Masik Janmashtami 2024: पौष माह में कब है कृष्ण जन्माष्टमी? यहां पढ़ें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है क्योंकि भाद्रपद माह में इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ था। इसलिए हर महीने में मासिक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसे में आइए जानते हैं मासिक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Maik Janmashtami 2024 Date) की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस शुभ तिथि पर जातक लड्डू गोपाल की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं। साथ ही विशेष चीजों का दान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन इन कामों को करने से जातक पर भगवान कृष्ण की कृपा सदैव बनी रहती है। साथ ही कामों में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है और रुके हुए काम पूरे होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का अवतार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। इसी वजह से हर महीने इस दिन को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं कि पौष माह की मासिक श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (Paush Janmashtami 2024) से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में।
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मासिक जन्माष्टमी 2024 डेट और शुभ मुहूर्त (Janmashtami 2024 Date and Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 दिसंबर को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से होगी और वहीं, इस तिथि का समापन 23 दिसंबर को दोपहर में 05 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में मासिक जन्माष्टमी का पर्व 22 दिसंबर को मनाया जाएगा।
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त - प्रातः 05 बजकर 21 मिनट से 06 बजकर 16 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 54 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 53 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 41 मिनट तक
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सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 29 मिनट पर
चंद्रोदय - रात्रि 12 बजकर 13 मिनट पर
चन्द्रास्त - दोपहर 12 बजकर 01 मिनट पर
पूजा विधि (Janmashtami 2024 Puja Vidhi)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें। मंदिर की सफाई करने के बाद लड्डू गोपाल जी का पंचामृत से अभिषेक करें। सुंदर वस्त्र, मुकुट, मोर पंख और बांसुरी आदि से सजाएं। चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें। भगवान श्रीकृष्ण के मंत्रों जप करें और कृष्ण चालीसा का पाठ करें। पंचामृत, पंजीरी, फल, मिठाई और माखन-मिश्री का भोग लगाएं। जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
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