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    Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024: दिसंबर में कब है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी? यहां पढ़ें शुभ मुहूर्त

    पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी (Akhuratha Sankashti Chaturthi) के नाम से जाना जाता है। इस तिथि पर गणपति बप्पा के संग शिव परिवार की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही जीवन के विघ्न को दूर करने के लिए व्रत भी किया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं अखुरथ संकष्टी चतुर्थी की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Tue, 26 Nov 2024 05:28 PM (IST)
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    Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024: अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त (Pic credit- Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन शास्त्रों में अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के पर्व का विशेष महत्व बताया गया है। हर साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी बेहद उत्साह के साथ मनाई जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से जातक को कारोबार में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही घर में सुख-शांति का वास होता है। इसके अलावा कार्य में आ रही रुकावट खत्म होती है। चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं अखुरथ संकष्टी चतुर्थी (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024 Date) पर गणपति बप्पा की पूजा किस तरह करें?

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    अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त (Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024 Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, इस बार पौष महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 43 मिनट से होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 19 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 02 मिनट पर होगा। ऐसे में खुरथ संकष्टी चतुर्थी 18 दिसंबर (Kab Hai Akhuratha Sankashti Chaturthi 2024) को मनाई जाएगी।

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 19 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से 02 बजकर 42 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 25 मिनट से 05 बजकर 52 मिनट तक

    अमृत काल- सुबह 06 बजकर 30 मिनट से 08 बजकर 07 मिनट तक

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    अखुरथ संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Akhuratha Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

    • अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें।
    • स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें।
    • घर की सफाई करने के बाद गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
    • चौकी पर भगवान गणेश और शिव परिवार की प्रतिमा को विराजमान करें।
    • भगवान गणेश के माथे पर तिलक लगाएं और फूलमाला अर्पित करें।
    • अब व्रत का संकल्प लें और देसी घी का दीपक जलाकर भगवान गणेश की पूजा करें।
    • विधिपूर्वक गणपति बप्पा की आरती करें।
    • मोदक और फल का भोग लगाएं।
    • जीवन के विघ्न को दूर करने के लिए कामना करें।
    • कथा का पाठ करें।
    • लोगों में प्रसाद का वितरण करें।

    गणोश मंत्र (Ganesh Mantra)

    1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    2.ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।