्ताह के पर्व-व्रत की डेट

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में 10वें महीने पौष के नाम से जाना जाता है। यह महीना जगत के पालनहार भगवान विष्णु, सूर्य देव और पितरों को समर्पित है। पंचांग के अनुसार, इस बार पौष माह की शुरुआत 16 से दिसंबर से हो रही है। वहीं, इस माह का समापन 13 जनवरी को होगा। नए माह के संग नए सप्ताह की भी शुरुआत हो रही है। 16 दिसंबर से लेकर 22 दिसंबर तक कई व्रत और पर्व मनाए जाएंगे, जिनका विशेष महत्व है। इस सप्ताह में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी और मासिक कालाष्टमी समेत आदि पर्व मनाए जाएंगे। धार्मिक मान्यता है कि अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी संकट दूर होते हैं और मासिक कालाष्टमी के दिन काल भैरव की उपासना करने से भय से छुटकारा मिलता है। आइए जानते हैं इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों (Weekly Vrat Tyohar) के बारे में।  

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    अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024 Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, इस बार पौष महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 02 मिनट पर होगा। ऐसे में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का पर्व 18 दिसंबर (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024) को मनाया जाएगा।  

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    मासिक जन्माष्टमी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2024 Date and Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 दिसंबर को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से होगी और वहीं, इस तिथि का समापन 23 दिसंबर को दोपहर में 05 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में मासिक जन्माष्टमी का पर्व 22 दिसंबर को मनाया जाएगा। इसी दिन भानु सप्तमी और कालाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा का विधान है और कालाष्टमी पर काल भैरव की उपासना की जाती है।

    शुभ समय

    ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 05 बजकर 21 मिनट से 06 बजकर 16 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 54 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 53 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक

    अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।